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30 नवंबर को बहुमत साबित कर सकती है ठाकरे सरकार, कांग्रेस का स्पीकर और एनसीपी को होगा उपमुख्यमंत्री
डिजिटल डेस्क, मुंबई। उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली नई सरकार का पहला अधिवेशन 30 नवंबर को हो सकता है। इस दौरान विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव और विश्वास प्रस्ताव को मंजूरी मिलेगी। 28 नवंबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद उद्धव ठाकरे मंत्रालय जाकर मुख्यमंत्री का पदभार ग्रहण करेंगे। पदभार संभालने के बाद ठाकरे मंत्रिमंडल की पहली बैठक करेंगे। इस बैठक में राज्यपाल से 30 नवंबर को अधिवेशन बुलाने की सिफारिश की जा सकती है। राज्यपाल भगतसिंग कोश्यारी ने ठाकरे को बहुमत सिद्ध करने के लिए 3 दिसंबर तक का समय दिया है। ठाकरे इससे पहले ही यानी 30 नवंबर को बहुमत सिद्ध कर सकते हैं। शिवसेना, कांग्रेस और राकांपा गठबंधन के पास पर्याप्त संख्याबल होने के चलते विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव निर्विरोध हो सकता है। तीनों पार्टियों ने अपने विधायकों को मुंबई में ही रोक कर रखा है इसलिए उम्मीद की जा रही है कि सरकार जल्द से जल्द बहुमत साबित कर विधायकों को अपने-अपने इलाके में जाने की छूट दे सकती है।
कांग्रेस का होगा विधानसभा अध्यक्ष, एनसीपी को उपमुख्यमंत्री का पद
विधानसभा अध्यक्ष कांग्रेस पार्टी का होगा जबकि उपाध्यक्ष पद राकांपा के खाते में जाएगा और उपमुख्यमंत्री पद राकांपा को मिलेगा। ठाकरे सरकार में दो नहीं बल्कि एक उपमुख्यमंत्री पद होगा। राकांपा के वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल ने बुधवार की रात यह जानकारी दी। मंत्री पदों के बंटवारे को लेकर यशवंत राव सेंटर में शिवसेना-कांग्रेस और राकांपा नेताओं की बैठक हुई। इस बैठक में अजित पवार ने भी हिस्सा लिया। पटेल ने बताया कि गुरुवार को उद्धव ठाकरे के साथ तीनो दलों के दो दो नेता मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। मंत्रिमंडल का विस्तार 3 दिसंबर के बाद होगा।
बगैर विधायक सीएम बनने वाले आठवें नेता होगे उद्धव
मुख्यमंत्री सहित मंत्री बनने के लिए विधानमंडल के दोनों सदनों में से किसी एक का सदस्य होना जरुरी होता है, लेकिन राज्य में ऐसे कई मुख्यमंत्री हुए जिन्होंने बगैर विधायक बने सीएम पद की शपथ ली। गुरुवार को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे उद्धव ठाकरे भी ऐसे नेताओं में शामिल हैं। महाराष्ट्र में अब तक ऐसे 8 मुख्यमंत्री हुए हैं जो पद की शपथ लेते वक्त विधानमंडल के किसी सदन के सदस्य नहीं थे। महाराष्ट्र के गठन के बाद से अब तक बगैर विधानसभा व विधान परिषद की सदस्यता मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वालों में एआर अंतुले, वसंतदादा पाटील, शिवाजीराव पाटील-निलंगेकर, शंकरराव चव्हाण, शरद पवार, सुशीलकुमार शिंदे, पृथ्वीराज चव्हाण के बाद अब शिवसेना पक्षप्रमुख उध्दव ठाकरे शामिल होंगे। नियमानुसार विधानमंडल के किसी भी सदन का सदस्य न होने के बावजूद मुख्यमंत्री या मंत्री पद की शपथ लेने वाले व्यक्ति को 6 माह के भीतर विधान परिषद अथवा विधानसभा की सदस्यता लेनी होती है। 6 माह के भीतर किसी सदन की सदस्यता न हासिल करने पर 6 माह बाद इस्तीफा दे फिर से शपथ ग्रहण किया जा सकता है। हालांकि राज्य में अभी तक ऐसी स्थिति नहीं आई है।
अंतुले थे ऐसे पहले मुख्यमंत्री
1980 में राज्य के मुख्यमंत्री के लिए नाम तय करना था। इस पद के लिए सांसद वंसतदादा पाटील और विधायक प्रतिभा पाटील के नाम चर्चा में थे। लेकिन कांग्रेस पार्टी ने एआर अंतुले को मुख्यमंत्री बना दिया। उस वक्त तक अंतुले विधानमंडल के किसी सदन के सदस्य नहीं थे। बगैर विधायक बने मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले वे महाराष्ट्र के पहले नेता थे। बाद में विधानसभा उपचुनाव जीत कर वे सदन में पहुंचे और 12 जनवरी 1982 तक मुख्यमंत्री रहे। 1983 में मुख्यमंत्री बने वंसतदादा पाटील भी सीएम बनने के बाद विधान परिषद के सदस्य बने। इसी तरह 3 जून 1985 को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले शिवाजी पाटील-निलंगेकर सीएम पद की शपथ के बाद निलंगा विधानसभा उपचुनाव लड़ कर विधायक बने।
इसी तरह तत्कालिन केंद्रीय मंत्री शंकरराव चव्हाण को 12 मार्च 1986 को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनाया गया, इसके बाद वे विधान परिषद सदस्य बने। 1993 में शरद पवार केंद्रीय मंत्री थे। मुंबई में हुए दंगे के बाद सुधाकरराव नाईक को मुख्यमंत्री पद से हटा कर पवार को सीएम बना दिया गया। पवार भी विधान परिषद के रास्ते विधायक बने। 18 जनवरी 2003 को सुशील कुमार शिंदे को राज्य की कमान सौपी गई। शिंदे सोलापुर से विधानसभा उपचुनाव जीत विस में पहुंचे। आदर्श हाउसिंग घोटाले के चलते अशोक चव्हाण के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद 11 नवंबर 2010 को पृथ्वीराज चव्हाण राज्य के मुख्यमंत्री बनाए गए।
चव्हाण उस वक्त केंद्र में मंत्री थे। बाद में उनके लिए कांग्रेस के विधान परिषद सदस्य संजय दत्त ने अपनी सीट से इस्तीफा दिया। इस सीट पर हुए उपचुनाव से चव्हाण विधायक बन सके। अब 28 नवंबर 2019 को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले उद्धव ठाकरे फिलहाल विधानमंडल के किसी सदन के सदस्य नहीं हैं। उद्धव विधान परिषद के माध्यम से विधायक बनेंगे। हालांकि उनके मुंबई की किसी सीट से विधानसभा चुनाव भी लड़ने की चर्चा है। इसके लिए शिवसेना के किसी विधायक को इस्तीफा देना होगा।
Created On :   27 Nov 2019 9:29 PM IST