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Panna News: गुरू पूर्णिमा के अवसर पर भास्कर कार्यालय पहुंचे स्टूडेंस ने बताई गुरू महिमा

- गुरू पूर्णिमा के अवसर पर भास्कर कार्यालय पहुंचे स्टूडेंस ने बताई गुरू महिमा
- ज्ञान, मार्गदर्शन व समर्थन प्रदान करते हैं हमारे गुरू
Panna News: हमारी सनातन संस्कृति के धर्म ग्रंथो में अज्ञान को हटाकर प्रकाश की ओर ले जाने वाले को गुरू कहा गया है गुरूओं के प्रति सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करने का पर्व गुरू पूर्णिमा का दिन है। गुरू पूर्णिमा का पर्व अषाढ़ मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। देशभर में इस बार गुरूवार १० जुलाई २०२५ को गुरू पूर्णिमा का पर्व हम सब मनाने जा रहे है। दैनिक भास्कर ने गुरू पूर्णिमा के अवसर पर गुरू शिष्य परंपरा के तहत विद्यार्थियों को आमंत्रित कर उनके गुरू कैसे हां- इस विषय पर विचार सुने गए। दैनिक भास्कर ब्यूरो कार्यालय पन्ना में आयोजित इस कार्यक्रम में पन्ना नगर स्थित पीएम श्री एक्सीलेंस शासकीय छत्रसाल स्नातकोत्तर महाविद्यालय पन्ना से आमंत्रित तीन छात्रों तथा पन्ना नगर स्थित संदीपनी मॉडल स्कूल की दो छात्राओं ने अपने सारगर्भित विचार रखते हुए गुरू की महिमा बताई। इस अवसर पर आमंत्रित पन्ना शहर के समाजसेवी मनोज केसरवानी पंच की भूमिका में विद्यार्थियों के विचार जानने और गुरूओं की जीवन में क्या भूमिका है यह समझाने के लिए उपस्थित हुए। छात्रो ने गुरू को ज्ञान और मार्गदर्शन देने वाला जीवन के मूल्यों और आदर्शाे को पालन करने की शिक्षा देते हुए आत्म विकास और लक्ष्य की प्राप्ति देने वाला बताया तथा कहा कि विद्यार्थी के लिए गुरू के अंदर विद्यमान मित्रता का स्वभाव और समर्थन उनके जीवन में सबसे महत्वपूर्ण है। बीएससी तृतीय वर्ष छत्रसाल महाविद्यालय के छात्र पुष्पेन्द्र कोरी ने कहा कि मेरे गुरू ऐसे हो जो मुझे मेरी हर गलती का एहसास कराकर हमेशा सही रास्तें में चलने के लिए मार्गदर्शन दें।
मेरे गुरू मित्र जैसे हो जिनसे हम सही, गलत के बारे में पूंछ सके या बता सकें और वह हमारा मार्गदर्शन कर सकें। एमए-अर्थशास्त्र के छात्र अजय कुमार अहिरवार ने कहा कि गुरू अंधकार से प्रकाश की ओर का मार्ग बताते हैं गुरू हमें जीवन जीने का तरीका सिखाते हैं। हमारा आचरण व व्यवहार किस तरह का हो, यह सिखाते है मेरे गुरू मेरे लिए धैर्य का प्रतीक है राष्ट्र और समाज की सेवा का दर्शन है। बीकाम द्वितीय वर्ष के छात्र डालचंद्र ने कहा कि जीवन में मिली सफलता में गुरू से मिला ज्ञान सबसे महत्वपूर्ण होता है। गुरू अपने शिष्य को उसके जीवन का लक्ष्य बताकर उसे कैसे प्राप्त किया जा सकता है उसे अपने ज्ञान भंडार से प्रदान करते है। संदीपनी मॉडल स्कूल की छात्रा प्रतीक्षा विश्वकर्मा ने कहा कि मेरे गुरू संदीपनी की तरह हो जिनके शिष्य भगवान श्रीकृष्ण हुए और श्रीकृष्ण ने गीता में पूरी दुनिया को कर्म का ज्ञान दिया। मेरे गुरू वशिष्ठ की तरह हो जिनके शिष्य भगवान श्रीराम ने जीवन में मर्यादा और आर्दश का पालन किस तरह से करना चाहिए, उसे चरितार्थ किया। स्वपनिल मिश्रा ने कहा कि शिष्य गुरू के सामने एक कोरे कागज की तरह होता है जिसमें गुरू अपने ज्ञानरूपी भंडार से अपने शिष्य को सम्पूर्णता प्रदान करते हैं हमारे गुरू एक मित्र की भांति होते हैं जिनसे हमें हमारे जीवन के साथ विषयों के सवाल का उत्तर सरल रूप से प्राप्त होता है। इस आयोजन में उपस्थित समाजसेवी पंच मनोज केसरवानी ने वेदों में वर्णित श्लोकों के माध्यम से विद्यार्थियों को गुरू की महिमा के बारे में विस्तार से समझाया गया तथा कहा कि भारतीय दर्शन में गुरू का स्थान ईश्वर से पहले माना गया है जिसका कारण है कि गुरू द्वारा दिए गए ज्ञान और मार्ग से ईश्वर की प्राप्ति होती है।
Created On :   10 July 2025 12:27 PM IST