कुंडली में लग्न अनुसार जानें स्त्री का स्वभाव

According to marriage in horoscope know the nature of the female
कुंडली में लग्न अनुसार जानें स्त्री का स्वभाव
कुंडली में लग्न अनुसार जानें स्त्री का स्वभाव

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। ज्योतिष में स्त्री के व्यक्तित्व और चरित्र पर विशद् प्रकाश डाला है। यूं तो कुंडली के अनुसार मनुष्य के व्यवहार के साथ उसके जीवन में आने वाले सुख दुख का पता भी चलता है। कुंडली से जातक के जीवन की कई सारी जानकारियां सामने आती हैं, जिससे वह अपने भावी भविष्य के बारे में जान सकता है। लेकिन कुंडली में लग्न अनुसार आप स्वभाव भी जान सकते हैं। यहां हम बताने जा रहे हैं जन्मकुंडली में लग्न अनुसार स्त्री का स्वभाव...

मेष 
मेष लग्न में कन्या सत्य में तत्पर, निर्भय, सदा क्रोध युक्त, कफ प्रकृति, कठोर वाक्य बोलने वाली और बंधुओ से विरक्त होती है। इनका स्वभाव प्राय: गरम होता है तथा ये अपने ऊपर पड़ी जिम्मेदारी को जल्दी ही निबटाना पसंद करते हैं अर्थात् काम में विलम्ब करना इनका स्वभाव नहीं होता है। ये भोजन की शौकीन होती हैं, लेकिन फिर भी कम भोजन कर पाती हैं तथा जल्दी भोजन करना इनका स्वभाव होता है। कभी कभी इनके नाखूनों में विकार देखा जाता है, ये साहसिक कामों में अपनी प्रतिभा का विस्तार कर सकती हैं।

वृषभ  
वर्ष लग्न में कन्या सत्यवक्ता, सुंदरी, विनीत, पति प्यारी, सर्व कला युक्त, बन्धुप्रेमी, ईश्वर की भक्ति करने वाली होती हैं। ये जल्दबाजी में कोई कदम नहीं उठाती और धन की कमाई करती हैं तथा संसार के सारे सुखों को भोगना चाहती हैं। इनके जीवन का मध्य भाग काफी सुखपूर्वक व्यतीत होता है। इनके यहां कन्या सन्तान की अधिकता होती है।

मिथुन 
मिथुन लग्न में कन्या कटु वचन बोलने वाली, काम से रहित, गुणहीन, निडर, कफ-वात युक्त, बहुत धर्म कर्म करने वाली होती है। उच्च बौद्धिक स्तर की होती हैं। तथा शीघ्र धनी बनने के चक्कर में कभी कभी सट्टा या लॉटरी का शौक भी पाल लेती हैं। इनकी मध्य अवस्था प्राय: संघर्षपूर्ण होती है। ये स्त्रियां कवित्व शक्ति से भी पूर्ण होते हैं।

कर्क 
कर्क लग्न में कन्या नम्रता युक्त, बंधुप्रिया, सुस्वभाव वाली, संतानयुक्त, सर्वसुख संपन्न होती हैं। इनकी विचारधारा कभी बहुत शूरतापूर्ण तथा कभी बहुत भीरू होती है। जीवन के तीसरे पहर में इन्हें विरासत में धन-सम्पत्ति भी प्राप्त होती है।

सिंह 
सिंह लग्न मे स्त्री अत्यंत क्रूर, कफ प्रकृति, कलह करने वाली, अनेक रोगों से ग्रस्त, परोपकारी होती है। इन्हें अभक्ष्य भक्षण का भी शौक होता है। पुत्र कम होते हैं तथा सन्तान भी कम होती हैं।

कन्या  
कन्या लग्न में भाग्यवती सबका हित करने वाली, अपने वर्ग में धर्मनिष्ट, इन्द्रियों को जीतने वाली, चतुर होती है। यदि लग्न कमजोर हो तो भाग्यहीन हो जाती हैं तथा बली लग्न में संघर्ष के बाद अच्छी सफलता पाती हैं। इन्हें यात्राओं का बहुत शौक होता है। इनकी अभिरुचियों में पुरषों का प्रभाव पाया जाता है।

तुला  
तुला लग्न में स्त्री दीर्घसूत्री, मंदबुद्धि, नम्रता से हीन, गर्वीली, शोभा रहित, अधिक तृष्णा वाली, नीति रहित होती है। तुला लग्न के व्यक्ति बहुत प्रेममय होते हैं। ये स्त्रियां प्राय: लेखक, उपदेशक, व्यापारी आदि भी पाई जाती हैं।

वृश्चिक 
वृश्चिक लग्न स्त्री सुंदरी, सबसे प्रेम रखने वाली, सुन्दर नेत्र वाली, धर्मात्मा, पतिव्रता, गुण तथा सत्ययुक्त होती हैं। इनका घरेलू जीवन अक्सर अस्त व्यस्त होता है, यदि शुभ प्रभाव से युक्त लग्न हो तो इनकी रुचि गुप्त विद्याओं की तरफ हो जाती है। मजबूत लग्न में उत्पन्न होने पर ये कुशल प्रशासक भी होते हैं।

धनु  
धनु लग्न मे नारी बुद्धिमती, पुरुषाकृति, सुन्दर नेत्र वाली, कठोर चित्त, स्नेह और नम्रता से रहित होती है। इनकी कथनी व करनी में बहुत अन्तर होता है। प्राय: ये धनी तथा भाग्यशाली होती हैं।

मकर 
मकर लग्न मे नारी भाग्यवती, सत्य मे तत्पर, तीर्थो मे आसक्त, शत्रुजीत, अच्छा काम करने वाली, ख्यात, गुणवती और पुत्रवती होती है। ये अड़ियल होती हैं तथा मुसीबत का सामना करने में डरती नही हैं। प्राय: ये पुरानी विचार धाराओं को मानने वाली होती हैं।

कुम्भ 
कुम्भ लग्न मे नारी चतुर, व्रण आदि से पीड़ित, बड़ो से विरोध रखने वाली, अधिक खर्च करने वाली, पुण्य करने वाली, अहसान नहीं मानने वाली होती है। ये स्त्रियां सबको अपने ढंग से चलाने का प्रयास करती हैं। प्राय: इनका भाग्योदय स्थायी नहीं होता है। फिर भी ये अपने क्षेत्र में बहुत प्रसिद्ध होती हैं।

मीन 
मीन लग्न हो तो नारी पुत्र-पोत्री युक्त, पति प्रिया, बंधु आदि से मान्य, सुन्दर नेत्र और केश वाली, देव-विद्वानों की भक्ति करने वाली, नम्रता युक्त और गुरुजनों से प्रीति करने वाली होती हैं। इन्हें सन्तान अधिक होती हैं तथा ये स्वभाव से उद्यमी नहीं होती हैं। इन्हें जीवन में अचानक हानि उठानी पड़ती है। यदि वृहस्पति अशुभ स्थानों में अशुभ प्रभाव में हो तो प्रारम्भिक अवस्था में इनके जीवन की सम्भावना क्षीण होती हैं।

Created On :   30 Jan 2019 7:04 AM GMT

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story