नागपुर की सेंट्रल जेल में बंद पड़ी वीडियो कॉलिंग सुविधा , साल भर में 60 कॉल कर सकते थे कैदी

Video calling facility locked in Nagpur Central Jail, prisoners could make 60 calls in a year
नागपुर की सेंट्रल जेल में बंद पड़ी वीडियो कॉलिंग सुविधा , साल भर में 60 कॉल कर सकते थे कैदी
नागपुर की सेंट्रल जेल में बंद पड़ी वीडियो कॉलिंग सुविधा , साल भर में 60 कॉल कर सकते थे कैदी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। नागपुर की सेंट्रल जेल में वीडियो कॉविंग की सुविधा बंद हो गई है। जिससे साल भर में 60 कॉल करने की सरकार ने जो अनुमति दी है उस सेवा का किसी भी कैदी को लाभ नहीं मिल पा रहा है। राज्य की कुछ जेलों में बंद कैदियों के लिए जेल प्रशासन ने वीडियो कॉलिंग सुविधा शुरू की है। यह सुविधा ओपन जेल में भी शुरू की गई है। इसके लिए कैदी को संबंधित व्यक्ति का एक सप्ताह पहले मोबाइल नंबर देना पड़ता है। नंबर का पुलिस वेरिफिकेशन होने पर ही संबंधित कैदी को वीडियो कॉलिंग की अनुमति दी जाती है। नागपुर की सेंट्रल जेल में कैदियों के लिए वीडियो कॉलिंग सेवा शुरू की गई थी। यह सेवा उस समय एडिशनल डीजी (जेल) रहे पुलिस आयुक्त डा. भूषणकुमार उपाध्याय ने शुरू कराई थी। शुरूआत में यह सुविधा सिर्फ महिला कैदियों और ओपन जेलों में बंद कैदियों को दी गई थी 

मुंबई, पुणे, नाशिक में शुरू है सुविधा
जेल प्रशासन का कहना है कि, यह सुविधा देने के पहले पुलिस वेरिफिकेशन कराना पड़ता था। कई बार कुछ वेरिफिकेशन में त्रुटियां पाई गईं, जिसके चलते वीडियो कॉलिंग की सुविधा फिलहाल बंद करा दी गई है। नागपुर की सेंट्रल जेल में वीडियो कॉलिंग की सुविधा का लाभ लेने वाले कैदियों में महिला कैदी भी शामिल थीं। उस समय एक कैदी काे साल में करीब 60 बार वीडियो कॉल करने की अनुमति दी गई थी, जिसमें  विचाराधीन महिला कैदी माह में चार अौर दोषी करार महिला कैदी दो बार ही वीडियो कॉल कर सकती थीं। हालांकि वीडियो कॉलिंग की सुविधा सेंट्रल जेलों में ही की गई थी, जिला स्तरीय जेलों में यह सुविधा उस समय शुरू नहीं हो पाई थी। राज्य के मुंबई, पुणे, नासिक सहित अन्य कुछ सेंट्रल जेलों में यह सुविधा शुरू होने की जानकारी सूत्रों ने दी है। जेल प्रशासन द्वारा करीब 5 वर्ष पहले वीडियो कालिंग की सुविधा शुरू करवाई गई थी। 

सूत्रों के मुताबिक, जो कनविक्ट महिला (दोषी करार) कैदी हैं, वे महीने में दो बार अपने परिवार को वीडियो कॉल कर सकती थीं, पर जो विचाराधीन कैदी थीं, उन्हें माह में चार बार वीडियो कॉल करने की सुविधा मिलती थी।। हर कॉल दस मिनट से ज्यादा नहीं थी। कैदियों को जेल प्रशासन को परिवार के उन लोगों के मोबाइल नंबर पहले से देने पड़ते थे, जिस पर उन्हें बात करनी थी। इन मोबाइल नंबर धारकों का पुलिस वेरिफिकेशन होता था। पुलिस उसकी रिपोर्ट जेल भेजती थी। इसके बाद महिला और ओपन जेल में बंद कैदियों को कॉल करने की इजाजत दी जाती थी। वीडियो कॉल करने का पहले से दिन और समय निर्धारित किया जाता था। मुंबई की ऑर्थर रोड और नवी मुंबई की तलोजा जेल को छोड़कर राज्य की ज्यादातर सेंट्रल जेल खुलीं ही हैं। पुणे की येरवड़ा जेल में पुरुष और महिला दोनों तरह के कैदियों के लिए खुली जेलें बनाई गई हैं। इसके अलावा नागपुर, ठाणे, औरंगाबाद के पास पैठण, अहमदनगर के नजदीक वीसापुर सहित कई और शहरों में भी खुली जेलें हैं। जेल प्रशासन का मानना था कि, वीडियो कॉलिंग से जब महिला कैदी या खुली जेल में बंद आरोपी दूसरी तरफ अपने परिवार वालों के चेहरे देखेंगे तो उनका मानसिक तनाव काफी हद तक कम होगा।

