मंत्रिमंडल फेरबदल का इंतजार, विदर्भ के जनप्रतिनिधियों की बढ़ीं उम्मीदें

Waiting for cabinet reshuffle, hopes of Vidarbhas public representatives increased
मंत्रिमंडल फेरबदल का इंतजार, विदर्भ के जनप्रतिनिधियों की बढ़ीं उम्मीदें
नागपुर मंत्रिमंडल फेरबदल का इंतजार, विदर्भ के जनप्रतिनिधियों की बढ़ीं उम्मीदें

डिजिटल डेस्क, नागपुर। राज्य मंत्रिमंडल के विस्तार व फेरबदल की चर्चाओं को फिर से बल मिलने लगा है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले के एक वक्तव्य के हवाले से दावा किया जा रहा है मंत्रिमंडल फेरबदल विदर्भ के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण होगा। 3 मार्च से मुंबई में विधानमंडल का बजट अधिवेशन शुुरू होने जा रहा है। विधानसभा अध्यक्ष का पद भी रिक्त है। लिहाजा माना जा रहा है कि अधिवेशन के दौरान ही मंत्रिमंडल के संबंध में कोई निर्णय लिया जा सकता है। गौरतलब है कि मंत्रिमंडल को लेकर महाविकास आघाड़ी की ओर से खुलकर कुछ नहीं कहा जा रहा है, लेकिन कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पटोले का एक वक्तव्य चर्चा में है। कहा जा रहा है कि पटोले ने भंडारा जिले में चुनावी कार्यक्रम में खुलकर कहा कि राज्य मंत्रिमंडल में बड़ा फेरबदल होगा। बजट अधिवेशन के बाद यह संभव है। तब तक पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के परिणाम भी आ जाएंगे। राजनीतिक जानकार भी मानते हैं कि विविध चुनावों की तैयारी व बदली हुई राजनीतिक स्थितियों को देखते हुए राज्य मंत्रिमंडल में फेरबदल अनिवार्य है। पटोले को लेकर आरंभ से ही चर्चा चलती रही है कि वे मंत्रिमंडल में शामिल किए जाएंगे। सरकार गठन के बाद उन्हें कुछ समय का इंतजार कर विधानसभा अध्यक्ष नियुक्त किया गया। बाद में उनसे विधानसभा अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिलाकर कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। राकांपा के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटील मंत्री भी हैं। लिहाजा दावा किया जाता रहा कि पटोले अध्यक्ष पद के साथ मंत्री पद की भी जिम्मेदारी संभालेंगे। लेेकिन चर्चाए निराधार साबित हुईं। इस बीच ऊर्जामंत्री नितीन राऊत के साथ पटोले की राजनीतिक स्पर्धा की चर्चा चली। राऊत को भी कांग्रेस के अनुसूचित जाति मोर्चा की जिम्मेदारी से अलग किया गया। विविध राजनीतिक हलचलों के बीच राज्य मंत्रिमंडल के विस्तार व फेरबदल का मामला लंबित ही रह गया। फिलहाल महाविकास आघाड़ी सरकार में विदर्भ की राजनीतिक भागीदारी बढ़ाने की मांग की जाने लगी है। महाविकास आघाड़ी में शामिल शिवसेना व राकांपा विदर्भ से मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व गंवा चुकी है। शिवसेना के नेता  संजय राठोर को फरवरी 2021 में वनमंत्री पद  से इस्तीफा देना पड़ा। युवती की अात्महत्या मामले में उनका नाम आने पर विवाद बढ़ा था। राकांपा के नेता अनिल देशमुख को मार्च 2021 में मंत्रिपद से इस्तीफा देना पड़ा था। वे गृहमंत्री पद की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। िवदर्भ में राकांपा के वे महत्वपूर्ण नेता माने जाते रहे हैं। राठोर व देशमुख के स्थान पर किसी विदर्भ के ही प्रतिनिधि को मंत्रिमंडल में स्थान मिलने की उम्मीद की जा रही है। बहुजन कल्याण मंत्री विजय वडेट्टीवार आरंभ से ही विभाग को लेकर असंतुष्ट हैं। लिहाजा फेरबदल में उन्हें अन्य विभाग मिलने की उम्मीद उनके समर्थकों की रहेगी। बाल कल्याण राज्यमंत्री बच्चू कड़ू को एक मामले में न्यायालय ने सजा सुनाई है। उनके मंत्रिपद को लेकर भी कई कयास लगाए जा सकते हैं। खास बात है कि नागपुर व अमरावती में मनपा चुनाव होनेवाले हैं। महाविकास आघाड़ी को बदली हुई राजनीतिक स्थिति में विदर्भ में निकाय संस्था के चुनावों में सफलता मिली है। इस स्थिति का लाभ लेने के लिए विदर्भ के जनप्रतिनिधियों की सत्ता में भागीदारी बढ़ायी जा सकती है।

Created On :   20 Feb 2022 5:30 PM IST

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