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विरेन शाह ने लगाई पुलिस सुरक्षा की गुहार, गृहमंत्री और पुलिस आयुक्त को लिखा पत्र
डिजिटल डेस्क, मुंबई। दुकानों पर नाम का बड़ा बोर्ड मराठी भाषा लगाने के मामले में लगातार मिल रही धमकियों से परेशान रिटेल ट्रेडर्स वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष विरेन शाह ने राज्य के गृहमंत्री और मुंबई पुलिस आयुक्त को पत्र लिखकर सुरक्षा की गुहार लगाई है। शाह ने कहा कि हम महाराष्ट्र के कानून का पालन करेंगे। हमें मराठी में दुकानों के बाहर बोर्ड लगाने में कोई समस्या नहीं है। हमारी आपत्ति नाम के आकार को लेकर है। दुकानों पर मराठी में नाम लिखने का नियम पहले से है लेकिन सरकार जब 2001 में नया नियम लाई थी कि मराठी में नाम किसी और भाषा में लिखे गए नाम से बड़ा होना चाहिए तब हमने इसका विरोध किय़ा था। तब बांबे हाईकोर्ट ने अभिव्य़क्ति की स्वतंत्रता के आधार पर सरकार के फैसले पर रोक लगा दी थी। शाह ने गृहमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि साल 2008-09 में भी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने मुंबई पुलिस आयुक्तालय के सामने स्थित उनकी रूपम नाम की दुकान को निशाना बनाया था और दुकान के कांच तोड़ दिए थे। उस दौरान मेरे खिलाफ नफरती मुहिम चलाई गई। उस समय भी राज्य में कांग्रेस-राकांपा की सरकार थी। हाईकोर्ट के आदेश के बाद कई मनसे कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया था। शाह के मुताबिक उनके खिलाफ कुछ लोगों ने फिर से सोशल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के जरिए नफरत फैलाने वाली मुहिम शुरू कर दी है। अदालत पहले भी ऐसे मामले को गंभीरता से ले चुकी है।
हाईकोर्ट ने 2008-09 में सरकार को मुझे पुलिस सुरक्षा देने के निर्देश दिए थे। मुझे डर है कि एक बार फिर उसी तरह की मुहिम शुरू हो सकती है। शाह ने कहा कि उन्हें फोन पर धमकियां दिए जाने की सिलसिला शुरू हो गया है। गुरूवार को उनके दुकान के बाहर कुछ लोगों ने पोस्टर भी लगा दिए। शाह ने खुद को पुलिस सुरक्षा दिए जाने की मांग की है। साथ ही वे मामले में हाईकोर्ट का भी दरवाजा खटखटाएंगे। शाह ने मुंबई पुलिस से अपनी दुकान को भी सुरक्षा देने की मांग की है जिससे बोर्ड या कांच को तोड़े जाने से बचाया जा सके। शाह ने पत्र की प्रति शरद पवार, अजित पवार, सोनिया गांधी और राहुल गांधी को भी भेजी है। वहीं शुक्रवार को मनसे नेता संदीप देशपांडे ने मराठी बोर्ड न लगाने वाले दुकानदारों को धमकाते हुए ट्वीट किया कि जो दुकानदार मराठी बोर्ड का विरोध कर रहे हैं उनसे एक ही सवाल है कि दुकान का नाम बदलने का खर्च ज्यादा है या दुकान का कांच बदलने का। बता दें कि बुधवार को कैबिनेट की बैठक में राज्य सरकार ने व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर मराठी में नाम लिखा होने से जुड़े प्रस्ताव को मंजूरी दी है। साथ ही नियमों के मुताबिक मराठी में नाम किसी और भाषा से ज्यादा बड़ा होना चाहिए। कोरोना संक्रमण के दौरान आर्थिक तंगी से जूझ रहे कई दुकानदारों ने खर्च का हवाला देते हुए इस फैसले का विरोध किया है।
Created On :   14 Jan 2022 8:57 PM IST