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Gadchiroli News: गडचिरोली में सर्वेक्षण में सुस्ती से मुआवजे की उम्मीदें कमजोर, 38 फीसदी क्षेत्र का ही हो पाया पंचनामा

Gadchiroli News धान उत्पादन के लिए प्रसिद्ध गड़चिरोली जिला इस वर्ष फिर एक बार प्राकृतिक आपदा से कराह उठा है। वापसी की बारिश ने धान, कपास सहित अन्य फसलों को बर्बाद कर दिया है। कटी हुई धान की फसल पूरी तरह पानी में भीगकर अंकुरित हो गई, जबकि खेतों में खड़ी फसल बारिश के पानी में समा गई। अब जब राज्य सरकार के आदेशानुसार फसल नुकसान सर्वेक्षण शुरू हुआ है, तो उसकी गति अत्यंत धीमी होने से किसान एक बार फिर असमंजस और संकट में हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार, जिले में कुल 6253.46 हेक्टेयर क्षेत्र फसल नुकसानग्रस्त घोषित किया गया है, परंतु 3 नवंबर तक केवल 2386.3 हेक्टेयर (38%) क्षेत्र का ही पंचनामा पूर्ण हो पाया है। कर्मचारियों की कमी के कारण राजस्व विभाग सर्वेक्षण को गति नहीं दे पा रहा है।
बारिश ने किसानों की मेहनत पर फेरा पानी : गड़चिरोली की पहचान धान उत्पादक जिले के रूप में है। खरीफ सत्र के दौरान किसानों ने कठिन परिस्थितियों में बुआई व रोपाई पूरी की थी, लेकिन लगातार अतिवृष्टि और बाढ़ के चलते खेत तालाब में बदल गए। दिवाली के बाद जब किसान कटाई शुरू करने ही वाले थे, तभी वापसी की बारिश ने संपूर्ण फसल को नष्ट कर दिया। भीगी हुई कटी फसल अंकुरित हो गई, जबकि कई खेतों में खड़ी फसल मिट्टी में दब गई।
इससे किसानों को भारी आर्थिक झटका लगा। राज्य सरकार ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए पंचनामा करने के आदेश जारी किए, मगर सर्वेक्षण की धीमी रफ्तार ने किसानों की चिंता और बढ़ा दी है। कई किसान अब स्वयं अपने खेतों की तस्वीरें लेकर पटवारी या ग्रामसेवक को सौंप रहे हैं ताकि नुकसान का प्रमाण सुरक्षित रहे। किसानों का कहना है कि अब जब धूप खिलने लगी है और खेत सूखने लगे हैं, तो नुकसान का वास्तविक चित्र पंचनामा में नहीं दिखेगा, जिससे मुआवजा राशि कम मिलने की आशंका है।
Created On :   4 Nov 2025 4:01 PM IST















