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स्टॉफ तो मिला, नहीं मिले वाहन अपने ही साधन से लगा रहे गश्त

डिजिटल डेस्क, नागपुर। सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता बनाने के लिए हाल ही में तीन नए थाने खोले गए हैं। लेकिन अभी तक इन थानों को पूरी तरह मैन पॉवर व संसाधन नहीं मिले हैं। एक तरफ स्टाॅफ की कमी से तनाव बढ़ रहा है, वहीं दूसरी ओर गश्त लगाने के लिए खुद का वाहन व पेट्रोल का इस्तेमाल किए जाने से पुलिस कर्मचारियों की जेब ढीली हो रही है। हालांकि पुलिस प्रशासन के अनुसार जल्द ही इन थानों को स्टाॅफ व संसाधन दिए जाने वाले हैं। एक महीने पहले तक नागपुर शहर में आपराधिक गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए 30 थाने थे, जो लंबे से समय से शहर की आपराधिक गतिविधियों को संभाले हुए हैं। प्रति वर्ष स्मार्ट सिटी के तहत बढ़ते शहर के दायरे व जनसंख्या के कारण कई थानों का दायरा भी बड़ा होते चला गया। जिस कारण शहर में 8 नए थाने बनाने की दिशा में सरकार काम कर रही है। लगभग एक माह पहले ही शहर में ज्यादा जरूरत वाली जगहों पर तीन नए थानों का निर्माण किया गया, जिसमें पारडी, वाठोडा व कपिलनगर शामिल है।
जरीपटका थाना अंतर्गत बहुत ज्यादा एरिया आने से इसका कुछ हिस्सा काटकर नए थाना कपिलनगर को दिया गया है। वहीं कलमना थाने के दायरे का कुछ हिस्सा नए पारडी थाने को दिया गया। इसके अलावा जोन 4 में आने वाले नंदनवन थाने का दायरा भी बहुत ज्यादा बढ़ने से थाने का कुछ हिस्से की जिम्मेदारी नए थाने वाठोडा को सौंपी गई। अापराधिक गतिविधियों को रोक लगाने के लिए शहर के सभी थानों में 4 बड़े वाहन व लगभग 5 छोटे वाहन रखे गए हैं। जिसके सहारे दिन में व खासकर रात में पुलिस स्टॉफ अपने संवेदनशील एरिया में गश्त लगाते हैं। इससे डकैती, गुटों का झगड़ा जैसे मामले होने से पहले पुलिस की पकड़ में आ जाते हैं। नए थानों का निर्माण करने के बाद यहां भी बाकी थानों जैसा स्टॉफ व संसाधन मिलना अपेक्षित था, ताकि अपराध पर लगाम कस सकें। एक महीने से ज्यादा का समय होने के बाद भी इन थानों में अब तक न तो पूरी तरह से मैन पॉवर मिला और न ही अब तक इन्हें पेट्रोलिंग के लिए वाहन मिल सके हैं।
जेब हो रही ढीली
शहर में पहले से बने थानों में रखे गश्त वाहनों में एमटी सेक्शन से सरकार की ओर से पेट्रोल दिया जाता है। प्रतिदिन 10 लीटर पेट्रोल गश्त के लिए इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन उक्त तीनों थाने में कर्मचारियों को अपने ही वाहन में खुद के पैसों से पेट्रोल डालकर गश्त लगाना पड़ रहा है।
जल्द ही मिलेंगे संसाधन
निलोत्पत, डीसीपी, जोन-5 के मुताबिक थानों में कर्मचारियों की स्ट्रेंज बहुत ज्यादा मंजूर है, जिसे पूरा किया जाएगा। वाहन भी जल्दी दिलाए जाएंगे। इससे काम प्रभावित नहीं हो रहा है, क्योंकि जरूरत पड़ने पर मैन पॉवर व वाहन थानों को उपलब्ध कराया जाता है।
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ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।