बगैर लोकल ट्रेन शुरु नहीं हो पाएगी मुंबई के डिब्बेवालों की सेवा

Without the local train dibbewala of Mumbai not be able to start work
बगैर लोकल ट्रेन शुरु नहीं हो पाएगी मुंबई के डिब्बेवालों की सेवा
बगैर लोकल ट्रेन शुरु नहीं हो पाएगी मुंबई के डिब्बेवालों की सेवा

डिजिटल डेस्क, मुंबई। लॉकडाउन के बीच निजी कार्यालय 10 प्रतिशत कर्मचारियों की मौजूदगी में सोमवार से शुरू हुए हैंस, लेकिन डिब्बे वालों ने अपनी सेवाएं शुरू नहीं की है। डिब्बे वालों का कहना है कि मुंबई में उपनगरीय लोकल ट्रेन सेवाएं बहाल होने तक भोजन के डिब्बे पहुंचाने की सेवा शुरू करना संभव नहीं है। सोमवार को डिब्बेवाला एसोसिएशन के अध्यक्ष सुभाष तलेकर ने ‘दैनिक भास्कर’ से बातचीत में कहा कि निजी कार्यालय शुरु हुए हैं, लेकिन लोकल ट्रेनें शुरू नहीं हुई हैं। लोकल ट्रेनों के बिना डिब्बा पहुंचाने का कोई दूसरा साधन नहीं है। तलेकर ने कहा कि हम डिब्बे पहुंचाने का काम शुरु करना चाहते हैं, इसके लिए ग्राहकों का सहयोग चाहिए। यदि हमें आवासीय सोसायटियों में प्रवेश नहीं दिया गया, तो घर-घर से डिब्बे कैसे ले पाएंगे। इसके अलावा कार्यालयों में भी डिब्बों को पहुंचाने की अनुमति मिलनी चाहिए। तलेकर ने कहा कि डिब्बे वालों को मार्च महीने से वेतन नहीं मिल सका है। डिब्बे वालों की आर्थिक स्थिति भी खराब है। इस कारण हम लोग केवल मुंबई शहर में दादर, परेल जैसे इलाकों में साइकिल से डिब्बे पहुंचाने पर विचार कर रहे हैं। इसके लिए ग्राहकों से मदद की जरूरत पड़ेगी। 

रिश्तेदारों से भी सरोकार नहीं रखना चाहते डरे मुंबईकर

तलेकर ने कहा की कोरोना के भय के चलते फिलहाल स्थिति अब ऐसी हो गई है कि लोग रिश्तेदारों को भी अपने घर में नहीं रखना चाहते। घर में आने वाले नए रिश्तेदारों को 14 दिनों तक क्वारेंटाइन रहने के लिए कहा जाता है। तलेकर ने कहा कि डिब्बे वालों पर दोहरी मार पड़ी है। लॉकडाउन के कारण सेवाएं बंद होने के बाद डिब्बे वाले अपने गांव चले गए थे। अधिकांश डिब्बे वाले पुणे के मावल संसदीय क्षेत्र में रहते हैं। पुणे में चक्रवाती तूफान निसर्ग के कारण गांवों में डिब्बे वालों के घरों की छत उड़ गई है। इस कारण डिब्बे वालों के सामने नई परेशानी खड़ी हो गई है।

44 साल बाद रुकी सेवा 

गौरतलब है कि लगभग 5 हजार डिब्बे वाले शहर में प्रति दिन 2 लाख लोगों को टिफिन पहुंचाने का काम करते हैं। महानगर में 44 साल बाद डिब्बे वालों की सेवा बंद हुई है। 1974 में मजदूर नेता जॉर्ज फर्नांडिस ने मुंबई में रेल रोको आंदोलन किया था। उस आंदोलन के कारण लोकल ट्रेन सेवाएं ठप हो गई थी। इस वजह से तब डिब्बे वालों ने 12 से 15 दिन तक के लिए टिफिन सेवा बंद रखी थी। कोरोना संकट के कारण शुरु लॉकडाउन के चलते बीते 20 मार्च से डिब्बेवालों की सेवाएं बंद हैं। ब्रिटेन के प्रिंस चार्ल्स से डिब्बे वालों का विशेष सम्बंध रहा है।  
 

Created On :   8 Jun 2020 7:58 PM IST

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