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Pune News: प्रति एकड़ सात से आठ करोड़ रुपए दिए तो ही भू-अधिग्रहण की अनुमति देंगे

- पुरंदर हवाई अड्डा परियोजना से प्रभावित किसानों ने स्पष्ट की भूमिका
- परियोजना के कारण पूरी तरह से होगा विस्थापन
- किसानों की मांग माने जाने पर ही अगली बातचीत के लिए तैयार
भास्कर न्यूज, सासवड़। पुरंदर हवाई अड्डा परियोजना के लिए जिलाधिकारी ने प्रति एकड़ एक करोड़ रुपए का भाव बताया है। हालांकि, हमें हवाई अड्डा परियोजना के कारण स्थायी रूप से विस्थापित होना पड़ेगा और इस पैसे से कुछ नहीं होगा। इससे हमारा बडा नुकसान होगा। इसलिए, यदि प्रति एकड़ कम से कम सात से आठ करोड़ रुपए का दर दिया जाता है, तो परियोजना को हमारा विरोध नहीं रहेगा और शासन को पूरा सहयोग किया जाएगा। हवाई अड्डा परियोजना से प्रभावित किसानों ने इस प्रकार अपनी भूमिका स्पष्ट की है।
पुरंदर तहसील के वनपुरी, उदाचीवाड़ी, कुंभारवलण, एकतपुर, पारगांव, खानवड़ी, मुंजवड़ी इन सात गांवों में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा परियोजना बन रही है और जमीन मापने की प्रक्रिया हाल ही में पूरी हुई है। उसके कुछ दिनों बाद जिलाधिकारी कार्यालय में जिलाधिकारी जितेंद्र डुडी ने परियोजना प्रभावित किसानों की बैठक लेकर प्रति एकड़ एक करोड़ रुपए और साथ ही खेत का कुआ, फलबाग, पेड़ जैसी चीजों के लिए दोगुना भाव देने की बात कही थी। जिलाधिकारी द्वारा दिए गए विभिन्न विकल्पों पर किसानों ने नाराजगी व्यक्त की है।
- किसानों ने बताया हिसाब
इस पृष्ठभूमि पर परियोजना प्रभावित गांवों के किसानों ने वनपुरी में हाल ही में एक बैठक ली। उसमें अपनी भूमिका स्पष्ट करते हुए कहा कि प्रति एकड़ कम से कम सात से आठ करोड़ रुपए दिए जाएं, तो किसान भू-अधिग्रहण प्रक्रिया के लिए सहमति देने को तैयार हैं। किसानों ने बताया कि प्रभावित क्षेत्र में उदाचीवाड़ी में 2023 में 80 लाख रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से कानूनी लेन-देन हुआ है। शासन के नियमानुसार लेन-देन के पांच गुना कहा जाए, तो कम से कम चार करोड़ रुपए प्रति एकड़ भाव होता है। साथ ही, परियोजना के परिसर में कुछ ही दूरी पर रिंग रोड के लिए शासन ने प्रति गुंठा 14 से 15 लाख रुपए तक का भाव दिया है, जिससे प्रति एकड़ कम से कम छह करोड़ रुपए होते हैं।
- परियोजना के कारण पूरी तरह से होगा विस्थापन
किसानों ने तर्क दिया कि रिंग रोड के भू-अधिग्रहण में कोई भी स्थायी रूप से विस्थापित नहीं हो रहा है। हालांकि, हवाई अड्डा परियोजना के कारण हमें स्थायी रूप से विस्थापित होना पडेगा और हमें अपने जानवर, खेती की जमीन, घर, पेड़ इन चीजों को छोड़कर जाना होगा। साथ ही, कई परिवारों में लोगों की संख्या भी अधिक होने के कारण पैसे का उचित तरीके से वितरण और उपयोग करने में कई दिक्कतें पैदा होंगी। इसलिए, यदि प्रति एकड़ कम से कम सात से आठ करोड़ रुपए तक का भाव दिया जाता है, तो हम भविष्य को ध्यान में रखकर सभी सदस्यों की आर्थिक व्यवस्था सही से बिठा पाएंगे। किसानों ने यह भूमिका स्पष्ट की है कि इसके लिए शासन को इस पर गंभीरता से विचार करके किसान हित का निर्णय लेना चाहिए, तो शासन को सहयोग किया जाएगा।
- किसानों की मांग माने जाने पर ही अगली बातचीत के लिए तैयार
इस बीच, किसानों ने यह चेतावनी भी दी है कि यदि शासन हमारी मांगें मान लेता है, तो ही हम शासन के साथ अगली बातचीत के लिए तैयार हैं। हालांकि, यदि हमारी मांगें नहीं मानी जाती हैं, तो हम जिलाधिकारी और मुख्यमंत्री की किसी भी बैठक में उपस्थित नहीं रहेंगे और एक बार फिर आंदोलन का हथियार उठाएंगे। इसलिए, किसानों द्वारा ली गई इस भूमिका पर शासन क्या निर्णय लेता है, इस पर सभी की निगाहें टिकी हैं। किसानों ने यह सूचक इशारा भी दिया है कि आज तक की गई प्रक्रिया अंतिम नहीं है, केवल जमीन मापने की प्रक्रिया पूरी हुई है। अंतिम भू-अधिग्रहण अभी बाकी है।
Created On :   11 Nov 2025 6:02 PM IST












