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बढ़ते शोर से बचाने के लिए एनजीओ की मदद से दी जा रही पुलिसवालों को ट्रेनिंग
डिजिटल डेस्क, मुंबई, दुष्यंत मिश्र। शहरों में शोर की एक बड़ी वजह बिना जरूरत वाहन चालकों का हॉर्न बजाना है। इसका बुरा असर ट्रैफिक पुलिस के जवानों को झेलना पड़ता है जो लगातार कई घंटों तक चौराहों पर इस शोर के बीच खड़े रहते हैं। इसीलिए ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ लगातार काम कर रही स्वयंसेवी संस्था आवाज के जरिए मुंबई के यातायात विभाग में कार्यरत पुलिसवालों को बिना वजह बजाए जाने वाले हॉर्न से होने वाले शोर के बारे में जागरूक किया जा रहा है। संस्था की कोशिश है कि पुलिसवाले बिना वजह हॉर्न बजाने वालों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाएं और अपने साथ-साथ दूसरे लोगों को भी बीमार करने वाले इस बेवजह के शोर से बचाए। पुलिस जवानों को ट्रेनिंग दे रहीं आवाज संगठन की संस्थापक सुमैरा अब्दुलअली ने बताया कि राज्य में दिसंबर 2021 से बिना वजह हॉर्न बजाने के खिलाफ जुर्माना बढ़ाकर दो हजार रुपए कर दिया गया है लेकिन पुलिस ऐसे मामलों में कार्रवाई करने में अब भी ढिलाई बरत रही है। इसलिए मुंबई ट्रैफिक पुलिस में तैनात सभी 2600 हवलदारों को ट्रेनिंग दी जा रही है। इसमें पुलिसकर्मियों को समझाया जा रहा है कि लगातार हॉर्न के शोर में खड़े होने के चलते उनकी सेहत पर इसका क्या असर पड़ रहा है। इससे उम्मीद है कि वे ऐसे मामलों में कार्रवाई को लेकर ज्यादा सजग होंगे।
फिलहाल दो चरणों में 135 पुलिसकर्मियों को ट्रेनिंग दी जा चुकी है। सुमैरा ने बताया कि उनके ड्राइवर संजय ने पिछले 15 सालों से गाड़ी चलाने के दौरान हॉर्न नहीं बजाया है। साथ ही उन्होंने कहा कि मुंबई पुलिस आयुक्त संजय पांडे इस मामले में सहयोग कर रहे हैं लेकिन इसे लेकर आला अधिकारियों की ओर से एक मुहिम शुरू किए जाने की जरूरत है क्योंकि मुंबई दुनिया से सबसे ज्यादा ध्वनि प्रदूषण वाले शहरों में शामिल है। पुलिस उपायुक्त (यातायात पश्चिम) प्रज्ञा जेडगे ने कहा कि ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ यातायात पुलिस के जवानों को जागरूक करने के लिए यह प्रशिक्षण शिविर बेहद जरूरी है। शहर को ध्वनि प्रदूषण से बचाने के लिए बिना वजह हॉर्न बजाने वालों से दो हजार रुपए का जुर्माना वसूलना जरूरी है जिसके इस पर लगाम लग सके।
Created On :   10 April 2022 8:07 PM IST