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खतरे में है आदिवासी मासूमों का जीवन, जर्जर भवन में रहने को मजबूर
डिजिटल डेस्क, शहडोल। आदिवासियों के विकास के लिए अलग से विभाग बना है, विकास के नाम पर लाखों रुपए खर्च भी हो रहे हैं, लेकिन योजनाओं के क्रियान्वयन में हद दर्जे की लापरवाही बरती जा रही है। संभागीय मुख्यालय से लगे ग्राम छतवई में स्थित बालक आश्रम इसका उदाहरण है। इस आश्रम को बने बामुश्किल 4-5 साल ही हुए हैं, लेकिन इसके निर्माण में बरती गई अनियमितता कहानी बयां कर रहे हैं। छात्रावास बाहर से तो एकदम अच्छा दिखता है, लेकिन भीतर से जर्जर हो चुका है। दीवारों में दरारें आ चुकी हैं। छत की प्लास्टर उखड़कर नीचे गिरते रहते हैं। यहां रहने वाले मासूम आदिवासी जान जोखिम में डालकर रहने को विवश हैं, लेकिन विभाग की ओर से कोई पहल नहीं की जा रही है।
रहने लायक नहीं हैं कमरे
जनजातीय कार्य विभाग की ओर से छात्रावास का निर्माण कराया गया था। आश्रम में कक्षा 1 से लेकर 5 वीं तक तक के छात्र निवासरत हैं। 50 सीटर आश्रम भवन की हालत ये है कि कई कमरे रहने लायक नहीं बचे हैं। जो कमरे कुछ ठीक हैं उनमें बच्चों को रखा जा रहा है। उसमें कब हादसा हो जाए कहा नहीं जा सकता है। आश्रम में आदिवासी बच्चे रहकर पढ़ाई करते हैं, लेकिन उनके सामने हर दम हादसा की आशंका बनी रहती है। अधीक्षक प्रेमलाल बैगा के अनुसार सही सलामत बचे कमरों में कक्षाएं लगाई जाती हैं। भवन की हालत को लेकर कई बार लिखा गया, लेकिन बजट का अभाव बताया जाता है।
इनका कहना है
भवन के जर्जर होने की जानकारी है। एस्टीमेट बनाकर भेजा गया है। बजट आते ही कार्य शुरु करा दिया जाएगा।
सुरेश अग्रवाल, सहायक आयुक्त आदिवासी विकास
एडिसनल एसपी करेंगे पुलिस दल पर हमले की जांच
जैतपुर थानांतर्गत ग्राम रहसमोहनी में पुलिस दल पर हमला करने व पुलिस वाहन को क्षतिग्रस्त करने के मामले की जांच अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक प्रवीण कुमार करेंगे। घटना का जायजा लेने के लिए सोमवार को डीआईजी पीएस उइके, एडिसनल एसपी प्रवीण कुमार, धनपुरी एसडीओपी व अन्य अधिकारी रसमोहनी पहुंचे। डीआईजी ने गांव के लोगों से मिलकर घटना की वास्तविकता के बारे में पूछा। लोगों ने घटना के वास्तविक जांच की मांग की। जिस पर डीआईजी ने एडिसनल एसपी से पूरे घटनाक्रम की जांच के निर्देश दिए।
Created On :   22 Jan 2019 1:32 PM IST