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पिछले एक साल के भीतर दो बार भाजपा के साथ सरकार बनाने तैयार हुए थे उद्धव ठाकरे
डिजिटल डेस्क, मुंबई। शिवसेना के बागी शिंदे गुट के मुख्य प्रवक्ता दीपक केसरकर ने पूर्व मुख्यमंत्री तथा शिवसेना पक्ष प्रमुख उद्धव ठाकरे को लेकर दो बडे् खुलासे किए हैं। केसरकर के दावे के अनुसार तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे जून 2021 से जून 2022 के बीच अलग-अलग समय में दो बार भाजपा के साथ गठबंधन कर सरकार बनाने के लिए तैयार हो गए थे। लेकिन विभिन्न कारणों के चलते दोनों बार बात नहीं बन सकी।
राणे को केंद्र में मंत्री बनाने से बिगड़ी बात
शुक्रवार को केसरकर ने कहा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे जून 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ दिल्ली में हुई मुलाकात के बाद 15 दिनों के भीतर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने वाले थे। लेकिन उद्धव जुलाई 2021 में केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार में भाजपा की ओर से नारायण राणे को केंद्रीय मंत्री बनाए जाने से नाराज हो गए। दूसरी ओर जुलाई 2021 में विधानसभा में भाजपा के 12 विधायकों को निलंबित कर दिया गया था। इसके चलते राज्य में शिवसेना और भाजपा के बीच गठजोड़ नहीं हो पाया।
बगावत के बाद भाजपा के साथ जाने को तैयार हुए थे उद्धव
केसरकर के अनुसार उद्धव जून 2022 में शिवसेना विधायकों की बगावत के वक्त एकनाथ शिंदे को किनारे रखकर भाजपा के साथ सरकार बनाने के लिए तैयार हुए थे। लेकिन भाजपा और शिंदे गुट के विधायक इसके लिए तैयार नहीं हुए। इस कारण उद्धव के नेतृत्व वाली शिवसेना और भाजपा का गठबंधन नहीं हो सका।
राणे ने की आदित्य ठाकरे की बदनामी
केसरकर ने कहा कि अभिनेता सुंशात सिंह राजपूत आत्महत्या मामले के बाद भाजपा के नेता नारायण राणे ने शिवसेना के तत्कालीन पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे की बदनामी करना शुरू कर दिया था। मैं आदित्य की बदनामी से दुखी हो गया था। जिसके बाद मैंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से संपर्क करने की कोशिश की। मैंने मोदी तक सभी वास्तविक बातें पहुंचाई। इसके बाद मोदी और उद्धव के बीच चर्चा शुरू हुई। जून 2021 में मोदी और उद्धव के बीच दिल्ली में मुलाकात हुई। उस दौरान उद्धव ने मोदी से स्पष्ट शब्दों में कहा था कि मेरे लिए मुख्यमंत्री पद से ज्यादा आपके साथ पारिवारिक संबंध निभाना महत्वपूर्ण है। केसरकर ने कहा कि मोदी से मिलने के बाद उद्धव ने तय कर लिया था कि वह 15 दिनों के भीतर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे। लेकिन जब वे मुंबई वापस आए तो उन्हें समझ में आया कि शिवसेना के कार्यकर्ताओं तक यह बात पहुंचाई जानी चाहिए नहीं तो पार्टी में भ्रम की स्थिति पैदा हो जाएगी। इसके मद्देनजर उद्धव ने भाजपा नेतृत्व से कुछ समय मांगा था। भाजपा की ओर से उद्धव को कुछ समय भी दिया गया। उद्धव की इच्छा के अनुसार भाजपा फैसले लेने के लिए तैयार थी। इसी दरमियान भाजपा के 12 विधायकों को निलंबित कर दिया गया था। जिसके बाद भाजपा की ओर से संदेश आया कि हमारी गठबंधन के बारे में चर्चा चल रही है। ऐसे में विधायकों का एक साल तक के लिए निलंबन करना उचित नहीं है। इसके बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल में नारायण राणे को शामिल कर लिया गया। भाजपा द्वारा नारायण राणे को केंद्रीय मंत्री बनाया जाना उद्धव को पंसद नहीं आया। उसके बाद उद्धव और भाजपा के बीच गठबंधन को लेकर बातचीत रुक गई।
उद्धव ने कहा था, हमें दोबारा भाजपा से करनी चाहिए चर्चा
इसके दो महीने बाद मैंने उद्धव से मुलाकात की थी उस समय उद्धव ने मुझसे कहा था कि छोटी-बड़ी घटनाएं होती रहती हैं हमें दोबारा भाजपा से चर्चा शुरू करना चाहिए। हालांकि बाद में उद्धव को समय नहीं मिल सका। मैंने तत्कालीन नगर विकास मंत्री एकनाथ शिंदे से बात की थी। मैंने शिवसेना के तत्कालीन उद्योग मंत्री सुभाष देसाई और शिवसेना सांसद अनिल देसाई और शिवसेना सचिव मिलिंद नार्वेकर से भी इस बारे में चर्चा की थी। शिंदे लगातार उद्धव से मिलकर भाजपा के साथ गठबंधन करने की मांग कर रहे थे। लेकिन उद्धव इसके लिए तैयार नहीं हुए।
गुवाहाटी से भेजा था समझौते का प्रस्ताव
केसरकर ने कहा कि शिवसेना में विद्रोह के बाद जब मैं गुवाहाटी में चला गया था तो उस समय मैंने एक व्यक्ति को उद्धव के पास दोनों गुटों के समझौते का प्रस्ताव लेकर भेजा था। उस समय उद्धव ने कहा था कि आप लोग एकनाथ शिंदे को किनारे कर दीजिए। मैं एकनाथ शिंदे को छोड़कर बागी विधायकों के साथ भाजपा से गठबंधन के लिए तैयार हूं। लेकिन इसके लिए शिवसेना के बागी विधायक तैयार नहीं हुए थे और भाजपा भी इस पर राजी नहीं थी। क्योंकि एकनाथ शिंदे को किनारे करना उचित नहीं था। केसरकर ने कहा कि एकनाथ शिंदे जिद के कारण परिवार से अलग हुए हैं। उद्धव को एकनाथ शिंदे को आशीर्वाद दे देना चाहिए। उद्धव भाजपा के साथ मिलकर नई सरकार बनाना चाह रहे थे शिंदे ने वही काम किया है। उद्धव को उस बात का बुरा नहीं मानना चाहिए। अब फैसला उद्धव को करना है। केसरकर ने कहा कि मैंने हकीकत बताई है। इसमें एक शब्द भी झूठा निकला तो तो मैं सार्वजनिक जीवन से सन्यास ले लूंगा।
आदित्य का अच्छा ही चाहा
केसरकर ने कहा कि मैंने आदित्य की बदनामी के बाद दिल से उनके लिए काम किया था। वह मेरे साथ कैसा बर्ताव करें यह उन पर निर्भर है। लेकिन मैं उनके साथ हमेशा अच्छा बर्ताव करूंगा क्योंकि वह ठाकरे परिवार के सदस्य हैं। केसरकर ने कहा कि मुझे मालूम नहीं कि यह दोनों गुटों के बीच अहंकार की लड़ाई है या फिर कुछ और। लेकिन मेरे स्तर पर मैंने निजी रूप से दोनों गुटों को साथ लाने की कोशिश की है।
Created On :   5 Aug 2022 8:57 PM IST