पुरूषों से पीछे नहीं हैं महिलाएं -कोई ऑटो चला रही तो कोई पेट्रोल पंप में कर रही काम 

Women are not far behind men - some are driving autos and some are working in petrol pumps
पुरूषों से पीछे नहीं हैं महिलाएं -कोई ऑटो चला रही तो कोई पेट्रोल पंप में कर रही काम 
पुरूषों से पीछे नहीं हैं महिलाएं -कोई ऑटो चला रही तो कोई पेट्रोल पंप में कर रही काम 

डिजिटल डेस्क शहडोल । महिलाएं आज न सिर्फ पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं, बल्कि मेहनत और संघर्ष के नए आयाम स्थापित कर रही हैं। उनके लिए काम से बड़ा उनका आत्मसम्मान है। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर आज हम जिले की ऐसी ही दो महिलाओं की संघर्ष को आपके सामने ला रहे हैं, जिन्होंने विषम परिस्थितियों के बाद भी परिवार का जीवन संवार रही हैं। 
किसी के सामने हाथ फैलाने के बजाय उन्होंने मेहनत और संघर्ष की राह चुनी। कमजोरी को ही अपनी ताकत बनाया। एक दिनभर ऑटो चलाकर अपने बच्चों का भविष्य संवार रही, तो दूसरी पति के साथ पेट्रोल पंप में काम करके परिवार का सहारा बनी है। यह कोई एक या दो दिन की बात नहीं पिछले तीन वर्षों से दोनों महिलाएं अपनी जिम्मेदारियां पूरे आत्मविश्वास के साथ निभा रही हैं। 
जब कोई काम नहीं मिला तो ऑटो चलाना शुरू किया
अरझुला निवासी रानी बर्मन पैर से दिव्यांग हैं। पोलियो के कारण ठीक से चल नहीं पाती हैं। दो वर्ष पहले पति से अनबन के बाद बच्चों के साथ अलग रहने लगीं। परिवार चलाने के लिए मजदूरी या कोई और काम नहीं कर सकती थीं, इसलिए उन्होंने ऑटो चलाने का फैसला किया। अपने नाम पर ऑटो फाइनेंस कराया और अरझुला से बुढ़ार के बीच सवारी ढोने का काम करने लगीं। बुकिंग मिलने पर वह अनूपपुर और शहडोल भी जाती हैं। उन्होंने बताया कि उनके तीन बच्चे हैं। तीनों पढ़ाई करते हैं। उनका मानना है बच्चे अच्छे से पढ़ लेंगे तो उनका भविष्य बेहतर होगा। इसीलिए वे इतनी मेहनत करती हैं। खुद तकलीफ सह लेती हैं, लेकिन बच्चों को कोई कमी नहीं होने देती हैं। उन्होंने बताया कि बच्चों के लिए खाना बनाकर सुबह करीब 9 बजे निकलती हैं और दिनभर ऑटो चलाती हैं। शाम 5 से छह के बीच में घर लौटती हैं। एक दिन में 150 से 200 रुपए तक मिल जाते हैं। दिव्यांग होने के बाद भी उन्हें शासन से कोई मदद नहीं मिली है। उनके पास अपना घर नहीं है। सिर्फ राशन कार्ड बना है, जिससे राशन मिल जाती है। 
बच्चों का भविष्य सुधारने पेट्रोल पंप में काम कर रही 
जिले के बटुरा निवासी 30 वर्षीय मीरा प्रजापति बटुरा के ही पेट्रोल पंप में काम करती हैं। जब से पेट्रोल पंप शुरू हुआ तब से वह गाडिय़ों में पेट्रोल-डीजल फिल करने का काम कर रही हैं। उन्होंने बताया कि उनके पति राजेंद्र प्रजापति भी पेट्रोल पंप में ही काम करते हैं। काफी समय से काम कर रहे हैं। उनके दो बच्चे हैं। एक आठ वर्ष का और दूसरा छह वर्ष का। पति की कमाई से घर का पूरा खर्च नहीं निकल पाता था, इसलिए उन्होंने भी पति का हाथ बंटाने का निर्णय किया।  पहले गांव के आसपास ही काम देखती रही, लेकिन कोई काम नहीं मिला। जब बटुरा में पेट्रोल पंप शुरू हुआ उन्होंने काम शुरू कर दिया। उन्होंने बताया कि कोई भी काम छोटा-बड़ा नहीं होता है, बस मन में विश्वास होना चाहिए। शुरुआत में थोड़ी झिझक होती थी, लेकिन अब कोई दिक्कत नहीं होती है। सबसे बड़ी बात हम दोनों काम करते हैं, तो परिवार का खर्च भी पूरा हो जाता है और बच्चों को अच्छी परवरिश भी दे पाते हैं। उन्होंने बताया कि वे घर का काम करने के बाद पेट्रोल पंप आती हैं। यहां से जाने के बाद फिर घर का पूरा काम करती हैं।
 

Created On :   8 March 2021 1:25 PM GMT

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