नागपुर की सेंट्रल जेल में बंद  
नागपुर की सेंट्रल जेल में शुरूआत में कैदियों के लिए वीडियो कॉलिंग की सुविधा शुरू की गई थी, लेकिन अब यह बंद हो गई है। जेल के अधीक्षक का पदभार संभालने के पहले से यहां पर वीडियो कॉलिंग की सुविधा बंद हो चुकी थी।
-अनूप कुमरे, अधीक्षक, सेंट्रल जेल, नागपुर

महाराष्ट्र की जेलों में चिकित्सा सुविधाओं का सर्वेक्षण
महाराष्ट्र राज्य मानवाधिकार आयोग (एमएसएचआरसी) ने जेलों में बंद कैदियों के चिकित्सा सुविधाओं को लेकर काफी गंभीर हो गया है। एक कैदी ने जेल में घटिया इलाज कराने का दावा करते हुए न्यायालय में याचिका दायर की थी। उस याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य भर की सभी जेलों और जेलों में चिकित्सा सुविधाओं का ऑडिट करने का आदेश दिया गया था। जेल में चिकित्सा सुविधाओं की स्थिति की जांच करने के लिए स्वास्थ्य सेवा निदेशालय (डीएचएस) के साथ समन्वय के लिए विशेषज्ञों की एक समिति गठित करने के लिए अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक और जेल के महानिरीक्षक को कहा गया था। साथ ही इसकी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा था। उस याचिका में यह भी कहा गया था कि, सार्वजनिक अस्पतालों में कैदियों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया जाता है। "अक्सर डॉक्टर कैदियों को छूने से डरते हैं,। कुछ जेलों में होमियोपैथिक डॉक्टर ही नहीं हैं। जेलों में कई चिकित्सा अधिकारियों के पद खाली पड़े हैं।

यह भी जानें
भारत में 8 प्रकार की जेल हैं, सबसे आम और मानक जेल संस्थान केंद्रीय जेल, जिला जेल और सहायक जेल है। केंद्र सरकार राज्यों को भारत की जेलों में सुरक्षा बढ़ाने और पुरानी जेलों की मरम्मत और पुनर्निर्माण, चिकित्सा सुविधा, बोरस्टल स्कूलों की उन्नति, महिला अपराधियों को सुविधा, जेल कारोबार का आधुनिकीकरण, जेल के कर्मचारियों को तैयार करने में और उच्च सुरक्षा के उत्पादन के लिए मदद करती है।

देश की 5 बड़ी जेल

तिहाड़ जेल
नई दिल्ली में स्थित तिहाड़ जेल दक्षिण एशिया में जेलों का सबसे बड़ा परिसर है। यहां पर 5200 कैदियों को रखने की क्षमता है।
यहां पर कैदियों में सुधार लाने के लिए संगीत चिकित्सा का प्रयोग किया जाता है, जिसमें संगीत प्रशिक्षण सत्र और संगीत कार्यक्रम शामिल है। जेल में खुद का रेडियो स्टेशन है, जो कैदियों द्वारा चलाया जाता है।

येरवड़ा केंद्रीय जेल
येरवाड़ा सेंट्रल जेल पुणे में स्थित है। इस जेल में येरवड़ा ओपन जेल भी है। यह जेल 512 एकड़ में फैली हुई है। यहां पर 3,500 से अधिक कैदियों को रखा जा सकता है।

पुजल केंद्रीय जेल
चेन्नई के निकट तिरुवल्लूर में स्थित पुजल केंद्रीय जेल में 3000 से ज्यादा कैदियों को रखा जा सकता है। यह जेल 212 एकड़ के क्षेत्र में फैली हुई है।

नैनी केंद्रीय जेल
नैनी सेंट्रल कैद खाना के रूप में भी यह जेल जानी जाती है। उत्तर प्रदेश की यह जेल भारत की चौथी सबसे बड़ी जेल है। इलाहाबाद के करीब, नैनी में स्थित है और भारत में ब्रिटिश शासन के दौर में इसका निर्माण किया गया था। इसमें 3000 कैदियों को रखने की क्षमता है।

राजामुंदरी केंद्रीय जेल
आंध्र प्रदेश के राजामुंदरी में राजामुंदरी सेंट्रल जेल 196 एकड़ में फैली हुई है। यहां भी 2 हजार से अधिक कैदी रखे जा सकते हैं।
 

Created On :   4 Nov 2019 9:04 AM GMT

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