बाइक पर निकले मुंबई से जौनपुर युवक, उधर ट्रेन की अफवाह फैलते ही मजदूरों की जुटी भीड़, जानिए- यूपी के क्वारेंटाईन सेंटर का क्या है हाल 

When there was no option left to go to the village, traveled to Jaunpur
बाइक पर निकले मुंबई से जौनपुर युवक, उधर ट्रेन की अफवाह फैलते ही मजदूरों की जुटी भीड़, जानिए- यूपी के क्वारेंटाईन सेंटर का क्या है हाल 
बाइक पर निकले मुंबई से जौनपुर युवक, उधर ट्रेन की अफवाह फैलते ही मजदूरों की जुटी भीड़, जानिए- यूपी के क्वारेंटाईन सेंटर का क्या है हाल 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। कोरोना के प्रकोप के चलते प्रवासी मजदूरों के साथ-साथ अब छोटी कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारियों पर भी पलायन की नौबत आ पड़ी है। लॉकडाउन के बढ़ने की संभावना के मद्देनजर मुंबई में बसे उत्तर प्रदेश और बिहार के लोग अपने गांव में जा रहे हैं। ऐसे ही मुंबई के उपनगर गोरेगांव के प्रेमनगर में रहने वाले छह नौजवान मोटर साइकिल से चार दिनों का सफर तय करके मंगलवार सुबह उत्तर प्रदेश पहुंचे। इनमें चार लोग उत्तरप्रदेश के जौनपुर के केराकत तहसील और दो लोग आजमगढ़ के निवासी हैं। मुंबई से जौनपुर के जलालपुर ब्लॉक में स्थित थौर गांव में पहुंचने वाले शैलेंद्र कृष्ण यादव ने ‘दैनिक भास्कर’ से बातचीत में कहा कि हमारे पास कोई विकल्प नहीं होने के कारण मजबूरी में मोटर साइकिल से गांव आना पड़ा। हमने श्रमिक स्पेशल ट्रेन के लिए ऑनलाइन आवेदन किया था लेकिन ट्रेन के लिए कोई सूचना नहीं मिली। इसके बाद हम लोग मोटरसाइकिल ले जाने की अनुमति के लिए स्थानीय पुलिस स्टेशन में गए। जहां पर लगभग 1500 लोगों की भीड़ थी। इसके बाद हम लोगों ने मोटरसाइकिल से गांव जाने का फैसला किया। शैलेंद्र ने बताया कि हम तीन मोटरसाइकिल पर कुल छह लोग 8 मई को दोपहर तीन बजे घर से निकले थे। जिसके बाद चार दिन का सफर करने के बाद आज मंगलवार को अपने गांव में पहुंचे हैं। मुंबई से गांव तक पहुंचने के लिए हर मोटर साइकिल में लगभग तीन हजार रुपए का पेट्रोल लगा। 

शैलेंद्र ने कहा कि मुंबई से गांव पहुंचने तक के दौरान पुलिस ने नाशिक के कसारा घाट में रोका तो हम लोग दूसरे रास्ते से आगे निकले। इसके बाद केवल झांसी में पुलिस ने पूछताछ की। शैलेंद्र ने कहा कि धूप बहुत तेज थी, इसलिए हम लोग रात में ज्यादा सफर तय करते थे। हम सुबह 10 बजे तक मोटरसाइकिल चलाते थे। इसके बाद दोपहर में किसी स्कूल या ढाबे के किनारे आराम करते थे। फिर शाम 4 बजे के बाद निकलते थे। रात 9 बजे खाना खाने के बाद थोड़ी देर आराम करने के बाद आगे की ओर से निकलते थे। शैलेंद्र ने बताया कि हम सभी लोग मंगलवार सुबह पांच बजे वाराणसी पहुंचे। इसके बाद हम लोगों ने वाराणसी के कोरोना सेंटर में तापमान का जांच कराया। वहां से सर्टिफिकेट लेने के बाद सुबह 10 बजे तक हम अपने गांव पहुंचे। 

इंदौर में मिला मुफ्त में पोहा और झांसी में भोजन

शैलेंद्र ने कहा कि मुंबई से जौनपुर तक के सफर में हम लोगों को कई जगहों पर मुफ्त में खाने-पीने के लिए दिया गया। लेकिन सबसे अच्छी व्यवस्था मध्यप्रदेश में देखने को मिली। हमें नाशिक में हाइवे किनारे खिचड़ी खाने को मिली। नाशिक में बंद ढाबे की जगहों पर लोगों ने भोजन की व्यवस्था की है। इसके बाद मध्यप्रदेश के इंदौर हाइवे के टोल नाके को पार करने के बाद सर्विस रोड के किनारे स्थित एक इमारत में पोहा दिया गया। यहां से कुछ दूर भोजन की भी व्यवस्था थी। इसके बाद शिवपुरी से 18 किमी पहले झांसी में हाइवे किनारे भोजन की व्यवस्था थी। झांसी हाइवे से हम प्रयागराज की ओर से निकले। लेकिन उत्तर प्रदेश में पहुंचने के बाद कहीं पर भी खानपान की सुविधा नहीं थी। 

Created On :   12 May 2020 8:51 PM IST

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