गांवों में अब भी जल रहा चूल्हा, ग्रामीणों पर 1000 रुपए का सिलेंडर पड़ रहा भारी

Villagers are still cooking food on Chulha, not able to buy cylinder
गांवों में अब भी जल रहा चूल्हा, ग्रामीणों पर 1000 रुपए का सिलेंडर पड़ रहा भारी
गांवों में अब भी जल रहा चूल्हा, ग्रामीणों पर 1000 रुपए का सिलेंडर पड़ रहा भारी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। गरीब गृहिणियों को सिगड़ी से निकलनेवाले धुएं से बचाने के लिए नागपुर जिले (शहर व ग्रामीण) में उज्ज्वला योजना के तहत करीब 80 हजार गैस कनेक्शन दिए गए, लेकिन ग्रामीण इलाकों में साल में औसतन 4 ही सिलेंडर उठाने की जानकारी सामने आई है। दरअसल, इसके पीछे कारण यह बताया जा रहा है कि ग्रामीण इलाकों में अब भी लकड़ी पर भोजन बनाने व पानी गरम करने का मोह नहीं टूटा और दूसरा यह कि करीब एक हजार रुपए का सिलेंडर खरीदना ग्रामवासियों को भारी पड़ रहा है। 

योजना का यह था उद्देश्य
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिगड़ी से निकलनेवाले धुएं से महिलाओं को बचाने के लिए उज्ज्वला योजना शुरू की थी। 2016 में यह योजना शुरू हुई। नागपुर जिले (शहर व ग्रामीण) में अब तक करीब 80 हजार कनेक्शन इस योजना के तहत बांटे गए हैं। शहर में केवल 7 हजार कनेक्शन दिए गए गए हैं। महज 1650 रुपए में पूरा कनेक्शन दिया जाता है। देखने में यह आया है कि ग्रामीण इलाकों में औसत 4 ही सिलेंडर उठाए जा रहे हैं, जबकि सरकार सालाना 12 सिलेंडर पर सब्सिडी देती है। 8 सिलेंडर ग्रामवासी उठा ही नहीं रहे हैं। ग्रामवासी ज्यादा से ज्यादा सिलेंडर उठा सकें, इसलिए 5 किलो का सिलेंडर भी लाया गया हैै।

14.2 किलो का करीब एक हजार रुपए का सिलेंडर लेना मुश्किल हो रहा है, तो 5 किलो का 270 रुपए का सिलेंडर खरीदा जा सकता है। जिनके पास 14.2 किलो के सिलेंडर है, वे लोग भी इसे वापस करके 5 किलो का सिलेंडर ले सकते हैं। सरकार इस योजना का पूरा लाभ गरीब परिवारों को देना चाहती है।

साल भर में ले सकते हैं 33 सिलेंडर 
सरकार के निर्देश पर ऑयल कंपनियों की ओर से 5 किलो का सिलेंडर देने की योजना लाई गई है। एक साल में 5 किलो वाले 33 सिलेंडर लिए जा सकते है। इन सभी सिलेंडरों पर पहले की तरह ही सब्सिडी मिलती रहेगी। फिलहाल उज्ज्वला योजना के तहत एक हजार लोगों को छोटे सिलेंडर (5 किलो) दिए गए हैं और यह प्रक्रिया जारी रहेगी।

डीलरों को लेनी है एलपीजी पंचायत 
ऑयल कंपनियों ने हर गैस डीलर को गांव-गांव में एलपीजी पंचायत लगाना अनिवार्य कर दिया है। डीलर को गांव में पंचायत लेकर जानकारी इकट्ठा करने के बाद सारा डाटा आनलाइन कंपनियों को भेजना है। योजना के तहत कितने कनेक्शन दिए, साल में कितने सिलेंडर उठाए गए, जो लोग सिलेंडर नहीं उठा रहे उनके लिए क्या विकल्प है, पांच किलो के सिलेंडर कितने लोगों को दिए गए, यह सारा डाटा कंपनी को ऑनलाइन भेजना है। 

बांटे जा रहे हैं छोटे सिलेंडर 
ग्रामीण इलाकों में आसानी से लकड़ी उपलब्ध हो जाती है, इसलिए भोजन बनाने से लेकर पानी गरम करने जैसे काम लकड़ी जलाकर किए जाते हैं। वैसे भी शहरवासियों की अपेक्षा ग्रामीणों का सिलेंडर उपभोग कम ही है। ज्यादा से ज्यादा (अधिकतम 12) सिलेंडर खरीदने में आसानी हो, इसलिए 5 किलो वाला सिलेंडर दिया जा रहा है। बड़ा सिलेंडर वापस करके छोटा सिलेंडर ले सकते हैं। छोटे सिलेंडर साल में 33 तक मिल सकते हैं और पहले की तरह ही इस पर भी सब्सिडी मिलेगी। जिले में 80 हजार कनेक्शन दिए गए हैं। करीब एक हजार छोटे सिलेंडर दिए गए हैं। डीलर भी संबंधित उपभोक्ताओं के संपर्क में हैं। 
- सचिनकुमार, फील्ड आफिसर उज्ज्वला योजना एचपीसीएल
 

Created On :   22 Jan 2019 7:42 AM GMT

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