ईस्टर आज : क्या है ईस्टर संडे का महत्व

डिजिटल डेस्क, भोपाल। ईस्टर ईसाई धर्म का सबसे महत्वपूर्ण पर्व है। इस पर्व को प्रभु ईशू के सूली पर चढ़ने के तीन दिन बाद वापस जी उठने की खुशी में मनाया जाता है। दरअसल ईसाई धर्म के लोगों का मानना है कि गु़ड फ्राइडे के दिन प्रभु ईशू को सूली पर चढ़ाया गया था, और तीन दिन बाद संडे को प्रभु ईशू पुनः जीवित हो गए थे इसलिए इस पर्व को मनाया जाता है।
ईसाई धर्म की कुछ मान्यताओं के अनुसार, ईस्टर शब्द की उत्पत्ति ईस्त्र शब्द से हुई। यूरोप में प्रचलित पौराणिक कथाओं के अनुसार ईस्त्र वसंत और उर्वरता की एक देवी थी। इस देवी की प्रशंसा में अप्रैल माह में उत्सव होते थे। जिसके कई अंश यूरोप के ईस्टर उत्सवों में आज भी पाए जाते हैं। इसलिए इसे नवजीवन या ईस्टर महापर्व का नाम दे दिया गया।
ईस्टर का महत्व
ईसाई धर्म के लोगों की मान्यता है कि गुड फ्रइडे के दिन ईसा मसीह को सूली पर लटकाया गया था, सूली पर लटकाए जाने के बाद तीसरे दिन संडे को वे पुनः जीवित हो गए थे। जीवित होने के बाद 40 दिन प्रभु ईशू लोगों के बीच रहे और लोगों को माफ करने का पाठ पढ़ाया। लोगों ने उन्हें सूली पर चढ़ाया। मगर मरने से पहले उन्होंने सबको माफ कर दिया। जीसस ने क्रूस पर खून बहा कर मनुष्यों के पापों का प्रायश्चित किया।
ईस्टर पर क्या है अंडे का महत्व
ईस्टर पर अंडे का विशेष महत्व होता है। क्योंकि जिस तरह से चिड़िया सबसे पहले अपने अंडे को घोंसले में रखती है, फिर उसमें से चूजा निकलता है। उसी प्रकार अंडे को एक शुभ स्मारक माना जाता है। ईस्टर पर अंडे का इस्तेमाल अलग तरह से किया जाता है। कहीं चित्रकारी कर, कहीं रंगों से सजाकर इसे एक-दूसरे को तोहफे के रूप में भेंट किया जाता है। जो लोगों को जीवन में नई उमंग भरने का संदेश देता है।
Created On :   1 April 2018 9:16 AM IST