हाईकोर्ट ने पूछा- सेवानिवृित्त के बाद सरकारी मकान में क्यों रह रहे हैं पुलिसकर्मी

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हाईकोर्ट ने पूछा- सेवानिवृित्त के बाद सरकारी मकान में क्यों रह रहे हैं पुलिसकर्मी
हाईकोर्ट ने पूछा- सेवानिवृित्त के बाद सरकारी मकान में क्यों रह रहे हैं पुलिसकर्मी

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जानना चाहा है कि सेवानिवृत्ति के बाद भी पुलिसकर्मी सरकारी मकान में मुफ्त में क्यों रह रहे है। हाईकोर्ट ने सरकार को तीन सप्ताह के भीतर हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति शांतनु केमकर व न्यायमूर्ति एम एस कर्णिक की खंडपीठ ने हेड कांस्टेबल सुनील टोके की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद यह निर्देश दिया। इस दौरान टोके की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता प्रदीप हवनूर ने कहा कि काफी संख्या में पुलिसकर्मी सेवानिवृत्त के बाद भी निशुल्क सरकारी मकानों में रह रहे है। इसका वे कोई किराया भी नहीं दे रहे है। इस पर खंडपीठ ने कहा कि आखिर सेवानिवृत्त के बाद पुलिसकर्मी सरकारी मकानों में क्यों मुफ्त में रह रहे है? इस दौरान सहायक सरकारी वकील ने कहा कि उन्हें इस मामले में जवाब देने के लिए वक्त दिया जाए। 

मामले की सुनवाई तीन सप्ताह तक के लिए स्थगित 
सरकारी वकील के इस आग्रह को स्वीकार कर करते हुए खंडपीठ ने मामले की सुनवाई तीन सप्ताह तक के लिए स्थगित कर दी। गौरतलब है कि टोके ने याचिका में दावा किया गया है कि सेवानिवृत्त के बाद भी  1850 पुलिसकर्मी व उनके घरवाले सराकारी मकान पर कब्जा जमाए हुए है।  जबकि 2500 पुलिसकर्मी मकान मिलने का इंतजार कर रहे है। याचिका में अदालत से अनुरोध किया है कि वह राज्य के गृह विभाग को निर्देश दे की वह सेवानिवृत्त के बाद भी सरकारी घर पर कब्जा जमाए पुलिसकर्मियों से मकान खाली कराए। 

पुलिस कर्मियों से मकान का किराया और बिजली का बिल भी वसूलें 
यहीं नहीं अवैध रुप से रह रहे इन पुलिस कर्मियों से मकान का किराया व बिजली का बिल भी वसूला जाए। क्योंकि कानून किसी को भी सेवानिवृत्त के बाद सरकारी मकान में रहने का अधिकार नहीं है। सरकार मकान पर कब्जा जमाना नियमो के खिलाफ है। 

Created On :   2 April 2018 8:01 PM IST

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