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उद्धव ठाकरे ने बताया - सोनिया पूछती हैं हमारे लोग परेशान तो नहीं कर रहे
डिजिटल डेस्क, मुंबई। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि मुझे कांग्रेस अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी फोन पर बातचीत के दौरान कहती हैं कि राज्य सरकार अच्छी तरह चल रही है। ठाकरे ने कहा कि सोनिया मुझसे फोन पर पूछती हैं कि हमारे लोग सता तो नहीं रहे हैं, पर मैं प्रदेश के कांग्रेसी मंत्रियों का पक्ष मजबूती से रखता हूं। मैं उनसे से कहता हूं कि राकांपा से भी ज्यादा सहयोग मुझे कांग्रेस के मंत्री करते हैं।
प्रदेश की महाविकास आघाड़ी सरकार के एक साल पूरे होने पर गुरुवार को ‘महाराष्ट्र रुका नहीं, रुकेगा नहीं नाम’ किताब का विमोचन किया गया। इस किताब में सरकार के साल भर के कामकाज का लेखाजोखा है। राज्य अतिथिगृह सह्याद्री में आयोजित कार्यक्रम में राकांपा अध्यक्ष शरद पवार, प्रदेश के उपमुख्यमंत्री अजित पवार और राजस्व मंत्री बालासाहब थोरात समेत राज्य मंत्रिमंडल के कई मंत्री मौजूद थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मेरी आलोचना होती है कि मैं घर से बाहर नहीं निकलता हूं, लेकिन सरकार के मंत्री घर-घर घुम रहे हैं। इसलिए मैं निश्चिंत हूं। मुझे अपने मंत्रियों पर विश्वास है। मुझे मंत्रियों के फोन टेप करने की जरूरत नहीं है। सहयोगियों का फोन टेप करना अपना धंधा नहीं है। मुख्यमंत्री ने कहा कि महाराष्ट्र कभी डरा नहीं और कभी डरेगा भी नहीं। महाराष्ट्र पर यदि राजनीतिक संकट लाने की कोशिश होगी तो उस संकट का भी डटकर मुकाबला करेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सत्ताधारी तीनों दलों को एक-दूसरे से संघर्ष का काफी अनुभव है। हम एक-दूसरे के खिलाफ संघर्ष करते हुए यहां तक पहुंचे हैं। अब हमें ध्यान में आया है कि संघर्ष करने पर क्या गंवाते हैं और एकसाथ आने पर जनता का आशीर्वाद कैसे कमाया जा सकता है। इसका अनुभव हम साल भर से ले रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मैंने शपथ लिया इसके बाद मुझे बताया गया कि राज्य मंत्रिमंडल की बैठक है। तब मुझे पता चला कि राज्य मंत्रिमंडल की बैठक कैसी होती है। मुझे कोई अनुभव नहीं था पर धीरे-धीरे अनुभव हो रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा ने शुरुआत में महाविकास आघाड़ी सरकार को तीन पहिए की सरकार कहा था, लेकिन भाजपा को यह समझ में नहीं आया कि चौथा पहिया जनता के विश्वास में है।
शरद पवार को किताब लिखने का सुझाव
मुख्यमंत्री ने कहा कि पवार मुझसे मिलने के लिए आते हैं तो बाहर चर्चा होती है कि बैठक में क्या हुआ। वे आते हैं उन्हें जो बोलना होता है, बोलते हैं उसके बाद वे अपने अनुभवों को साझा करते हैं। पवार को अपने अनुभवों से जुड़ी एक किताब लिखनी चाहिए। जिससे नए राजनेताओं को मार्गदर्शन मिल सकता है।
Created On :   3 Dec 2020 8:40 PM IST