पन्ना: बेगारी का वजन ढोता हुआ जिले का मजदूर, हीरा व पत्थर खदानें बंद

बेगारी का वजन ढोता हुआ जिले का मजदूर, हीरा व पत्थर खदानें बंद

डिजिटल डेस्क, पन्ना। पन्ना में जहां एक ओर जनप्रतिनिधियों द्वारा चहुंओर विकास बताया जाता है लेकिन इसके उलट यहां की मूल सम्पदा पत्थर व हीरा जिससे पन्ना की पहचान है यह संसाधन जो कि प्रकृति ने पन्ना को दिए हैं फिर भी यहां का मजदूर तबका अपने जीविकोपार्जन के लिए परेशान है और गरीबी, भुखमरी व बेगारी का दंश झेल रहा है कारण कई वर्षों से यहां पत्थर व हीरा खदानें बंद कर दी गईं हैं। पूर्व के वर्षों में पत्थर खदानें चलने से यहां काफी संख्या में आसपास के लोगों व एक स्थान से दूसरे स्थान जाकर लोग इन खदानों में काम करके दिहाडी मजदूरी अथवा साप्ताहिक मजदूरी के हिसाब से अच्छी-खासी कमाई करते थे जिससे उनके परिवार के जीवन का स्तर व उनकी दैनिक जरूरतों की पूर्ति होती रहती है और उन्हें काम की तलाश में यहां-वहां भटकना नहीं पडता था। जब से पन्ना में हीरा व पत्थर खदानें बंद हुई है यहां के मजदूर बेरोजगार होकर पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं और जो थोडे बहुत पन्ना में रह रहे हैं वह तथा उनके परिवार की स्त्रियां यहां तक कि छोटे-छोटे बच्चे जिनका यह समय पढाई व खेलने-कूंदने का होता है वह इन लकडियों के गढ्ढों के बोझ तले दबने को मजबूर हो जाता है।

आज ऐसी ही एक तस्वीर देखने को मिली जिसमेें एक दूधमुंही बच्ची को अपनी गोद में उठाये मां काफी वजनी लकडी का गठ्ठा उठाकर ७ किमी दूर ग्राम खजरी से पन्ना बेंचने आ रही थी इतना ही नहीं उनके साथ एक ५ साल का छोटा बच्चा भी था जो अपनी मां के द्वारा उठाए गए लकडी के गठ्ठे के वजन के समान ही गठ्ठा अपने सिर पर रखे हुए था और उसके शरीर पर केवल एक बनियान और हाफ पेण्ट में था। यह बिचारे दिनभर इतना वजन ढोकर पन्ना बेंचने आते हैं और लोग जब इनसे मोलभाव करते हैं तो इन्हें महज २०० से २५० रूपए ही मिल पाते हैं अब इन्हें इन्हीं रूपयों से अपने परिवार की जरूरत सामग्री व अन्य खर्चे उठाने पडते हैं। आखिर ऐसे में लगता है कि जब सामाजिक संस्थान जो आए दिन विभिन्न प्रकार के आयोजन कर व सामाजिक कार्यक्रम चलाकर मोटा फण्ड बंटोरने में लगे रहते हैं वह इनके उत्थान के लिए क्या कार्य कर रहे हैं। वहीं इस जिले के जनप्रतिनिधियों को भी इस दिशा में सोचना चाहिए कि आखिर वह जिले में ही उपलब्ध संसाधनों से ही यहां के लोगों को रोजगार उपलब्ध कराकर आखिर कितना सबल बना पा रहे हैं।

Created On :   19 Nov 2023 2:55 PM IST

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