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शिवसेना सांसद के खिलाफ आरोप दाखिल करने क्यों नहीं दी अनुमति : हाईकोर्ट का सरकार से सवाल
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने अवैध प्रार्थना स्थल को गिराने गए अधिकारी के साथ बदसलूकी व मारपीट करने के मामले में आरोपी औरंगाबाद से शिवसेना के सांसद चंद्रकांत खैरे के खिलाफ आरोपपत्र दायर करने की मंजूरी न देने के मामले में राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। हाईकोर्ट ने कहा कि इस मामले से एक सांसद का नाम जुड़ा है। इसलिए सरकार ने औरंगाबाद पुलिस द्वारा भेजे गए दो प्रस्तावों को मंजूरी नहीं प्रदान की है। इससे पहले कोर्ट को बताया गया कि अधिकारी के साथ बदसलूकी मामले की जांच पूरी हो चुकी है पुलिस ने आरोपपत्र दायर करने की अनुमति के लिए सरकार के पास प्रस्ताव भेजा था लेकिन अब तक इन प्रस्तावों पर निर्णय नहीं लिया गया है। इस बात को जानने के बाद खंडपीठ ने कहा कि आरोपपत्र दायर करने की अनुमति को लेकर दिसंबर 2015 व अगस्त 2017 में प्रस्ताव भेजा गया था लेकिन अब तक इन प्रस्तावों को क्यों प्रलंबित रखा गया है। सरकार इसका अगली सुनवाई के दौरान खुलासा करे। सरकार के रुख को देखकर ऐसा महसूस होता है कि इस मामले से एक संासद जुड़ा है इसलिए अनुमति नही दी जा रही है। गौरतलब है कि खैरे पर साल 2015 में औरंगाबाद के एमआईडीसी इलाके में अवैध प्रार्थना स्थल गिराने गए तहसीलदार के साथ मारपीट करने का आरोप है।
अवैध प्रार्थना स्थलों को गिराने में क्यों हो रही देरी
इसके साथ ही अदालत ने सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है कि अवैध प्रार्थना स्थलों को गिराने में विलंब क्यों हो रहा है? क्योंकि सरकार को 29 सितंबर 2009 के बाद बने सभी अवैध प्रार्थना स्थलों को दिसंबर 2017 तक गिराना था। इस बीच याचिकाकर्ता भगवान जी रयानी ने खंडपीठ के सामने कहा कि राज्य भर में 50 हजार अवैध प्रार्थना स्थलों की पहचान की गई थी लेकिन सरकार ने इसमे से करीब 44 हजार प्रार्थना स्थलों को वैध कर दिया है। इस तरह से 90 प्रतिशत अवैध प्रार्थना स्थलों को वैध कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि जिन प्रार्थना स्थलों को वैध किया गया है. उससे ट्रैफिक में अवरोध पैदा हो रहा अथवा नहीं। यह जानने के लिए आयोग गठित किया जाए। इस पर खंडपीठ ने कहा कि सरकार ने साल 2017 तक अवैध प्रार्थना स्थलों को गिराने की समय सीमा तय की थी पर अब तक अवैध प्रार्थना स्थलों को गिराया क्यों नहीं गया? इस दौरान सरकार की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि उन्हें अवैध प्रार्थना स्थलों को गिराने के लिए 6 महीने का और समय दिया जाए। इस पर खंडपीठ ने कहा कि पहले हमे अवैध प्रार्थना स्थल न गिराने के कारण बताए जाए इसके बाद हम समय देने पर विचार करेंगे। यदि हमे महसूस हमे कार्रवाई न करने को लेकर दिया गया कारण उचित नहीं लगा तो इसके लिए जिम्मेदार अधिकारी के खिलाफ न्यायालय की अवमानना कानून के तहत कार्रवाई की जाएगी। खंडपीठ ने कहा कि कार्रवाई के लिए राज्य स्तरीय ,जिला स्तरीत व महानगरपालिका स्तर पर नागपुर, औरंगाबाद, अमरावती, पुणे व मुंबई में कमेटी बनाई गई थी। इन कमिटियों की बैठक में क्या हुआ इसकी जानकारी हमे अगली सुनवाई के दौरान दी जाए।
मनपा अधिकारियों को कार्रवाई से रोकती है आम सभा
इस बीच नाशिक महानगरपालिका की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता ने कहा कि महानगरपालिका की आम सभा ने कई ऐसे प्रस्ताव पारित किए हैं जो मनपा अधिकारियों को अवैध प्रार्थना स्थलों के खिलाफ कार्रवाई करने से रोकते हैं। आम सभा के प्रस्तावों पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने कहा कि प्रस्तावों में ऐसा कुछ नहीं है जो कार्रवाई करने से रोकता हो। खंडपीठ ने कहा कि आम सभा हाईकोर्ट के आदेश को लागू मत करो इस तरह का प्रस्ताव नहीं पारित कर सकती है। खंडपीठ ने फिलहाल मामले की सुनवाई 7 सितंबर तक के लिए स्थगित कर दी है।
Created On :   23 Aug 2018 4:00 PM GMT