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एक बार फिर कुरमा घर बना नरक, एक साथ जन्में तीन शिशुओं की एक के बाद एक मौत

डिजिटल डेस्क, एटापल्ली(गड़चिरोली)। एक तरफ देश विज्ञान में तरक्की करता दिखाई दे रहा है। वहीं दूसरी ओर ग्रामीण अंचलों में अंधश्रद्धा की जड़ें अभी भी जमी हुई दिखाई दे रही है। गड़चिरोली जिले में अंधश्रद्धा से जुड़ा एक मामला सामने आया है। एटापल्ली तहसील के ग्राम हेडरी में तीन दिन पूर्व छह माह की गर्भवती ने एक-साथ तीन नवजात शिशु को जन्म दिया, लेकिन अंधश्रद्धा व उपचार के लिए परिजनों के विरोध के चलते प्रसूता के तीनों नवजात शिशु की एक-एक कर मृत्यु हो गई। दर्दनाक घटना में एक बार फिर अंधश्रद्धा की भेंट चढ़ने पर एक माता की गोद सूनी हो गई।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, 26 सितंबर को ग्राम हेड़री निवासी सगनी नागेश कवडो नामक गर्भवती ने कुरमा घर में एकसाथ तीन नवजात शिशुओं को जन्म दिया। जिनमें दो बालक और एक बालिका थी। बता दें कि , गर्भवती महिला की प्रसूति मात्र छठवें महीने में हुई है, ऐसी स्थिति में प्रसूता के परिजनों ने उसे अस्पताल में ले जाने के बजाय कुरमा घर में रखा था। जहां जन्म के समय ही एक बालक की मौत हो गई। इस संबंध में एटापल्ली के स्वास्थ्य अधिकारियों को जानकारी मिलने पर डाक्टर, स्वास्थ्य सेविका, आंगनवाड़ी सेविका समेत अन्य कर्मचारी तुरंत प्रसूता के घर पहुंचे और माता व नवजात को अस्पताल ले जाने की बात कही, परंतु प्रसूता के परिजन उसे अस्पताल ले जाने के लिए राजी नहीं हुआ। दौरान, परिजनों का विरोध देखते हुए स्वास्थ्य अधिकारी व कर्मचरियों ने प्रसूता व नवजात शिशु की जान बचाने के लिए गांव के प्रतिष्ठित नागरिकों को बुलाकर अस्पताल ले जाने की बात रखी। इस बीच दूसरे शिशु ने बीच रास्ते में दम तोड़ दिया। ऐसे में प्रसूता व उसकी नवजात बेटी को उपचार के लिए एटापल्ली के ग्रामीण अस्पताल में लाया गया। यहां पर प्रसूता व बच्ची का उपचार चल रहा था लेकिन महिला कके परिजनों ने अस्पताल में पहुंचकर डाक्टरों की एक न सुनी और प्रसूता व बच्ची को घर वापस ले गए। जहां घर पहुंचने के कुछ ही घंटे बाद तीसरी बच्ची ने भी दम तोड़ दिया।
सीडीपीओ को करना पड़ा आंदोलन
आमतौर पर जनहित की मांगों के लिए जनता आंदोलन करते नजर आते हैं, लेकिन अंधविश्वास के चलते यहां बिल्कुल उल्टा नजारा दिखाई दिया। यहां प्रसूता को उसके घर में जगह दिलवाने सीडीपीओ को आंदोलन करना पड़ा। प्रसूता के तीन नवजात की मृत्यु होने के बाद उसके परिजन उसे घर में रखने के बजाय गांव के बाहर कुरमा घर में ही रखा गया था। जहां प्रसूता के खाने-पीने समेत स्वास्थ्य की ओर अनदेखी की जा रही थी। मामले की जानकारी मिलते ही शनिवार को एटापल्ली के बाल विकास प्रकल्प अधिकारी कालिदास बड़े, स्वास्थ्य सेविका और आंगनवाड़ी सेविका को लेकर महिला के घर पहुंचे, वहां जाकर देखने पर प्रसूता को कुरमा घर में रखा गया था। जब सीडीपीओ ने प्रसूता को घर में लेने की बात उसके पति, सास और ननद से करने पर परिजनों ने उसे घर में रखने से साफ इनकार कर दिया। इस समय महिला को घर के भीतर ले जाने की बात पर अड़े सीडीपीओ बड़े ने कुरमा घर के सामने ही ठिया आंदोलन शुरू कर दिया। आखिरकार गांव के सरपंच व प्रतिष्ठित नागरिकों के समझाने के बाद परिजनों को प्रसूता को घर के भीतर आने दिया। इसके बाद सीडीपीओ ने स्वास्थ्य सेविका की सहायता से प्रसूता की स्वास्थ्य जांच कराई। वहीं आवश्यक दवा और पोषाहार देने की सूचना दी।
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डिजिटल डेस्क, जबलपुर। किसी के लिए भी प्रॉपर्टी खरीदना जीवन के महत्वपूर्ण कामों में से एक होता है। आप सारी जमा पूंजी और कर्ज लेकर अपने सपनों के घर को खरीदते हैं। इसलिए यह जरूरी है कि इसमें इतनी ही सावधानी बरती जाय जिससे कि आपकी मेहनत की कमाई को कोई चट ना कर सके। प्रॉपर्टी की कोई भी डील करने से पहले पूरा रिसर्च वर्क होना चाहिए। हर कागजात को सावधानी से चेक करने के बाद ही डील पर आगे बढ़ना चाहिए। हालांकि कई बार हमें मालूम नहीं होता कि सही और सटीक जानकारी कहा से मिलेगी। इसमें bhaskarproperty.com आपकी मदद कर सकता है।
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ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।