कुश्ती लड़ते हुए पहलवान की हुई मौत -दो बार रहा मध्यप्रदेश केसरी

Wrestler died while fighting wrestling - Madhya Pradesh Kesari twice
कुश्ती लड़ते हुए पहलवान की हुई मौत -दो बार रहा मध्यप्रदेश केसरी
कुश्ती लड़ते हुए पहलवान की हुई मौत -दो बार रहा मध्यप्रदेश केसरी

डिजिटल डेस्क भोमा । बचपन से ही अखाड़ा को अपनी कर्मभूमि मानने वाले पहलवान सोनू ने अखाड़ा में ही अंतिम सांस ली । बत दिवस कुश्ती लड़ते हुए उसकी मौत हो गई । मात्र 18 वर्ष की आयु में क्षेत्र का नाम रोशन करने वाले पहलवान सोनू का रविवार की दोपहर को भोमा के स्थानीय मोक्षधाम में अंतिम संस्कार कर दिया गया। सोनू चंद्रवंशी को आखिरी विदाई देने के लिए आसपास के क्षेत्रों से हजारों की संख्या में लोग मौजूद रहे। इसके साथ ही प्रदेश स्तर के कई बड़े पहलवान अपने साथी को आखिरी विदाई देने के लिए आए हुए थे। इससे पहले शनिवार को एक दंगल में कुश्ती लडऩे के बाद सोनू की उपचार के लिए ले जाते वक्त मौत हो गई थी।
कुश्ती का जुनून पड़ा भारी
कुश्ती को अपना सबकुछ मानने वाले सोनू पर कुश्ती का जुनून भारी पड़ गया। शनिवार को कुरई के बेलटोला में एक दंगल का आयोजन किया गया था जिसमें हिस्सा लेने सोनू भी गया हुआ था। यहां पर सोनू ने लगातार पांच कुश्तियों में हिस्सा लिया। पांचवी कुश्ती उसकी आखिरी कुश्ती साबित हुई। जिसके बाद उसने तबीयत खराब होने की बात कही। सोनू को उपचार के लिए जिला अस्पताल ले जाया जा रहा था लेकिन रास्ते में ही उसने दम तोड़ दिया।
कुश्ती को ही दिया अपना जीवन
जिले में आज भी कुश्ती का अपना अलग ही आकर्षण है। जिले में दीपावली के बाद से ही दंगलों का सिलसिला शुरु हो जाता है। जिले के अलग अलग गांवों में आए दिन दंगलों का आयोजन होता रहता है। लोगों में दंगल की इतनी दीवानगी है कि वे अपना सारा काम काज छोड़कर कई किलोमीटर का पैदल सफर तय कर दंगल देखने जाते हैं। भोमाटोला के रहने वाले सोनू चंद्रवंशी ने काफी कम उम्र में ही कुश्ती को अपना सबकुछ बना लिया था। सोनू ने बचपन से ही कुश्ती का सफर शुरु कर दिया था। वह दो बार अलग अलग वर्ग में मध्यप्रदेश केसरी बना था। पहली बार 36 किलोग्राम वर्ग में 2014 में और दूसरी बार 55 किलोग्राम वर्ग में 2016 में। इसके अलावा सोनू ने राष्ट्रीय स्तर पर गोल्ड मैडल जीता था।
सैनिक बनना चाहता था सोनू
सोनू के पिता कमल चंद्रवंशी और मां भाग्यवती चंद्रवंशी का कहना है कि सोनू आर्मी में जाकर देश की सेवा करना चाहता था लेकिन बचपन में हुए एक हादसे के बाद उसकी एक आंख खराब हो गई थी। मध्यम वर्गीय परिवार से आने वाले सोनू के पिता किसान हैं। वे बताते हैं कि बचपन में सोनू की एक आंख में राई का खंूट चला गया था जिसके बाद से उसकी एक आंख खराब हो गई थी। जिसके कारण उसका सेना में जाने का सपना खत्म हो गया था। सोनू के खाने, पढ़ाई और कोंिचग का जिम्मा साईं अकेडमी जबलपुर ने ले लिया था। एक भाई और एक बहन वाले परिवार की उम्मीदें सोनू पर ही थीं।
हजारों ने दी श्रद्धाजंलि
रविवार को जैसे ही सोनू की पार्थिव देह भोमाटोला पहुंची हजारों लोगों की भीड़ ने अपने इस लाडले की अगवानी की। सोनू की अंतिम यात्रा में हजारों गमगीन लोग शामिल हो श्रद्धाजंलि दे रहे थे। प्रदेश भर से कई पहलवान अपने साथी की अंतिम यात्रा में शामिल होने आए थे। रविवार दोपहर सोनू का स्थानीय मोक्षधाम में अंतिम संस्कार कर दिया गया।
 

Created On :   4 Nov 2019 12:11 PM GMT

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