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सड़क पर दिन गुजार रहे बच्चों के लिए उठाए कौन से कदम - हाईकोर्ट

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जानना चाहा है कि क्या सड़कों पर जिंदगी गुजारने वाले बच्चों के रहने के लिए विभिन्न इलाकों में रैन बसेरा बनाने से जुड़ा क्षेत्रवार सर्वेक्षण का काम पूरा किया गया है? अदालत ने सरकार को निर्देश दिए हैं कि वह ऐसे बच्चों को अर्थपूर्ण जीवन देने के लिए उचित कदम उठाए। हाईकोर्ट ने सड़कों पर रहने वाले बच्चों (स्ट्रीट चिल्ड्रन) के मुद्दे को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता के.पी मुस्तफा की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिया।
इससे पहले हाईकोर्ट को बताया गया कि साल 2013 में एक सर्वेक्षण रिपोर्ट सौंपी गई थी, जिसमें 37 हजार स्ट्रीट चिल्ड्रन होने का दावा किया गया था। इस बीच साल 2014 में सड़कों में जीवन यापन करने वाले बच्चों के जीवन व शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए राज्य के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक कार्यदल का गठन किया गया था। इस कार्यदल ने अब तक सिर्फ एक रिपोर्ट पेश की है। कार्यदल की बैठक में आगे क्या हुआ इसकी जानकारी सामने नहीं आयी है।
बंद स्कूलों को बेघर बच्चों के रैन बसेरे के तौर पर इस्तेमाल करने पर हो विचार
मामले की पिछली सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने 5 दिसंबर 2018 को राज्य सरकार को अपनी रैन बसेरे से जुड़ी नीति व मुंबई महानगरपालिका से नशा मुक्ति केंद्रों की जानकारी मांगी थी। मुख्य जस्टिस नरेश पाटील व जस्टिस एमएस कर्णिक ने मामले से जुड़े सभी पक्षों को सुनने के बाद पाया कि मुंबई में 214 मराठी माध्यम के स्कूल थे, जिनमें से 67 स्कूल बंद हो चुके हैं। इस पर बेंच ने कहा कि मनपा हमें बताए की क्या इन स्कूलों का इस्तेमाल रैन बसेरे के लिए किया जा सकता है, जिससे सड़कों पर रहने वाले बच्चों की जरुरतों व समस्याओं का हल मानवीय तरीके से निकाला जा सके? अदालत ने सरकार ऐसे बच्चों के जीवन को अर्थपूर्ण बनाने की दिशा में उचित कदम उठाने को भी कहा है। हाईकोर्ट ने कहा कि रैन बसेरे के लिए व स्ट्रीट चिल्ड्रन के विकास के लिए केंद्र सरकार की ओर से नेशनल अर्बन लाइविलीहूड मिशन के तहत गैर सरकारी संस्थाओं को दिए जाने वाले अनुदान का सही तरीके से इस्तेमाल किया जा रहा है कि नहीं इसकी जानकारी हमें अगली सुनवाई के दौरान उपलब्ध कराई जाए। जिन गैर सरकारी संस्थाओं को अनुदान दिया जाता है उनका आडिट होता है कि नहीं?
बेंच ने कहा कि हम अपेक्षा रखते है कि राज्य के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित कार्यदल सड़कों पर रहने वाले बच्चों के कल्याण के काम को प्राथमिकता से करेगा ताकि उन्हें शिक्षा के अधिकार कानून के तहत मिले अधिकारों का लाभ मिल सके। कार्यदल अपनी अगामी बैठक को लेकर सभी संबंधित लोगों को समय पर सूचित करेगा और मामले को लेकर उचित निर्णय लेगा। बेंच ने फिलहाल मामले की सुनवाई 16 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी है।
Created On :   23 Dec 2018 6:47 PM IST