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अवैध निर्माण गिराने के आदेश को लेकर कैविएट क्यों दाखिल नहीं करती मनपा
डिजिटल डेस्क, मुंबई। अवैध निर्माण को ढहाने का आदेश जारी करने के बाद महानगरपालिका सिविल कोर्ट में कैवियट दायर नहीं करती है। इस बात की जानकारी मिलने के बाद बांबे हाईकोर्ट ने वसई विरार महानगरपालिका से जवाब मांगा है। कोर्ट ने वसई-विरार मनपा को हलफनामे में स्पष्ट करने को कहा है कि उसने दो साल में अवैध निर्माण को ढहाने को लेकर कितने आदेश जारी किए हैं और सिविल कोर्ट में कितनी कैवियट दायर किया है। किसी को एक तरफा आदेश हासिल करने से रोकने के लिए कोर्ट मे कैवियट दायर किया जाता है। कोर्ट में वसई-विरार में अवैध निर्माण को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई चल रही है। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति एमएस कर्णिक की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता अजय जैसवाल ने कहा कि राज्य सरकार ने 3 मई 2018 को एक शासनादेश जारी किया है। जिसके तहत सभी महानगरपालिकाओं को निर्देश दिया गया है कि जैसे ही अवैध निर्माण को ढहाने का आदेश जारी किया जाता है वैसे ही शीघ्रता से सीविल कोर्ट में कैवियट दायर की जाए। लेकिन वसई-विरार मनपा सरकार के इस शासनादेश में दिए गए निर्देश का पालन नहीं कर रही है। इस पर खंडपीठ ने वसई-विरार मनपा को निर्देश दिया कि वह बताए कि दो साल में उसने अवैध निर्माण को ढहाने को लेकर कितने आदेश जारी किए और कितने कैवियट सीविल कोर्ट में दायर किए। खंडपीठ ने अब इस मामले की सुनवाई 4 जुलाई 2022 को रखी है।
Created On :   7 Jun 2022 9:18 PM IST