हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा - अब तक क्यों नहीं दर्ज हुई FIR

Why an FIR has not yet been lodged in connection with the Chikki scam -HC
हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा - अब तक क्यों नहीं दर्ज हुई FIR
चिक्की घोटाला मामला हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा - अब तक क्यों नहीं दर्ज हुई FIR

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि चिक्की घोटाले को लेकर अब तक एफआईआर क्यों नहीं दर्ज कराई गई है। हाईकोर्ट ने सरकार से जानना चाहा है कि एकीकृत बाल विकास योजना के तहत बच्चों को कथित तौर पर घटिया दर्जे की चिक्की की आपूर्ति व वितरण करनेवाले निजी ठेकेदार के खिलाफ मामला क्यों नहीं दर्ज कराया गया है। 

साल 2015 में चिक्की घोटाले की जांच को लेकर दायर की गई याचिकाओं पर गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति गिरीष कुलकर्णी की खंडपीठ के सामने सुनवाई हुई। इन याचिकाओं में कहा गया है कि जब भारतीय जनता पार्टी की नेता पंकजा मुंडे राज्य की महिला व बाल विकास मंत्री थी। उस समय चिक्की व दूसरे उत्पादों के वितरण के ठेके कुछ ठेकेदारों को दिए गए थे। याचिका में दावा किया गया है कि महिला व विकास मंत्रालय ने कथित तौर पर चिक्की के ठेके के लिए टेंडर आवंटित करते समय निर्धारित कानूनी प्रक्रिया व नियमों का पालन नहीं किया। 

सुनवाई के दौरान खंडपीठ के सामने याचिकाकर्ता के वकील ने दावा किया कि बच्चों को घटिया दर्जे की चिक्की वितरित की गई थी। इसके लिए 24 ठेकेदारों को करोड़ो रुपयों का ठेका दिया गया था। लैब में हुई चिक्की की जांच के दौरान उसमें रेत पायी गई थी। कोर्ट के अंतरिम आदेश के बाद ठेके पर रोक लगाई गई थी। ठेकेदार को दिए जानेवाले पैसों के भुगतान पर भी रोक लगाई गई थी। 

इन दलीलों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि क्या इस मामले में ठेके आवंटित करते समय निर्धारित नियमों का पालन किया गया थाॽ इसके बाद हम चिक्की की गुणवत्ता के सवाल पर जाएंगे। 

इस दौरान खंडपीठ ने सरकारी वकील प्रियभूषण काकडे से पूछा कि क्या इस मामले में कोई एफआईआर दर्ज की गई है। खाद्य सुरक्षा कानून से जुड़े नियमों के उल्लंघन के लिए कोई अपराध दर्ज हुआ हैॽ इसका सरकारी वकील ने नकारात्मक उत्तर दिया। इस जवाब पर खंडपीठ ने कहा कि अब तक चिक्की की आपूर्ति करनेवाले निजी सप्लायर के खिलाफ कुछ क्यों नहीं किया गया है।

आपके (सरकारी) अधिकारी पेड़ा-बर्फी को लेकर मामला दर्ज कराने में व्यस्त रहते हैं। इस मामले में क्यों एफआईआर नहीं दर्ज कराया गया जबकि बच्चे इससे प्रभावित हुए हैं। खंडपीठ ने फिलहाल याचिकाकर्ता को मामले से जुड़े शासनादेशों की अंग्रेजी में अनुवादित प्रति उपलब्ध कराने को कहा है और याचिका पर 2 सितंबर 2021 को सुनवाई रखी है। 

Created On :   12 Aug 2021 6:38 PM IST

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