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Pune News: आखिरकार दो दिन बाद बाघिन ने सह्याद्रि पर्वत शृंखला में रखे कदम

- बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए चांदोली राष्ट्रीय उद्यान से लाई गई है
- पूरी तरह स्वस्थ, जगल में जीने को तैयार
भास्कर न्यूज, पुणे। चांदोली राष्ट्रीय उद्यान से लाई गई बाघिन ने आखिरकार दो दिन बाद सह्याद्रि पर्वत शृंखला में पहली बार कदम रख दिए। बाघों की संख्या बढ़ाने के उद्देश्य से उक्त बाघिन को विशेष रूप से सह्याद्रि लाया गया है। पर्वत शृंखला में दाखिल होने से पहले बाघिन दो दिन तक सॉफ्ट रिलीज एनक्लोजर (संरक्षित क्षेत्र) में रही। इस दौरान उसने शिकार किया, लेकिन वहीं रुकी रही। तमाम तरह की तलल्लियों के बाद उसने गुरुवार सुबह आठ बजे सह्याद्रि पर्वत शृंखला के जंगल में प्रवेश किया।
बाघिन (एसटीआर-टी-04) को जंगल में छोड़ने के लिए 18 नवंबर को पिंजरे के दरवाजे खोले गए थे। पिंजरे से बाहर निकलकर दो दिनों तक वह एनक्लोजर में ही रही और दरवाजा खुला होने के बावजूद बाहर नहीं निकली। वन विभाग के अफसरों ने बताया कि 21 नवंबर की सुबह वह आत्मविश्वास के साथ बाहर निकली और चांदोली के प्राकृतिक जंगल में प्रवेश कर गई। इस दौरान वह बेहद शांत थी। जंगल में जाने के बाद बाघिन की वैज्ञानिक तरीके से निगरानी की गई। उसकी गतिविधियों, शिकार की प्रवृत्ति, वातावरण के साथ तालमेल और स्वास्थ्य पर विशेषज्ञ लगातार नजर बनाए हुए हैं।
पूरी तरह स्वस्थ, जगल में जीने को तैयार
वन्य जीव अनुसंधान संस्थान के पशु चिकित्सक और वैज्ञानिकों ने रोजाना जांच कर पुष्टि की कि बाघिन पूरी तरह स्वस्थ और जंगल में जीने के लिए तैयार है। बाघिन की गर्दन में रेडियो कॉलर लगाया गया है ताकि सैटेलाइट टेलीमेट्री और वीएचएफ एंटीना ट्रैकिंग के जरिए उसकी 24 घंटे निगरानी की जा सके। काम के लिए सह्याद्रि पर्वत शृंखला परियोजना, चांदोली राष्ट्रीय उद्यान और भारतीय वन्य जीव संस्थान की प्रशिक्षित टीम नियुक्त की गई है। वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बाघिन ने एन्क्लोजर में उत्कृष्ट अनुकूलन क्षमता दिखाई। उसका व्यवहार पूरी तरह स्वाभाविक और सामान्य था। अब वह जंगल में स्वतंत्र रूप से जीवन यापन के लिए तैयार है। यह कदम सह्याद्रि व्याघ्र पुनर्स्थापन कार्यक्रम के लिए मील का पत्थर है। महाराष्ट्र में बाघ संरक्षण वैज्ञानिक और दीर्घकालीन नीति के अनुसार चल रहा है। बाघिन ने जंगल के पर्यावरण से खुद को पूरी तरह अनुकूल बना लिया है और उसका प्राकृतिक व्यवहार उत्साहजनक है।
निगरानी के खास बिंदु
- उपग्रह और वीएचएफ आधारित गतिविधि की जानकारी
- फील्ड टीम द्वारा स्थल निरीक्षण
- शिकार और आवागमन का रिकॉर्ड
- मानव-वन्य जीव संघर्ष की रोकथाम
- आपातकालीन पशु चिकित्सा सहायता
Created On :   21 Nov 2025 2:58 PM IST












