नसबंदी के लिए पांच घंटे भूखी-प्यासी बैठी रही महिलाएं - शाम छह बजे जबलपुर से पहुंचे सर्जन, तब शुरू हो पाया ऑपरेशन

Women sitting thirsty for five hours hungry for sterilization - surgeons arrived from Jabalpur at six in the evening
नसबंदी के लिए पांच घंटे भूखी-प्यासी बैठी रही महिलाएं - शाम छह बजे जबलपुर से पहुंचे सर्जन, तब शुरू हो पाया ऑपरेशन
नसबंदी के लिए पांच घंटे भूखी-प्यासी बैठी रही महिलाएं - शाम छह बजे जबलपुर से पहुंचे सर्जन, तब शुरू हो पाया ऑपरेशन

डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा। पिंडरईकला स्वास्थ्य केन्द्र के अंतर्गत आने वाले ग्राम सिहोरामढ़का से तीस महिलाएं नसबंदी कराने शुक्रवार को जिला अस्पताल पहुंची थी। दोपहर लगभग एक बजे से शिविर में महिलाएं भूखी-प्यासी बैठी रही। शाम लगभग छह बजे जबलपुर से सर्जन छिंदवाड़ा पहुंचे। तब कहीं ऑपरेशन शुरू हो पाए। इस दौरान महिलाएं और परिजन ठंड में परेशान होते रहे। सर्जन की लेटलतीफी और अधिकारियों की अनदेखी से नाराज हितग्राही के परिजनों ने विरोध दर्ज कराया।  
परिजनों ने बताया कि तीस किलोमीटर का सफर कर वे गुरुवार दोपहर 12 बजे शिविर में पहुंच गए थे। उन्हें बताया था कि महिलाओं की सभी जांच होने के बाद दोपहर एक बजे ऑपरेशन शुरू कर दिए जाएंगे। लगभग पांच घंटे के इंतजार के बाद शाम लगभग 6 बजे सर्जन शिविर में पहुंचे। ऑपरेशन के पूर्व लगभग पांच घंटे महिलाओं को भूखा-प्यासा रखा गया। इस बीच महिलाएं और उनके परिजन परेशान होते रहे।
जिले के हालात, सर्जन ऑपरेशन करने तैयार नहीं-
स्वास्थ्य विभाग के हालत इतने बुरे है कि नसबंदी ऑपरेशन के लिए डॉ कड़वे और डॉ एनआर ढाकरिया ही है। जिला अस्पताल में लगने वाले नसबंदी शिविर में सर्जन डॉ ढाकरिया द्वारा ऑपरेशन किए जाते है। मीडिया अधिकारी डॉ.प्रमोद वासनिक ने बताया कि डॉ ढाकरिया का स्वास्थ्य खराब होने की वजह से जबलपुर से सर्जन को बुलाया गया था।
ठंड में ठिठुरते रहे मासूम बच्चे-
नसबंदी कराने आई अधिकांश महिलाओं के छोटे-छोटे बच्चे शिविर में पहुंचे थे। इनमें से कुछ तो छह माह के छोटे बच्चे थे। शाम छह बजे से ऑपरेशन शुरू होने की वजह से देर रात तक ऑपरेशन चले। इस दौरान ठंड में बच्चे और बुजुर्ग महिलाएं परेशान होती रही।
परिजनों के आरोप....शिकायत सुनने वाला कोई नहीं-
- सिहोरामढ़का निवासी हितग्राही के परिजन राजकुमार चंद्रवंशी ने बताया कि सुबह आठ बजे शिविर में पहुंच गए थे। सर्जन न आने की वजह से लेटलतीफी होती रही। इस दौरान सभी परेशान हो रहे थे उनकी शिकायत सुनने वाला शिविर में कोई वरिष्ठ अधिकारी नहीं था।
क्या कहते हैं अधिकारी-
नसबंदी के लिए जबलपुर से सर्जन बुलाए गए थे। किन्हीं कारणों से सर्जन लेट हो गए। इस वजह से ऑपरेशन में देरी हुई है। ऑपरेशन के बाद रात में हितग्राहियों को घर भेजने की व्यवस्था बनाई गई है।
- डॉ.एलएनएस उईके, प्रभारी बीएमओ, पिंडरईकला
 

Created On :   12 Dec 2020 12:43 PM GMT

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