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Seoni News: बावडिय़ां पुकार रहीं, लेकिन सुनने,सुध लेने वाला नहीं, जल गंगा अभियान से भी नहीं सुधरी इतिहास की प्यास बुझाने वाली बावडिय़ों की स्थिति

- बावडिय़ां पुकार रहीं, लेकिन सुनने,सुध लेने वाला नहीं
- जल गंगा अभियान से भी नहीं सुधरी इतिहास की प्यास बुझाने वाली बावडिय़ों की स्थिति
- कई जगह खस्ताहाल स्थिति
Seoni News: कभी इंसान की प्यास बुझाने वाली बावडिय़ां आज इतनी खस्ताहाल हो गई हैं कि उनकी सुध लेने वाले जिम्मेदार बेसुध हैं। एक समय था जब लोगों को गर्मी के मौसम में भी बावडिय़ों से साफ और पर्याप्त पानी मिलता था। इस प्राचीन विरासत को संवारने के लिए कागजों में वादे किए गए, लेकिन आज जमीनी स्थिति में इसकी तरफ कोई देखने वाला भी नहीं है। शहर से ही करीब छह किमी दूर लखनवाड़ा और चांवड़ी की बावड़ी मानो लोगों को पुकार रही हैं, लेकिन उनकी सुनने और देखने वाला कोई नहीं है। हैरानी की बात यह है कि सरकार के निर्देश पर जल गंगा अभियान का भी बावडिय़ों पर कोई असर नहीं पड़ा।
अधोसंरचना फिर से विकसित करना होगी
पर्यावरणविद डॉ केके चतुर्वेदी का कहना है कि प्राचीन बावडिय़ां तभी सुरक्षित रहेंगी जब फिर से अधोसंरचनाएं विकसित की जाएं। शहर के बाद अब गांव में भी वाटर हार्वेस्टिंग अनिवार्य किया जाए। मकान निर्माण की अनुमति भी तब मिले जब एक पौधा लगाया जाए। बावडिय़ों के सुधार कार्य में गुणवत्तायुक्त मटेरियल का उपयोग होना चाहिए, ताकि काफी समय तक उनकी मजबूती बनी रहे। गांव में छोटे-छोटे तालाब बनाए जाएं। इससे भूमिगत जल स्रोत अच्छा रहेगा। बावडिय़ों को सुरक्षित रखने के लिए जिम्मेदारियां तय होना चाहिए।
कचरा फेंकने की बनी जगह
जिले में सात बावडिय़ां हैं। इसमें से छपारा की बावड़ी काफी हद तक ठीक है, लेकिन बाकी जगह की बावड़ी काफी खराब है। इन बावडिय़ों को कचरा फेंकने का स्थान बना दिया गया है। वर्तमान में बावडिय़ों में कचरे के साथ शराब की बोतलें पड़ी हुई हैं जो कि इस बात की गवाही दे रही है कि इनकी उपेक्षा की जा रही है।
अभियान केवल कागजों तक सीमित
ग्राम चांवड़ी की बावड़ी में जल गंगा अभियान को लेकर कार्यक्रम आयोजित किए गए, लेकिन यहां फिर वहीं ढांक के तीन पांत जैसी कहावत साबित हुई। बावड़ी में कचरा पड़ा हुआ है। आसपास कीफी जर्जर स्थिति है। बताया गया यह बावड़ी कभी किसी समय लोगों की प्यास बुझाती थी। गोंड शासनकाल में इसे बनाया गया था। इसी प्रकार लखनादौन की बावड़ी के भी यही हाल हैं। लोगों ने बावडिय़ों को अनदेखा कर दिया और वहां पर अव्यवस्था फैलाने लगे।
Created On :   8 Aug 2025 2:51 PM IST