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वन्य जीव विचरण क्षेत्र तय करने क्या मानक अपनाएगी सरकार - हाईकोर्ट

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य सरकार राज्य भर में वन्य जीव विचरण क्षेत्र निर्धारित करते समय कौन से मानक अपनाएगी। ताकि इस क्षेत्र में मुक्त होकर विचरण कर सके। बांबे हाईकोर्ट ने सरकार से इस संबंध में सरकार को 6 सप्ताह के भीतर अपना हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट ने यह निर्देश दिया वन शक्ति नामक गैर सरकारी संस्था की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया।
सोमवार को मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नांदराजोग व न्यायमूर्ति एनएम जामदार की खंडपीठ के सामने इस याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में मांग की गई है कि वन्य जीवों के लिए विचरण क्षेत्र निर्धारित करने के संबंध में 2006 में कानून बनाया गया था। इसके अंतर्गत राज्य राज्य भर के 49 अभ्यारण्य व नेशनल पार्क में वन्य जीव विचरण क्षेत्र तय करने के लिए कमेटी के गठन का प्रावधान किया गया था। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील अहमद अब्दी ने कहा कि सरकार ने अगस्त 2018 में यानी 12 साल बाद इस विषय को लेकर कमेटी गठित की है। जबकि वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए वन्य जीव क्षेत्र तय किया जाना जरुरी है। सरकार को वैज्ञानिक तरीका अपनाते हुए यह क्षेत्र जल्द से जल्द तय करना चाहिए।
वहीं सरकारी वकील ने कहा कि सरकार ने वन्य जीव क्षेत्र तय करने के लिए कई कदम उठाए है। इसके तहत जगलों के निकट रहनेवाले आदिवासियों के पुनर्वास को लेकर कई योजनाए लाई है। सरकार जल्द ही वन्य जीव क्षेत्र तय करने की दिशा में कदम उठाएगी। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि सरकार हमे अगली सुनवाई के दौरान बताए कि वह वन्य जीव क्षेत्र तय करते समय उसका उद्देश्य क्या होगा। वह ऐसे क्षेत्र तय करने के लिए कौन से मानदंड व वैज्ञानिक तरीके अपनाएगी। क्योंकि प्राणियों के मुक्त विचरण के लिए वन्यजीव क्षेत्र निर्धारित किया जाना जरुरी है। खंडपीठ ने फिलहाल मामले की सुनवाई 6 सप्ताह तक के लिए स्थगित कर दी है।

बांबे हाईकोर्ट ने रेलवे प्रशासन से जानना चाहा है कि क्या वह दिव्यांग प्रवासियों के सफर को असान बनाने के लिए लोकल ट्रेन में रैंप लगा सकता है। हाईकोर्ट ने यह सवाल इंडियन सेंटर फांर ह्युमन राइट नामक संस्था की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान किया। याचिका में दावा किया गया है कि रेलवे स्टेशन में नियमानुसार दिव्यांगों को सुविधाएं नहीं प्रदान की जाती है। इसलिए रेलवे को दिव्यांगों के अनुरुप सुविधाएं प्रदान करने का निर्देश दिया जाए। सोमवार को मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नांदराजोग व न्यायमूर्ति एनएम जामदार की खंडपीठ के सामने इस याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता की वकील मिनाज काकालिया ने कहा कि जो दिव्यांग यात्री व्हील चेयर से प्लटेफार्म में जाते है वे आसानी से ट्रेन के डिब्बे में प्रवेश कर सके इसके लिए रैंप नहीं लगे होते है जिससे ऐसे यात्रियों को काफी मुश्किले आती है। इस पर रेलवे की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने कहा कि लोकल ट्रेन सिर्फ 15 सेंकड के लिए रुकती है। ऐसे में रैंप लगाने से ट्रेन सेवा पर असर पड़ेगा। इन दलीलों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि वह दिव्यांगों से जुड़ी परेशानी का समाधान निकाले। उसे समाधान निकालने में क्या दिक्कते आ रही है। इस संबंध में हलफनामा दायर किया जाए। खंडपीठ ने फिलहाल मामले की सुनवाई तीन सप्ताह तक के लिए स्थगित कर दी।
Created On :   17 Jun 2019 7:07 PM IST