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कोरोना टीका न लगवाने वालों को नहीं मिली राहत, जंगली भैसों को पकड़ने के लिए रोकी जाए क्रूरता- दायर याचिका
डिजिटल डेस्क, मुंबई। जंगली भैसे की सुरक्षा को लेकर दायर जनहित याचिका पर बांबे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के वन विभाग से जवाब मांगा है। इस विषय पर लॉर्यस फॉर अर्थ जस्टिस नामक संगठन ने याचिका दायर की है। याचिका में मांग की गई है कि जंगली भैसे को पकड़ने के दौरान वन विभाग के अधिकारियों को नियमों का पालन करने का निर्देश दिया जाए। क्योंकि जैव विविधता के लिहाज से जंगली भैसे का अस्तित्व व संरक्षण काफी जरुरी है। इसलिए इन पर किसी भी रुप में बर्बरता को रोका जाना अपेक्षित है। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति एमएस कर्णिक की खंडपीठ के सामने इस याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान अधिवक्ता असीम सरोदे ने कहा कि पिछले साल पुणे शहर की सीमा में भटका हुआ एक जंगली भैसा आ गया था लेकिन इसे पकड़ने के लिए तीन इंजेक्शन लगाए गए। जिसके चलते उसकी मौत हो गई। नियमानुसार जंगली भैसे को पकड़ कर उसे जंगल में सुरक्षित छोड़ा जाना चाहिए था। नियमों के मुताबिक वन विभाग के अधिकारियों को संरक्षित प्राणियों की सूची में शामिल प्राणियों को पकड़ने के लिए स्थानीय निकाय व पुलिस की मदद लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस संबंध में वन विभाग ने साल 2015 में स्टैंडर्ड आपरेटिंग प्रोसिजर (एसओपी) बनाया है लेकिन उसका पालन नहीं हो रहा है। यदि यह एसओपी अपर्याप्त नजर आ रही हो तो उसमें उपयुक्त बदलाव किए जाए। इन दलीलों व याचिका में जंगली भैसे की सुरक्षा को लेकर जाहिर की गई चिंता के मद्देनजर खंडपीठ ने इस मामले में राज्य सरकार के वन विभाग सहित अन्य को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया और याचिका पर सुनवाई 31 जनवरी 2021 तक के लिए स्थगित कर दी।
कोरोना टीका न लगवाने वालों को हाईकोर्ट से नहीं मिली राहत
बांबे हाईकोर्ट ने कोरोना का टीका न लगवाने वाले कर्मचारियों को हर दस दिन में आरटी पीसीआर की रिपोर्ट लाने की अनिवार्यता को सही ठहराया है। कोर्ट ने कहा कि टीका न लगवाने वालों को आरटीपीसीआर रिपोर्ट लाने के लिए कहना एक तर्कसंगत बंधन है। मामला केंद्र सरकार के संस्थान मुंबई पोर्ट ट्रस्ट (एमपीटी) से जुड़ा है। जिसने कोविड का टीका न लगवानेवाले कर्मचारियों को हर दस दिन में आरटीपीसीआर की रिपोर्ट लाना अनिवार्य किया था। परिपत्र में साफ किया गया था कि जिन कर्मचारियों ने टीका नहीं लगवाया है उन्हें बिना आरटीपीसीआर रिपोर्ट के काम पर नहीं आने दिया जाएगा। यह रिपोर्ट दस दिनों के लिए वैध होगी। 16 जून 2021 को जारी इस परिपत्र के खिलाफ सात कर्मचारियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि यह परिपत्र टीका लगवाने वालों व टीका न लगवानेवाले कर्मचारियों के बीच भेदभाव करता है। इसलिए यह परिपत्र मौलिक अधिकार का हनन करता है।
टीका न लगवाने वाले सक्रमण के लिए जिम्मेदार
न्यायमूर्ति एसजे काथावाला व न्यायमूर्ति अभय अहूजा की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने एमपीटी के परिपत्र को कायम रखा। इसके साथ ही कहा कि जो लोग जानबूझकर कोरोना का टीका नहीं लगवा रहे हैं उनसे कोरोना संक्रमण फैलने का खतरा ज्यादा है। हालांकि खंडपीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा कोरोना का टीका न लगवाने के निर्णय का संस्थान ने सम्मान किया है लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि टीका लगवानेवाले व टीका न लगवानेवाले कर्मचारियों के साथ एक जैसा बरताव किया जाए। एमपीटी एक बड़ा संस्थान है। इसलिए वहां पर जरुरी है कि कोरोना का टीका न लगवानेवाले कर्मचारियों पर नजर रखी जाए। इसके तहत एक नियमित अंतराल पर टीका न लगवानेवाले लोगों की आरटी पीसीआर जांच निगरानी के लिए जरुरी है।
याचिकाकर्ता दिपक खुराना व मोहम्मद जऊर रहमान सहित सात कर्मचारियों की ओर से पैरवी कर रही अधिवक्ता अदिति सक्सेना ने कहा कि कोरोना के प्रसार को लेकर टीका लगवानेवाले व टीका न लगवानेवाले कर्मचारियों के बीच भेदभाव नहीं किया जा सकता। क्योंकि दोनों से कोरोना का प्रसार हो सकता है। इसलिए याचिकाकर्ताओं को टीका लगवाने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने जो जानकारी दी है उसके तहत टीका लगवाना ऐच्छिक है।
एमपीटी के वकील राहुल जैन ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि कोविड का टीका कोरोना के संक्रमण व प्रसार में कड़ी सुरक्षा प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि एमपीटी अपने कर्मचारियों को निशुल्क टीका दे रहा है। श्री जैन ने कहा कि टीका ऐच्छिक है। इसिलए एमपीटी कर्मचारियों को टीके के लिए बाध्य नहीं कर रहा है लेकिन विकल्प के तौर पर कर्मचारियों को नियमित अंतराल पर आरटीपीसीआर रिपोर्ट लाने के लिए कहा जा रहा है। खंडपीठ ने मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद कर्मचारियों की याचिका को खारिज कर दिया और परिपत्र को कायम रखा।
Created On :   21 Dec 2021 8:51 PM IST