Panna News: पन्ना की बाघिन ने आबाद किया चित्रकूट का जंगल, बाघिन पी-२१३(२२) ने नौं वर्ष पूर्व यहां के जंगल में दी थी दस्तक

पन्ना की बाघिन ने आबाद किया चित्रकूट का जंगल, बाघिन पी-२१३(२२) ने नौं वर्ष पूर्व यहां के जंगल में दी थी दस्तक
  • पन्ना की बाघिन ने आबाद किया चित्रकूट का जंगल
  • बाघिन पी-२१३(२२) ने नौं वर्ष पूर्व यहां के जंगल में दी थी दस्तक
  • कई बार शावकों को दिया जन्म, मौजूदा समय 30 से 35 टाइगर

Panna News: मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व की बाघिन पी-213(२२) ने चित्रकूट के जंगल को बाघों से आबाद किया है। पन्ना की इस बाघिन ने अपने लिए नए आशियाने की तलाश में 24 नवंबर 2015 को पन्ना कोर क्षेत्र से बाहर निकलकर चित्रकूट के जंगल में दस्तक दी थी तभी से यह बाघिन वन मंडल सतना के वन परिक्षेत्र मझगवां अंतर्गत सरभंगा के जंगल को अपना ठिकाना बनाए हुए है। यहाँ रहते हुए इस बाघिन ने कई बार नन्हे शावकों को जन्म दिया। फलस्वरूप यह जंगल बाघों और नन्हे शावकों की चहल कदमी से गुलजार है। उल्लेखनीय है कि बाघ पुनस्र्थापना योजना की चमत्कारिक सफलता के बाद देश व दुनिया में विख्यात हो चुके पन्ना टाइगर रिजर्व में जन्मे बाघ बुंदेलखंड सहित विंध्य क्षेत्र के जंगलों को भी आबाद कर रहे हैं। आलम यह है कि चित्रकूट के निकट सरभंगा के जंगल में बाघिन पी-213(२२) के बच्चों के भी बच्चे हो गए हैं। बाघ पुनस्र्थापना योजना के दौरान पन्ना टाइगर रिजर्व में सहायक संचालक रहे एम.पी. ताम्रकार बताते हैं कि सेवानिवृत्त होने के बाद भी उन्होंने वर्ष 2015-16 में अपनी सेवाएं इस बाघिन के ट्रैकिंग में दी हैं। इस दौरान बाघिन के मूवमेंट व गतिविधि पर हम पूरी नजर रखते थे। श्री ताम्रकार बताते हैं कि बाघिन पी-213(२२) ने अब तक चार बार शावकों को जन्म दिया है। इस बाघिन के बच्चों के बच्चे भी हो रहे हैं।

मौजूदा समय सरभंगा के जंगल में पन्ना की इस बाघिन की चार पीढियां जंगल में स्वच्छंद रूप से विचरण कर रही हैं। बाघों का कुनबा बढने से अब यहाँ अक्सर सडक मार्ग पर भी राहगीरों को वनराज के दर्शन होने लगे हैं। यही वजह है कि वन्य जीव प्रेमी बाघों से आबाद हो चुके चित्रकूट के इस जंगल को टाइगर रिजर्व का दर्जा देने की मांग करने लगे हैं। पन्ना टाइगर रिजर्व को बाघों से आबाद कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले तत्कालीन क्षेत्र संचालक आर. श्रीनिवास मूर्ति बताते हैं कि बाघिन पी-213(२२) की कहानी बेहद दिलचस्प और अनूठी है। इस बाघिन ने पन्ना से सरभंगा के जंगल का सफर तय करके वहां पर बाघों का नया कुनबा बसाकर इतिहास रच दिया है। इस बाघिन ने सरभंगा में एक और पन्ना जोड दिया है। मालूम हो कि पूर्व में पन्ना टाइगर रिजर्व में अधिकतम 35 बाघ रहा करते थे लेकिन बाघ पुनस्र्थापना योजना की कामयाबी के बाद पन्ना टाइगर रिजर्व व आसपास के जंगल में 90 से अधिक बाघ विचरण कर रहे हैं। पन्ना कोर क्षेत्र से बाघ बाहर निकलकर विंध्य व बुन्देलखण्ड क्षेत्र के जंगलों को आबाद कर रहे हैं।

दिसम्बर 2013 में जन्मी थी यह बाघिन

पन्ना बाघ पुनस्र्थापना योजना की सफलतम रानी कही जाने वाली कान्हा की बाघिन टी-2 ने पी-213 को अक्टूबर 2010 में जन्म दिया था। इस बाघिन ने नर बाघ पी-111 से जोडा बनाकर दिसंबर 2013 में चार शावकों को जन्म दिया। जिनमें तीन मादा व एक नर शावक था। इन्हीं तीन मादा शावकों में से एक बाघिन पी-213(२२) है जिसने चित्रकूट के जंगल को न सिर्फ अपना ठिकाना बनाया अपितु यहां पर कई बार शावकों को जन्म देकर यहां के जंगल को बाघों से आबाद भी किया है। मौजूदा समय इस वन क्षेत्र में बाघिन पी-213(२२) सहित कुल 30 से 35 बाघ विचरण कर रहे हैं।

सरभंगा को टाइगर रिजर्व बनाने की हो रही मांग

चित्रकूट के निकट मझगवां सरभंगा का जंगल अब सिर्फ जंगल नहीं बाघों का जीता-जागता गढ़ बन चुका है। बाघों से आबाद हो चुके इस जंगल को टाइगर रिजर्व बनाने की मांग वन्य जीव प्रेमी करने लगे हैं। यह गर्व की बात है कि सरभंगा में आज 34 बाघों का कुनबा जिनमें 6 नन्हें शावक भी शामिल हैं शान से विचरण कर रहा है। पन्ना की बाघिन पी-213(२२) यहाँ १8 शावकों को जन्म दे चुकी है। यह अद्भुत क्षेत्र 19000 हेक्टेयर में फैला प्रकृति का खजाना है। जैव विविधता से समृद्ध सरभंगा का जंगल सिर्फ बाघों से ही आबाद नहीं है यहाँ 70 से अधिक तेंदुए, 60 भेडिया, 150 लकड़बग्घे, 50 से अधिक भालू, जंगली कुत्ते, लोमडियां व बडी संख्या में हिरण, नीलगाय व दुर्लभ पक्षी बसते हैं। यह जंगल पन्ना और रानीपुर टाइगर रिजर्व को जोड़ता है जो वन्यजीवों के सुरक्षित आने-जाने गलियारे के लिए ज़रूरी है। केन-बेतवा लिंक से प्रभावित होने वाले पन्ना के बाघों के लिए सरभंगा प्राकृतिक शरणस्थली बन सकता है। टाइगर रिजर्व बनने पर यहाँ पर्यटन बढ़ेगा हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा फलस्वरूप चित्रकूट क्षेत्र में समृद्धि आएगी।

Created On :   28 July 2025 12:22 PM IST

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