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पन्ना: जैन तीर्थ क्षेत्र श्रेयांश गिरी में १८ नवम्बर को प्रारंभ होगा पंचकल्याणक महोत्सव
डिजिटल डेस्क, सलेहा नि.प्र.। पन्ना के सलेहा स्थित नचने के समीप प्रसिद्ध एवं प्राचीन तीर्थ क्षेत्र श्रेयांश गिरी में विराग सागर जी महाराज महामुनि राज सासंघ २९ पिच्छी के सानिध्य में भव्य कल्याणक महोत्सव का आयोजन १८ नवम्बर से २३ नवम्बर तक किया जाना है इसको लेकर अंतिम तैयारियां जोरो पर है। आयोजन में देश भर जैन श्रद्धालुओं के पहँुचकर सम्मलित होनें की संभवानायें है और इसके चलते यह कहा जा रहा है कि पंचकल्याणक महोत्सव में जेैन धर्मालंबियों के महाकुंभ की झलक देखने को मिलेगी। उत्सव को लेेकर सम्पूर्ण अंचल की दिगम्बर जैन समाज सहित जैनेत्तर बंधु वर्ग उत्साहित है। पूज्य संत विराग सागर जी का कहना है कि पंचकल्याणक पाषण से भगवान बनने की प्रक्रिया को जन-जन तक पहँुचाने की महत्वपूर्ण योजना है जिसमें दिगम्बर जैन आचार्य महाराज विशेष मंत्रानुष्ठान के द्वारा पाषाण की प्रतिमा में भगवंता के संस्कारारोहण करते हैं और संस्कारारोहण होते ही वह है जैन भागवद् प्रतिमा अचिंत्य चमत्कारों से युक्त होकर प्राणी मात्र के पापों का नाश तथा सुख वैभव को प्रदान करने वाली हो जाती है।आपने बताया कि जिन शासन में श्री जिनेन्द्र प्रभु की भक्ति की अंचित्य महिमा बतलाई गई है पंचम काल में साक्षात भगवान दर्शन नही होते है लेकिन पंचकल्याणक के द्वारा विशेष मंत्रों अनुष्ठानों से पाषाण की प्रतिमाओं में प्रभु के गुणों का निक्षेप किया जाता है और प्रतिष्ठित प्रतिमा चमत्कारिक हो जाती है अनेक ऐसे उदाहरण देखे गए है जिस बंजर भूमि में पंचकल्याणक की आयोजना सम्पन्न हुई वह भूमि चमत्कारिक रूप से उपजाऊ हो गई।
धूमधाम से मनाया गया भगवान महावीर का २५५०वॉ मोक्ष कल्याणक
अतिशय क्षेत्र श्रेयांश गिरी में चातुर्मास कर रहे राष्ट्र संत विराग सागर जी महाराज के सानिध्य में अंतिम जैन तीर्थंकर महावीर स्वामी का २५५०वाँ निर्वाण मोक्ष कल्याणक महोत्सव हर्षाेल्लास के साथ मनाया गया। तीर्थ क्षेत्र पर्वत पर स्थित 1600 बर्ष प्राचीन परम चमत्कारी श्री महावीर स्वामी की प्रतिमा के समक्ष उनके गुण स्मरण पूर्वक संपूर्ण दिगंबर जैन समाज ने निर्वाण लाडू चढ़ाकर पुण्यार्जन किया चूंकि भगवान महावीर स्वामी 24 वें तीर्थंकर है एवं 24 किलो का भव्य लाडू अर्घ रूप समर्पित किया गया।मोक्ष कल्याणक महोत्सव के आयोजन में विराग सागर जी महाराज ने कहा कि सम्पूर्ण विश्व भगवान महावीर के पंचशील सिद्धांतों अंहिसा,सत्य अचौर्य,ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह के प्रति श्रद्धावनत है। आपने बताया कि डॉ. भीम राव अम्बेडकर द्वारा ०६ माह तक भगवान महावीर की देशना अर्थात जैन शास्त्रों के अध्ययन उपरांत उन्हीं के सिद्धांतों के अनुसार संविधान लिखा थ इतना ही नही संविधान की मूल पुस्तिका में डॉ. अम्बेडकर साहब ने प्रथम पृष्ठ पर भगवान महावीर की फोटो लगाई है। आज भी यह पुस्तिक दिल्ली में सम्मानीय तौर पर स्थापित है।
Created On :   14 Nov 2023 3:41 PM IST