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Pune City News: गैर-मांस और गैर-खाद्य वस्तुओं से 'हलाल सर्टिफिकेशन' हटाया जाए

- धार्मिक संस्थाओं द्वारा प्रमाणन पर उठाए सवाल
- सांसद डॉ. मेधा कुलकर्णी ने 'शून्य काल' में उठाया मुद्दा
भास्कर न्यूज, पुणे। हलाल शब्द एक विशिष्ट धर्म और आस्था से जुड़ी संकल्पना है, जो मूलतः मांस खाद्य से संबंधित है। भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, जहां हिंदू और सिख जैसे समुदायों के लोग भी रहते हैं जिनकी धार्मिक आस्थाएं हलाल मांस के उपभोग के विपरीत हैं। ऐसे में अन्य आस्थाओं के मांसाहारी लोगों पर हलाल-सर्टिफाइड मांस थोपना संविधान के विपरीत है। संविधान सभी को अपनी आस्था का सम्मान करने का अधिकार देता है। इसलिए गैर-मांस और गैर-खाद्य उत्पादों से हलाल प्रमाणन को तत्काल हटाया जाए, ऐसी मांग राज्यसभा सांसद डॉ. मेधा कुलकर्णी ने की है।
संसद सत्र के 'शून्य काल' में बुधवार को हलाल सर्टिफिकेशन और उससे जुड़ी समस्याओं का मुद्दा गरमाया रहा। राज्यसभा सांसद डॉ. मेधा कुलकर्णी ने सदन में इस विषय को उठाते हुए देश की धर्मनिरपेक्षता पर पड़ने वाले प्रभाव और उपभोक्ता स्वतंत्रता के हनन को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की गई है। कुलकर्णी ने कहा कि यह मुद्दा केवल मांस तक सीमित नहीं है। गैर-मांस खाद्य पदार्थों जैसे दूध, चीनी, तेल, औषधियों और प्रसाधन सामग्री पर भी हलाल प्रमाणन की आवश्यकता पर कुलकर्णी ने सवाल उठाया। यही नहीं गैर-खाद्य वस्तुओं जैसे कंस्ट्रक्शन मटेरियल, सीमेंट, स्टील, प्लास्टिक को भी हलाल सर्टिफिकेट दिए जा रहे हैं। उन्होंने इसे अतार्किक बताया और आशंका व्यक्त की कि यह धर्मनिरपेक्षता को बाधित करता है।
उपभोक्ता पर बोझ और सरकारी व्यवस्था पर प्रश्न
उन्होंने कहा कि सर्टिफिकेशन चार्जेस की वजह से उत्पादों का मूल्यवर्धन होता है, जिसका बोझ अप्रत्यक्ष रूप से सभी आस्थाओं के उपभोक्ताओं को उठाना पड़ता है। यह स्थिति उपभोक्ता की स्वतंत्रता और बाजार की पारदर्शिता के विरुद्ध है। कुलकर्णी ने कहा देश में खाद्य प्रमाणन के लिए भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) और औषधि के लिए एफडीआय जैसी शासकीय प्रमाणन व्यवस्थाएं मौजूद हैं। इसके बावजूद निजी धार्मिक संस्थाओं जैसे हलाल इंडिया लि., जमियत उलेमा ए हिंद हलाल ट्रस्ट आदि द्वारा प्रमाणन और उसके लिए शुल्क लेना एक गंभीर प्रश्न खड़ा करता है। सांसद कुलकर्णी ने 70 से 80 ऐसी अवैध और फर्जी संस्थाओं के सामने आने का जिक्र किया, जो फर्जी सर्टिफिकेट दे रही हैं। इन संस्थाओं को तुरंत बंद कर संबंधितों पर तत्काल कार्रवाई की मांग उन्होंने की। उन्होंने देशद्रोह के मामलों में कुछ संस्थाओं द्वारा फाइनेंशियल सपोर्ट किए जाने की खबरों का हवाला देते हुए इन पर तत्काल कार्रवाई की मांग की।
सांसद कुलकर्णी ने सरकार के समक्ष ये मांगें भी रखी
- इसमें हलाल में आस्था रखने वाले समाज की सुविधा के लिए मांस उत्पादों पर प्रमाणन हेतु FSSAI/FDI के अंतर्गत सरकारी व्यवस्था स्थापित की जाए और शुल्क सरकारी खजाने में जमा हो।
- निजी और धार्मिक संस्थाओं को प्रमाणन देने का अधिकार तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाए। इस प्रमाणन से जुड़े सभी शुल्क की रकम सरकारी कोष में जमा हो।
- सरकार इस्लाम के एक विशेषज्ञ सदस्य को वेतन पर नियुक्त कर सकती है, जो सरकारी विशेषज्ञ समिति के साथ मिलकर काम करेंगे।
Created On :   4 Dec 2025 12:49 PM IST












