पन्ना: श्रेयांश गिरी महामहोत्सव, केवल ज्ञान उपरांत निर्मित हुआ दिव्या समोशरण

श्रेयांश गिरी महामहोत्सव, केवल ज्ञान उपरांत निर्मित हुआ दिव्या समोशरण

डिजिटल डेस्क, पन्ना। अतिशय क्षेत्र श्रेयांशगिरि में विगत 18 नवंबर से चल रहे श्री मज्जिनेन्द पंचकल्याणक महामहोत्सव के केवल ज्ञान कल्याणक महोत्सव के पावन दिवस प्रात: काल प्रभु शांतिनाथ, कुन्थुनाथ, अरहनाथ की अहारचर्या संपन्न हुई। जिसमें रूपेश जैन अजयगढ़, सुरेंद्र कुमार, पिंटू जैन, मिंटू जैन देवेंद्रनगर को प्रथम आहार दान करने का परम सौभाग्य प्राप्त हुआ। दोपहर कालीन बेला में प्रभु को केवल ज्ञान होने पर दिव्य समोशरण की रचना गणधर रूप में विराजमान विरागसागर जी महामुनिराज की दिव्य देशना, चतुर्निकाय के देवों का आगमन अनेक प्राणियों के जिज्ञासाओं का समाधान इत्यादि धार्मिक क्रियाओं को देखकर अनेकों श्रद्धालुओं ने पुण्यार्जन किया। इस पावन अवसर पर पूज्य गणाचार्य श्री ने अपने प्रवचनों में कहा विगत दिनों में हमने प्रभु का गर्भ जन्म और तप कल्याणक मनाया मनाया और आज प्रभु का केवल ज्ञान कल्याणक बना रहे हैं। संपूर्ण पुण्य कार्यों के फल स्वरुप यदि कोई कर्म प्रकृति है तो वह तीर्थंकर नाम कर्म है जिसे प्राप्त करना इतना आसान नहीं बतलाते है इस पुण्य को वे ही प्राप्त करते हैं जिनके हृदय में संक्लिष्टतम् दया विद्यमान रहती है। यूं तो मनुष्यों पर दया भाव भी विरले प्राणी ही कर पाते हैं किंतु धन्य है वह प्राणी जो संसार के प्रत्येक प्राणियों पर करुणा भाव रखते हैं कहीं मेरे द्वारा छोटे से छोटे प्राणी को कष्ट न हो जाए। ऐसी पवित्र मनोभावना के द्वारा ऐसे प्राणी प्रत्येक क्षण सजग रहते है।

ऐसी ही पवित्र भावना का ही प्रभाव रहता है कि वे तीर्थंकर जैसे परम पद को प्राप्त करते हैं। ऐसे ही परम पुण्यात्मा थे शांतिनाथ, कुन्थुनाथ, अरहनाथ जिन्होंने तीर्थंकर पद को प्राप्त किया आज हमें प्रभु का केवल ज्ञान कल्याणक के पावन देश को देखा जब रन जडित समोशरण की रचना हुई किंतु प्रभु उस समोसारण में भी चार अंगुल अधर विराजमान थे। यह बात हमें शिक्षा देती है कि प्रभु जितना छोड़ते हैं उससे कहीं अधिक उन्हें प्राप्त होता है यह त्याग की महिमा है। मीडिया प्रभारी भरत सेठ घुवारा ने जानकारी देते हुए बतलाया कि इस पावन अवसर पर ग्रामवासियों के लिए कंबल एवं मिष्ठान वितरण किया गया तथा देशभर के कोने-कोने से अनेक प्रांतो से हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने महोत्सव में सम्मिलित होकर पुण्यार्जन किया। वहीं परम पूज्य गुरुदेव गणाचार्य विराग सागर जी मुनिराज का घुवारा मंगल विहार की कामना लेकर घुवारा से सेठ सुखानंद जैन, डॉ. राजेंद्र वैध, प्रेमचंद सिमरिया, अमरचंद भोयरा, संतोष शिक्षक पनवारी, उदय मस्ताई, मोनू भोयरा, राजेंद्र पवैया, बाबूलाल गोरखपुर, छोटू गोरखपुर, गोलू पटवारी, सुरेंद्र पटवारी के नेतृत्व में बडी संख्या में भर घुवारा जैन समाज के महिला पुरुष श्रेयांश गिरी पधारे।

Created On :   23 Nov 2023 11:59 AM IST

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