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वरवरा राव ने मांगी जमानत, कहा - एक साल में 149 दिन जेल के अस्पताल में बिता चुके
डिजिटल डेस्क, मुंबई। भीमा-कोरेगांव के एल्गार परिषद मामले में आरोपी वरवरा राव पिछले 365 दिनों में से 149 दिन अस्पताल के जेल में थे। इसलि उन्हें स्वास्थ्य ठीक न होने के आधार पर अंतरिम जमानत प्रदान की जाए। सोमवार को राव की जमानत के लिए पैरवी कर रही वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जय सिंह ने बांबे हाईकोर्ट से यह आग्रह किया। कोर्ट ने फिलहाल अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है।
अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने दावा किया कि सेहत ठीक न होने की वजह से 82 वर्षीय राव ने पिछले एक साल में अलग-अलग अस्पतालों में 149 दिन व्यतित किए हैं। राव को लगातार कारावास में रखना उनके जीवन व स्वास्थ्य के मौलिक अधिकार के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि विचाराधीन कैदी राव को तलोजा जेल से उनके हैदराबाद स्थित घर में अपने परिवार के साथ रहने की छूट दी जाए। उन्होंने कहा कि हर किसी को जीवन से प्रेम होता है। फिर चाहे वह कैदी ही क्यों न हो अदालत का काम जीवन की सुरक्षा करना है। मामले से जुड़े रिकार्ड दर्शाते हैं कि 365 में से 149 दिन राव अस्पताल में थे।
न्यायमूर्ति एस एस शिंदे व न्यायमूर्ति मनीष पीटले की खंडपीठ के सामने राव की ओर से दायर किए गए जमानत पर सुनवाई चल रही है। राव को जमानत देने के लिए उनकी पत्नी ने हाईकोर्ट में जमानत आवेदन दायर किया है। सुनवाई के दौरान खंडपीठ से आग्रह किया गया कि राव को सीमित समय कम से कम तीन माह के लिए अंतरिम जमानत पर छोड़ा जाए। अदालत इस जमानत अवधि के दौरान जो चाहे वह शर्त लगा सकती है। अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने कहा ने उन्होंने क्या अपराध किया है यह स्पष्ट नहीं है। उनके उपकरणों से कुछ फाइले मिली है। जो उनके किसी साजिश में शामिल होने का संकेत देती है। लेकिन वास्तविक रुप में राव ने कोर्ई अपराध नहीं किया है।
अधिक से अधिक सिर्फ उनके मन में अपराध की रुपरेखा थी जो सामने नहीं आई। राव पर गंभीर अपराध का आरोप है। लेकिन यह नहीं बताया जा रहा है कि अपराध क्या है। अभी तक मामले के मुकदमे की सुनवाई की शुरुआत नहीं हुई है। अगले दो साल और मुकदमे की सुनवाई शुरु होने की संभावना नजर नहीं आती है। इस मामले में 200 के करीब गवाह हैं, जिनकी गवाही को पूरा होने में वक्त लगेगा। इसलिए राव को तब तक जेल में रखने का कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने कहा कि राव ने 24 मुकदमों का सामना किया है जिसमें वे बरी हुए हैं।
वहीं राष्ट्रीय जांच एजेंसी की ओऱ से पैरवी कर रहे एडिशनल सालिसिटर जनरल अनिल सिंह ने कहा कि राव को जेल में सभी स्वास्थ्य सुविधाए सरकार देने को तैयार है ऐसे में राव को जमानत न दी जाए क्योंकि उन पर अवैध गतिविधि प्रतिबंधक कानून के तहत गंभीर आरोप हैं। इन दलीलों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि हर कैदी को तेजी से सुनवाई पाने का हक है। इस तरह खंडपीठ ने मामले से जुड़े पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित कर लिया। खंडपीठ ने कहा कि राज्य सरकार यह देखे की राव के उपचार से जुड़ा नानावटी अस्पताल के बिल का भुगतान किया जा चुका है की नहीं।
Created On :   1 Feb 2021 7:11 PM IST