फाल्गुन अमावस्या 2021: इस काम से पितरों की आत्मा को मिलेगी शांति

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिन्दू धर्म में अमावस्या तिथि का अत्यधिक महत्व होता है। इनमें होली के पहले आने वाली फाल्गुन मास की अमावस्या अपनेआप में खास होती है। यह अमावस्या इस वर्ष 13 मार्च शनिवार को पड़ रही है। यह अमावस्या पितरों को मोक्ष दिलाने वाली होती है। इस दिन गंगा स्नान बहुत ही शुभ माना जाता है। शनिवार के दिन पड़ने के कारण इसे शनि अमावस्या या शनैश्चरी अमावस्या भी कहते हैं।
यह हिंदू वर्ष की अंतिम अमावस्या भी होती है। पंचांग के अनुसार, इस बार फाल्गुन अमावस्या पर देवपितृ कार्य और शनैश्चरी अमावस्या का संयोग बन रहा है। फाल्गुन अमावस्या शनिवार के दिन पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र, साध्य योग, नाग करण व कुंभ राशि में चंद्र देव स्थित होंगे। आइए जानते हैं इस अमावस्या का महत्व और पूजा विधि...
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मुहूर्त
अमावस्या तिथि प्रारंभ: 12 मार्च, दोपहर 03 बजकर 02 मिनट से
अमावस्या तिथि समाप्त: 13 मार्च, दोपहर 03 बजकर 50 मिनट तक
श्राद्ध दान तर्पण
अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए किए जाने वाले दान,तर्पण, श्राद्ध आदि के लिए यह दिन बहुत ही भाग्यशाली माना जाता है। मान्यता है कि जो मृत्यु पर्यन्त मृत आत्माएं पितृ लोक पंहुचती हैं। यह उनका एक प्रकार से अस्थाई निवास होता है और जब तक उनके भाग्य का अंतिम निर्णय नहीं होता उन्हें वहीं रहना पड़ता है।
इस अवधि में उन्हें भूख और प्यास की अत्यंत पीड़ा सहन करनी पड़ती है क्योंकि वे स्वयं कुछ भी ग्रहण करने में समर्थ नहीं होते। उनकी इस पीड़ा का निवारण तभी होता है जब भू लोक से उनके सगे-संबंधि, परिचित या कोई भी उन्हें मानने वाला उनके लिए श्राद्ध दान तर्पण करता है। वैसे श्राद्ध पक्ष में हमेशा उसी तिथि को श्राद्ध किया जाता है जिस तिथि को दिंवगत आत्मा इस लोक से पर लोक गमन करती है, लेकिन यदि यह संभव न हो और किसी कारण वह तिथि मालूम न हो तो प्रत्येक मास में आने वाली अमावस्या को यह किया जा सकता है।
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12 अमावस्या में खास
साल में 12 अमावस्याएं आती हैं यदि निरंतरता में प्रत्येक अमावस्या को आप ऐसा नहीं कर पाते हैं तो कुछ अमावस्याएं विशेष तौर पर सिर्फ श्राद्ध कर्म के लिये शुभ मानी जाती हैं। फाल्गुन मास की अमावस्या उन्हीं में से एक है। कालसर्प दोष के निवारण के लिए पूजा भी अमावस्या के दिन विशेष रूप से की जाती है। फाल्गुनी अमावस्या पर कई धार्मिक तीर्थों पर फाल्गुन मेलों का आयोजन भी होता है।
Created On :   12 March 2021 11:41 AM IST