Panna News: कलाकारों की भाव-भंगिमाएं और मुरली की मधुर तान ने कर दिया दर्शकों को भाव विभोर

कलाकारों की भाव-भंगिमाएं और मुरली की मधुर तान ने कर दिया दर्शकों को भाव विभोर
  • कलाकारों की भाव-भंगिमाएं और मुरली की मधुर तान ने कर दिया दर्शकों को भाव विभोर
  • श्री जुगल किशोर मंदिर प्रांगण में पांच दिवसीय रासलीला समारोह का चौथा दिन

Panna News: संस्कृति विभाग द्वारा 27 से 31 अगस्त तक राधाष्टमी के अवसर पर श्री जुगल किशोर मंदिर प्रांगण, पन्ना में पांच दिवसीय रासलीला समारोह का आयोजन किया जा रहा है। समारोह में प्रति दिवस रासलीला, भक्ति गायन एवं स्थानीय लोक नृत्यों की प्रस्तुति का संयोजन किया गया है। समारोह के चौथे दिन पूर्वरंग अंतर्गत शैलेन्द्र सिसोदिया एवं साथी, टीकमगढ़ द्वारा मोनिया नृत्य और आकांक्षा राजपूत एवं साथी, दतिया द्वारा बधाई नृत्य की प्रस्तुति दी गई। बुंदेलखंड का मोनिया लोकनृत्य कार्तिक माह में अमावस्या से पूर्णिमा तक किया जाता है। ग्वाला समुदाय अपने पशुओं को सजाते हैं और उनकी पूजा करते हैं। मुख्यत: ग्वाला समुदाय का नृत्य है मोनिया। छोटे बच्चे श्री कृष्ण का रूप धर कर हाथ में लाठी लेकर घर-घर जाते हैं और बांसुरी की लय, ढोलक की थाप पर विभिन्न हस्त पद संचालन के साथ नृत्य करते हैं और अन्न प्रसादी प्राप्त करते हैं। बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ यह नृत्य किया जाता है। गांवों में छोटी-छोटी टोली बनाकर यह नृत्य किया जाता है।

आकांक्षा राजपूत एवं साथी, दतिया द्वारा बधाई नृत्य की प्रस्तुति दी गई। बुन्देलखण्ड अंचल में जन्म विवाह और तीज-त्यौहारों पर बधाई नृत्य किया जाता है। मनौती पूरी हो जाने पर देवी-देवताओं के द्वार पर बधाई नृत्य होता है। इस नृत्य में स्त्रियां और पुरुष दोनों ही उमंग से भरकर नृत्य करते हैं। बूढ़ी स्त्रियां कुटुम्ब में नाती-पोतों के जन्म पर अपने वंश की वृद्धि के हर्ष से भरकर घर के आंगन में बधाई नाचने लगते हैं। नेग-न्यौछावर बांटती हैं मंच पर जब बधाई नृत्य समूह के रूप में प्रस्तुत होता है, तो इसमें गीत भी गाए जाते हैं। बधाई के नर्तक, चेहरे के उल्लास, पद संचालन, देह की लचक और रंगारंग वेशभूषा से दर्शकों का मन मोह लेते हैं। इस नृत्य में ढपला, टिमकी, रमतूला और बांसुरी आदि वाद्य प्रयुक्त होते हैं। अगले क्रम में माधव आचार्य एवं साथी-मथुरा के निर्देशन में रासलीला की प्रस्तुति दी गई जिसमें कलाकारों ने बरसाने की लीलाएं मंचित कीं। श्रीकृष्ण और राधा रानी की प्रेम लीलाओं को जीवंत रूप में प्रस्तुत किया गया। रंग-बिरंगे परिधानों में सजे कलाकारों की भाव-भंगिमाएं और मुरली की मधुर तान ने दर्शकों को भाव-विभोर कर दिया। लठ्ठमार लीला, जो बरसाने की अनोखी परंपरा है। निर्देशक ने बताया कि यह केवल नाट्य नहीं, आत्मा की अनुभूति है। बरसाना की हर गली में राधा रानी की लीला बसी है। बरसाना की लीलाएं न केवल आध्यात्मिक आनंद देती हैं, बल्कि सांस्कृतिक जड़ों से भी जोड़ती हैं। रासलीला के कार्यक्रम में श्रद्धालुगण सहित बड़ी संख्या में नगरवासी भी उपस्थित रहे। इस दौरान संचालन राजकुमार वर्मा द्वारा किया गया।

Created On :   1 Sept 2025 2:02 PM IST

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