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यात्रियों की संख्या में वृद्धि देखते हुए 3 स्टेशनों में एस्केलेटर और लिफ्ट सुविधा
डिजिटल डेस्क, शहडोल। रेल विभाग ने शहडोल संभाग के प्रमुख स्टेशनों में दिव्यांगों और वृद्धों की सुविधा के लिए एस्केलेटर और लिफ्ट की व्यवस्था करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह निर्णय बिलासपुर-कटनी रेल मार्ग पर ट्रेनों के बढ़ते आवागमन और यात्रियों की संख्या वृद्धि को देखते हुए लिया गया है।
इस संबंध में रेल्वे बोर्ड को प्रस्ताव भेजा गया था, जिसके परिप्रेक्ष्य में हाल ही में बिलासपुर रेल मण्डल ने स्थानीय अधिकारियों को सर्वे कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। रिपोर्ट के अनुसार कार्य स्वीकृत किया जाएगा। बताया गया कि पूर्व में शहडोल स्टेशन की पहली सीढ़ी के समीप निर्माण कार्य किए जाने की जानकारी मिली थी। लेकिन अब दूसरे स्थान का चयन किया गया है। यहां सर्वे कर लिया गया है। गोरतलब है कि इस रेलमार्ग से लगभग 36 ट्रेनों का आवागमन है। शहडोल स्टेशन से रोजाना औसतन 4 हजार यात्री सफर करते हैं।
तीन जिलों के स्टेशनों को मिलेगी सुविधा
एस्केलेटर की सुविधा शहडोल, अनूपपुर, उमरिया तीन स्टेशनोंं में प्रदान की जाएगी। यहां सर्वे कार्य किया जा रहा है। बड़े शहरों की तर्ज पर एक प्लेटफार्म से दूसरे प्लेटफार्म की ओर जाने के लिए स्वचालित सीढ़ी, जिसमें खड़े होने पर यात्री स्वयं दूसरे प्लेटफार्म पर पहुंच जाएगा। इसी तरह लिफ्ट के माध्यम से भी लोग अधिक उंचाई पर चढ़ने से बचेंगे। यह सुविधाएं दोनों ओर स्थापित की जाएंगी। शहडोल में इसकी स्थापना दूसरे फुट ओव्हर ब्रिज में की जाएगी, क्योंकि यह अधिक उंचाई पर है और नया है। इसी तरह उमरिया और अनूपपुर में भी व्यवस्था की जाएगी।
डेढ़ करोड़ व्यय का अनुमान
तीनों स्टेशनों में सुविधा विस्तार के लिए प्रति स्टेशन 50 लाख रुपए व्यय होने का अनुमान है। सभी तीनों स्टेशनों में कुल डेढ़ करोड़ का व्यय अनुमानित किया गया है। इसकी वास्तविक लागत, Estimate के समय ज्ञात हो सकेगी। इसके लिए रेलवे द्वारा टेण्डर दिए जाने की कार्रवाई की जाएगी। लिफ्ट की व्यवस्था होने से दिव्यांगो को सुविधा मिलेगी।
आज तक नहीं बना था रैम्प
शहडोल स्टेशन में प्लेटफार्म नंबर 1 से 2 और 3 की ओर जाने के लिए विगत 5-6 वर्षों से ढलावदार रैम्प बनाए जाने की मांग प्रबुद्ध नागरिकों और दैनिक रेल यात्री संघ द्वारा की जाती रही है। इस संबंध में प्रवास पर आए अधिकारियों ने कई बार आश्वासन भी दिया था लेकिन व्यवस्था आज तक नहीं की गई।
Created On :   22 Aug 2017 7:32 PM IST