Pune City News: गवली गिरोह को चुनौती देने के लिए की थी हत्या

गवली गिरोह को चुनौती देने के लिए की थी हत्या
  • पुणे में ऐसे बढ़ने लगा था गैंगवार, अश्विनी नाइक गिरोह भी आया
  • मुंबई माफिया की जकड़ में पुणे

भास्कर न्यूज, पुणे। 1996 में अश्विन नाइक गिरोह का भी अस्तित्व पुणे में सामने आया। 1 अक्टूबर 1997 को वाकड़ेवाड़ी इलाके के दीपक देव का अपहरण हुआ और बाद में उसका शव खानापुर (वाई तालुका) में मिला। जांच में सामने आया कि गवली गिरोह को चुनौती देने के लिए नाइक गिरोह ने उसकी हत्या की थी। संदिग्ध रूप से गवली से संबंध होने पर नाइक के इशारे पर उसके कुख्यात साथी संदीप डिचोलकर ने देव की हत्या की थी। इस घटना के बाद शहर में नाइक गिरोह की दहशत फैल गई और फिरौती वसूलने का रास्ता उनके लिए खुल गया।

इस हत्या के प्रकरण में राजेश पिल्ले, बाबा भोसले समेत शहर के चार लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया। 1997–98 के दौरान घटी कई घटनाओं ने यह साफ कर दिया कि मुंबई के लगभग सभी अपराधिक गिरोह पुणे में सक्रिय हो चुके थे। 9 अप्रैल 1994 को लोणावला के होटल बि-राज के मालिक अबू बादशाह शेख की हत्या के मामले में पुलिस ने अरुण गवली और उसके साथियों पर केस दर्ज किया।

गवली गिरोह के पुणे सूत्रधार प्रदीप सोनवणे पर 15 अगस्त 1995 को हमला हुआ, जिसमें उसकी मौत हो गई। इस वारदात में गिरफ्तार किए गए अपराधी पेशेवर नहीं थे, लेकिन कहा गया कि उन्हें कुछ स्थानीय बड़े लोगों का साथ और “मुंबई” से आशीर्वाद मिला था।

गवली गिरोह को शक था कि अश्रफ रामपुरी ने ही किरण वालावलकर का ठिकाना पुलिस को बताया था। इसी वजह से 27 जनवरी 1996 को रेसकोर्स मैदान पर अश्रफ की गोली मारकर हत्या कर दी गई। इससे पहले उसी महीने अशोक चौधरी उर्फ छोटा बाबू ने अश्रफ के साथी अकबर अरेबियन उर्फ गोल्डन अकबर पर बालेवाड़ी इलाके में गोलीबारी की थी।

इसी बीच अमर नाइक गिरोह के चिकना खान और साजिद खान 2 जून 1995 को बुधवार पेठ की एक लॉज से पुलिस के हत्थे चढ़े। उन्होंने शहर के गुंडे फिरोज बंगाली को मारने की सुपारी ली थी। उसी दिन इस गिरोह से जुड़े नितिन पिल्ले और उसके छह साथियों को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया। इन घटनाओं ने साफ कर दिया कि स्थानीय गुंडों का मुंबई गिरोहों से सीधा संबंध अब गहराता जा रहा था।

मुंबई माफिया की जकड़ में पुणे

"आईएसआई' के एजेंट सईद देसाई की साजिशें और फिरौती व हफ्ता वसूली के लिए सागर लड़कत की हत्या जैसी वारदातों ने यह स्पष्ट कर दिया कि गवली, नाइक और छोटा राजन गिरोहों के साथ-साथ कुख्यात तस्कर दाऊद इब्राहिम और बबलू श्रीवास्तव के गिरोहों ने भी पिछले पांच सालों में पुणे को अपनी गिरफ्त में ले लिया था। गैंगवार में गुंडों की लगातार बढ़ती सक्रियता को देखते हुए पुलिस चौकस हो गई। पुलिस जांच में सामने आया कि शहर के अलग-अलग क्षेत्रों की प्रभावशाली हस्तियां विभिन्न कारणों से इन गिरोहों के संपर्क में थीं। यह देखा गया कि वसई–विरार क्षेत्र के भाई ठाकुर गिरोह के नरेंद्र भोईर और अन्य गुंड़े गुलटेकड़ी इलाके में रह रहे थे जिनकी गिरफ्तारी हुई। नाइक गिरोह के सरगना अमर नाइक का लंबे समय तक पुणे में रहना, तत्कालीन विधायक और अन्य राजनीतिक हस्तियों से उसके संबंध होना, देव हत्याकांड से पहले इस गिरोह के आरोपी सरकारी विश्रामधाम में रहे यह भी जांच में सामने आया। मुंबई के गुंडे खिमबहादुर उर्फ के.टी. थापा की कुछ नगरसेवकों से दोस्ती और रमा नाइक के रिश्तेदारों के माध्यम से गवली गिरोह तक पहुंच भी पुलिस की जानकारी में आई।

Created On :   5 Nov 2025 5:00 PM IST

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