Shahdol News: बांधवगढ़ - पांच साल के दौरान जंगल में आगजनी के 2136 मामले

बांधवगढ़ - पांच साल के दौरान जंगल में आगजनी के 2136 मामले
  • जैव विविधता संरक्षण के परिपेक्ष्य में आग लगना बड़ी समस्या
  • वन विभाग के शहडोल, सागर और रीवा संभाग का रीजनल वर्कशॉप शुक्रवार को बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के ताला में होगा।

Shahdol News: देश के प्रमुख टाइगर रिजर्व में से एक बांधवगढ़ में आग से वनों को नुकसान बड़ी चुनौती है। फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया (एफएसआई) द्वारा पिछले साल जारी आंकड़ों पर गौर करें तो बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में वर्ष 2019 से 2024 तक पांच साल के दौरान एसएनपीपी-वीआईआईआरएस सेंसर में वन में आग लगने के 2 हजार 136 मामले दर्ज हुए। इसमें वर्ष 2019-20 में 95, 2020-21 में 611, 2021-22 में 746, 2022-23 में 582 और 2023-24 में 102 मामले शामिल हैं।

टाइगर रिजर्व के वनों में आग इसलिए बड़ी समस्या है क्योंकि जैव विविधता के सरंक्षण में यहां के वन प्रमुख भूमिका का निर्वहन करते हैं। जंगल में पारिस्थितिक संतुलन को बढ़ावा देने के साथ ही टाइगर रिजर्व के वन विविध पारिस्थितिक तंत्रों का संरक्षण सुनिश्चित करते हैं। टाइगर रिजर्व में बाघों की आबादी को बनाए रखने के लिए अच्छा शिकार आधार आवश्यक है और इसके लिए स्वादिष्ट घास के मैदानों को सुरक्षित रखना जरूरी है। चूकि आग से सबसे ज्यादा नुकसान घास को होता है, इसलिए किसी भी टाइगर रिजर्व मेें आग के छोटे मामले भी बड़ी समस्या उत्पन्न करती है।

गांव व सडक़ किनारे आग के ज्यादा मामले

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के आग के ज्यादा मामले अंदर बसे गांव के आसपास से लेकर टाइगर रिजर्व के बफर व कोर एरिया में बने सडक़ के किनारे सामने आए हैं। जानकार बताते हैं कि सडक़ पर आवागमन के दौरान धूम्रपान उपरांत लोग माचिस की तिली व जलती सिगरेट-बीड़ी फेंक देते हैं और इसी से जंगल में आग फैलती है। ऐसी ही स्थितियां गांव के आसपास भी निर्मित होती है।

समय रहते आग बुझाने में मिली सफलता

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के उपसंचालक पीके वर्मा के अनुसार गर्मी में आग पूरे टाइगर रिजर्व क्षेत्र के लिए बड़ी समस्या है। इस साल आग लगने के बाद कम समय में बुझाने में सफलता मिली है। इसमें पूरे टाइगर रिजर्व की टीम ने मेहनत की है।

तीन संभाग का रीजनल वर्कशॉप बांधवगढ़ में आज

वन विभाग के शहडोल, सागर और रीवा संभाग का रीजनल वर्कशॉप शुक्रवार को बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के ताला में होगा। इसमें वन विभाग के भोपाल के उच्चाधिकारियों के साथ ही तीनों वनवृत्त के सीसीएफ, सीएफ, डीएफओ, एसडीओ सहित अन्य अधिकारी-कर्मचारी शामिल होंगे। रीजनल वर्कशॉप में इस बात की समीक्षा होगी कि वनों के संरक्षण में उपयोगी तकनीक कितने कारगर रहे हैं और आगे किस प्रकार से सुधार की आवश्यकता है।

Created On :   6 Jun 2025 2:09 PM IST

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