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रेशम की खेती से संवार रही किस्मत, बचत समूह की महिलाओं का कमाल
डिजिटल डेस्क, कुरखेड़ा /गड़चिरोली। रेशम की खेती करना मामूली बात नहीं है। इससे जुड़ी कई अहम बातों की जानकारी जरूरी होती है। लेकिन उद्योगविहीन गढ़चिरोली की महिलाओं ने चुनौती भरा यह कार्य कर दिखाया बल्कि इससे अच्छा खासा मुनाफा भी कमाया। यहां बचत समूह की महिलाओं ने कोसा की खेती आरंभ की है। खेती करने से पूर्व आरमोरी के टसर केंद्र में कढ़ोली और बोरी चक की महिलाओं ने विशेष प्रशिक्षण लिया। तहसील के कढ़ोली और बोरी चक की महिलाओं ने बचत समूह बना कर रेशम उत्पादन के लिए कोसा की खेती करनी आरंभ की है। इससे प्रति माह महिलाओं को हजारों रुपए की आमदनी मिल रही है। केंद्रीय टसर मंडल इन महिलाओं को विशेष प्रशिक्षण भी दे रहा है। महिलाओं की एक पहल ने उनकी जिंदगी बदलकर रख दी।
कुरखेड़ा तहसील के कढ़ोली तथा आरमोरी के बोरी चक गांव की 10 महिलाओं ने सर्वप्रथम एक महिला बचत समूह का निर्माण किया। बचत समूह के निर्माण के बाद रोजगार के लिए उन्होंने कई कारगर उठाए, मात्र इस कार्य में महिलाओं को सफलता नहीं मिली। आखिरकार उन्होंने कोसा उत्पादन की ओर आकर्षित होकर इसकी खेती करनी आरंभ कर दी। कढ़ोली गांव के समीपस्थ जंगल में महिलाओं ने खेती शुरू की। महिलाओं द्वारा किए जा रहें इस सराहनीय कार्य का संज्ञान लेते हुए नागपुर जिलाधीश कार्यालय ने गत 8 मार्च विश्व महिला दिवस पर कढ़ोली और बोरी चक की महिलाओं का सत्कार भी किया। सत्कार कार्यक्रम में कोसा खेती के लिये उपयुक्त मशीनों का वितरण भी महिलाओं को किया गया। इन्हीं मशीनों से अब यह महिलाएं प्रति माह 90 हजार कोसा अंडों का उत्पादन कर रहीं हैं। प्रति माह इन अंडों से 1 लाख 80 हजार रुपए की आय मिल रही है। कोसा की खेती में प्रतिदिन अंडों की देखभाल करना अनिवार्य है। पेड़ के पत्तों को हर दिन छांटना भी जरूरी है। पत्तों पर कोसा इल्लियों को छोड़ा जाता है। इसके बाद ये इल्लियां अंडे देती हैं। बाद में कोसा निर्माण होता है। नागपुर के बड़े व्यापारी प्रति माह यहां पहुंचकर महिलाओं से कोसा खरीद रहे हैं। इससे महिलाओं को नकद रूप से आमदनी भी मिल रहीं है। आम तौर पर रोजगार उपलब्ध न होने के कारण खासकर महिलाओं को भटकते देखा जाता है, लेकिन कढ़ोली और बोरी चक की महिलाओं द्वारा की जा रहीं खेती से अन्य महिलाएं भी अब इसकी ओर आकर्षित हो रही हैं।
कमाने लगे 18 हजार रुपए
जिले में रोजगार के साधन उपलब्ध न होने के कारण महिलाओं को रोजी-रोटी के अक्सर देखा गया है। खासकर इमारतों के निर्माणकार्य पर मजदूर महिलाओं की संख्या अधिक देखी जा सकती है। मात्र कढ़ोली और बोरी चक की महिलाओं ने आत्मनिर्भर बनकर अपना जीवन बदलने के लिए कोसा खेती का रास्ता अपनाया। आज इन महिलाओं को प्रति माह 18 हजार से अधिक की आमदनी मिल रहीं है। कढ़ोली में जंगल में शुरू कोसा की खेती के उत्पादित कोसा की बिक्री आरमोरी के केंद्र में की जा रही है। नागपुर के बड़े व्यापारी भी कढ़ोली गांव तक पहुंचकर उनसे कोसा खरीद रहे हैं। कोसा खेती नकद स्वरूप की होने से महिलाओं को तत्काल लाभ मिल जाता है। दोनों गांवों की महिलाओं का यह प्रयास फिलहाल सभी के लिए आदर्श साबित हो रहा है।
अधिकारी दे रहे प्रशिक्षण
किसी भी प्रकार का कार्य करने के लिए सर्वप्रथम उसका ज्ञान होना अनिवार्य है। कोसा की खेती करना मामूली बात नहीं है। इससे जुड़ी कई अहम बातों की जानकारी जरूरी है। खेती करने से पूर्व आरमोरी के टसर केंद्र में कढ़ोली और बोरी चक की महिलाओं ने विशेष प्रशिक्षण लिया। इसके बाद टसर केंद्र के अधिकारी महिलाओं तक पहुंचकर उन्हें प्रशिक्षण दे रहे हैं।
Created On :   13 Sept 2017 1:16 PM IST