जिला परिषद स्कूलों का ऐसा है हाल कि अपना नाम तक नहीं लिख पाते 7 वीं के छात्र

Zilla parishad school students not even write his name
जिला परिषद स्कूलों का ऐसा है हाल कि अपना नाम तक नहीं लिख पाते 7 वीं के छात्र
जिला परिषद स्कूलों का ऐसा है हाल कि अपना नाम तक नहीं लिख पाते 7 वीं के छात्र

डिजिटल डेस्क , नागपुर। सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए दावे पर दावे किए जाते रहे हैं लेकिन हर बार हकीकत कुछ और ही सामने आती रही है। ऐसा ही एक उदाहरण जिला परिषद की स्कूलों का सामने आया है। जिला परिषद स्कूल मेें शिक्षा लेने वाले कक्षा सातवीं के छात्रों को अंग्रेजी में अपना नाम तक लिखने नहीं आता है। यह चौंकाने वाला खुलासा हाल ही में हुआ है।  कक्षा पांच में पढ़ने वाले विद्यार्थी तीन का पहाड़ा तक नहीं जानते। इतना ही नहीं, शिक्षकों का सामान्य ज्ञान तो इससे भी बुरा है। जिला परिषद के स्कूलों में पढ़ाने वाले कई शिक्षकों को तो नागपुर के जिलाधिकारी और विभागीय आयुक्त तक के नाम नहीं मालूम। स्कूलों में जो बोर्ड लगे हैं, उन पर भी पदाधिकारियों के नाम गलत दर्ज हैं।

भिवापुर - तहसील के जवली गांव में जिला परिषद का हाईस्कूल है। पांचवीं से 10वीं कक्षा तक 154 विद्यार्थी पढ़ते हैं। मुख्याध्यापक कक्ष में जिले के वरिष्ठ अधिकारी, जिला परिषद के पदाधिकारियों के नाम के बोर्ड लगे हैं। वरिष्ठ अधिकारियों के बोर्ड पर िवभागीय आयुक्त अनूप कुमार, जिलाधिकारी अश्वीन मुदगल, जिप सीईओ के सामने यादव लिखा है। उनके पहले नाम की जगह रिक्त है। जिला परिषद पदाधिकारियों के बोर्ड पर जिला परिषद अध्यक्ष निशा सावरकर, उपाध्यक्ष शरद डोणेकर, शिक्षण समिति सभापति उकेश चौहान, समाज कल्याण समिति सभापति दीपक गेडाम, कृषि व पशु संवर्धन समिति सभापति आशा गायकवाड़, महिला व बाल कल्याण समिति सभापति पुष्पा वाघाड़े के नाम लिखे हैं। 18 जुलाई 2019 को जिला परिषद बर्खास्त होकर जनवरी महीने में चुनाव हुए। जिला परिषद में सत्ता परिवर्तन हो गया, लेकिन जवली जिला परिषद स्कूल के मुख्याध्यापक को खबर नहीं। चुनाव दौरान स्कूल में फलक पर पदाधिकारियों के नाम लिखे रहने से चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन कर सामान्य ज्ञान में कमजोरी का परिचय दिया गया है।

नागपुर - उमरेड रोड पर नागपुर से महज 20 किलोमीटर दूर उमरेड तहसील के चांपा ग्राम में जिला परिषद का स्कूल है। वहां पहली से सातवीं तक की कक्षाएं संचालित होती हैं। विद्यार्थी कहने के लिए पांचवीं कक्षा में पढ़ते हैं, लेकिन उन्हें तीन का पहाड़ा तक नहीं आता। सातवीं कक्षा के आधे से अधिक विद्यार्थियों को अंग्रेजी में अपना नाम लिखना नहीं आता। शिक्षक अचानक छुट्टी पर चले जाते हैं। छुट्टी की अर्जी भी नहीं देते। स्कूल में विज्ञान प्रयोगशाला है। शिक्षकों को प्रयोगशाला का ज्ञान नहीं रहने से ताले में बंद पड़ी है। प्रयोग सामग्री पर धूल चढ़ गई है।

जिला परिषद उपाध्यक्ष ने साझा किए अनुभव
नवनिर्वाचित जिला परिषद उपाध्यक्ष मनोहर कुंभारे उमरेड और भिवापुर तहसील के दौरे पर गए थे। उन्होंने दोनों तहसीलों के कुछ जिप स्कूल और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का औचक निरीक्षण किया। इस दौरान उन्हें आए प्रत्यक्ष अनुभव पत्रकारों से साझा किए। ग्रामीण क्षेत्र में चरमराई स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा क्षेत्र में कमजोरियों पर नाराजगी जताई। दोनों िवभागों के अधिकारियों को पत्र देकर संबंधितों के िखलाफ सख्त कार्रवाई कर सुधार की दिशा में सकारात्मक कदम उठाने के िनर्देश दिए हैं। दौरे में कलमेश्वर पंचायत समिति के पूर्व उपसभापति नरेंद्र पालटकर, मोहपा के नगरसेवक राजेश देशमुख, तेलगांव के पूर्व सरपंच बालू भिंगारे उनके साथ रहे।

Created On :   2 March 2020 5:28 AM GMT

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