जलसंरक्षण में आत्मनिर्भर बनेंगे गांव, अब जरुरत खराब सडक़ों को ठीक करने की

Villages will become self-sufficient in water conservation, now there is a need to fix bad roads
जलसंरक्षण में आत्मनिर्भर बनेंगे गांव, अब जरुरत खराब सडक़ों को ठीक करने की
शहडोल जलसंरक्षण में आत्मनिर्भर बनेंगे गांव, अब जरुरत खराब सडक़ों को ठीक करने की

डिजिटल डेस्क,शहडोल। जल संरक्षण की दिशा में जिले के गांव को आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है। साल 2022 की बात करें तो यहां 54 अमृत सरोवर का निर्माण पूर्ण हो चुका है। आने वाले एक से दो महीने में पूर्ण होने वाले अमृत सरोवरों की संख्या 104 हो जाएगी। ग्रामीण कहते हैं कि गांव खुशहाल होगा तो देश में खुशहाली आएगी। उनकी इसी मंशा को ध्यान रखकर रोजगार सृजन से लेकर पीएम आवास और दूसरे निर्माण कार्य जिले के अलग-अलग गांव तेजी से चल रहे हैं।

इस बीच कुछ गांव में समस्या समय से पहले आवागमन के लिहाज से जरुरी प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना (पीएमजीएसवाय) की सडक़ों के खराब हो जाने की है। ग्रामीण बताते हैं कि खनिज परिवहन करने वाले ओवरलोड वाहनों से सडक़ खराब होने के बाद शहर का सफर मुश्किल हो गया है, अब जरुरत ऐसी सडक़ों को समय रहते ठीक करने की है। जिला पंचायत सीईओ हिमांशु चंद्र का मानना है कि गांव में जिंदगी बेहतर और सुविधाजनक बनाने के लिए केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन की कोशिशें जारी है। 

हुए ये काम
- प्रधानमंत्री आवास योजना में 25 हजार से ज्यादा मकान तैयार कर ग्रामीणों के पक्के आवास का सपना पूरा हुआ।
- स्कूल के नवीन भवन से लेकर बाउंड्रीवाल निर्माण, स्टॉपडेम, मजरे-टोले को जोडऩे वाली सडक़, बिजली विहीन गांव तक बिजली पहुंचाने से लेकर प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को अपग्रेड करने जैसी 550 से ज्यादा छोटे-बड़े काम 8 सौ करोड़ रुपए की लागत से ड्रिस्ट्रिक मिनरल्स फंड (डीएमएफ) से हो रहे हैं। कई पूर्ण भी हो गए हैं।
- फल की खेती से अतिरिक्त आय का जरिया उपलब्ध कराने के लिए व्यक्तिगत फलउद्यान के लिए 5 सौ से ज्यादा प्रोजेक्ट चल रहे हैं। इस पूरे साल मनरेगा में 40 लाख से ज्यादा मानव दिवस का रोजगार सृजन किया गया। 
समस्याएं जिनका निदान जरुरी
अधिकांश गांव में जमीनी रिकॉर्ड का दुरुस्त नहीं होना बड़ी समस्या है। नक्शा तरमीम से लेकर जमीन का सीमांकन और रिकॉर्ड दुरुस्ती के लिए ग्रामीण घर में जरुरी काम छोडक़र जिला कार्यालय के चक्कर लगाने परेशान रहते हैं। जिले की यह बड़ी समस्या है, जिसका समय पर गांव में ही निदान जरुरी है। इसे जनजातीय कार्य मंत्री मीना सिंह भी गंभीर समस्या बताकर निदान की बात चुकी हैं। 
जिले के अलग-अलग विकासखंड में 40 से ज्यादा गांव ऐसे हैं, जो नदी पर पुल नहीं बनने से विकासखंड व जिला मुख्यालय पहुंचने के लिए लंबी दूरी तय करते हैं। इन गांव को विकास की मुख्य धारा से जोडऩे पुल व सडक़ निर्माण के कई मांग लंबित हैं।
 

Created On :   27 Dec 2022 8:38 AM GMT

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