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पत्नी को खाना बनाना नहीं आता, यह कहना क्रूरता नहीं: हाईकोर्ट

डिजिटल डेस्क, मुंबई। यह कहना कि ‘पत्नी को अच्छा खाना बनाना नहीं आता’, क्रुरता नहीं है। बांबे हाईकोर्ट ने यह कहते हुए पति व उसके रिश्तेदारों के रिहाई के आदेश को कायम रखा है। इस मामले से जुड़े तीनों आरोपियों को पुणे की सत्र न्यायालय ने साल 2003 में बरी कर दिया था। जिसके खिलाफ राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में अपील की थी। न्यायमूर्ति के.आर श्रीराम के सामने मामले की सुनवाई हुई। मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद न्यायमूर्ति ने पाया कि आरिफा का विवाह अकरम शेख के साथ हुआ था। शादी के 6 महीने बाद आरिफा ने 10 फरवरी 2002 को आत्महत्या कर ली थी।
अदालत ने पति की रिहाई के आदेश को माना सही
इसके बाद आरिफा के घरवालों ने अकरम व उसके रिश्तेदारों पर आरोप लगाया था कि उसकी बेटी के साथ इसलिए बुरा व्यवहार किया जाता था क्योंकि उसे अच्छा खाना बनाना नहीं आता था। इसके अलावा वह गर्भवती भी नहीं हो पा रही थी। आरिफा के घरवालों की इस शिकायत के आधार पर पुलिस ने अकरम व उसके माता-पिता के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए (क्रूरता),306(आत्महत्या के लिए उकसाने) व 34 के तहत मामला दर्ज किया था। सत्र न्यायालय ने इस मामले में सबूत के आभाव में ममले से जुड़े तीनों आरोपियों को बरी कर दिया था।
Created On :   9 Feb 2020 4:01 PM IST