15 मार्च से शुरू हुए खरमास, जानें इन दिनों में क्यों नहीं होते शुभ कार्य ?

Kharmas start from March 15, these Auspicious work are barred
15 मार्च से शुरू हुए खरमास, जानें इन दिनों में क्यों नहीं होते शुभ कार्य ?
15 मार्च से शुरू हुए खरमास, जानें इन दिनों में क्यों नहीं होते शुभ कार्य ?

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इस ब्रह्माण्ड की आत्मा का केंद्र सूर्य है। बृहस्पति की किरणें अध्यात्म नीति व अनुशासन की ओर प्रेरित करती हैं। लेकिन एक-दूसरे की राशि में आने से समर्पण व लगाव की अपेक्षा त्याग, छोड़ने जैसी भूमिका अधिक देती है। उद्देश्य व निर्धारित लक्ष्य में असफलताएं देती हैं। जब विवाह, गृहप्रवेश, यज्ञ आदि करना है तो उसका आकर्षण कैसे बन पाएगा ? क्योंकि बृहस्पति और सूर्य दोनों ऐसे ग्रह हैं जिनमें व्यापक समानता हैं। 

सूर्य की तरह यह भी हाइड्रोजन और हीलियम की उपस्थिति से बना हुआ है। सूर्य की तरह इसका केंद्र भी द्रव्य से भरा है, जिसमें अधिकतर हाइड्रोजन ही है जबकि दूसरे ग्रहों का केंद्र ठोस है। इसका भार सौर मंडल के सभी ग्रहों के सम्मिलित भार से भी अधिक है। यदि यह थोड़ा और बड़ा होता तो दूसरा सूर्य बन गया होता।

पृथ्वी से 15 करोड़ किलोमीटर दूर सूर्य तथा 64 करोड़ किलोमीटर दूर बृहस्पति वर्ष में एक बार ऐसे जमाव में आते हैं कि सौर चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं के माध्यम से बृहस्पति के कण काफी मात्रा में पृथ्वी के वायुमंडल में पहुंचते हैं, जो एक-दूसरे की राशि में आकर अपनी किरणों को आंदोलित करते हैं। 

खरमास या मलमास में क्या करें? क्या न करें
भारतीय पंचाग के अनुसार जब सूर्य मीन राशि में प्रवेश करते हैं तो यह समय अशुभ माना जाता है इसी कारण जब तक सूर्य मेष राशि में नहीं आ जाते तब तक किसी भी प्रकार के शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। पंचाग के अनुसार यह समय खरमास या मलमास कहा जाता है। माना जाता है कि इस मास में सूर्य देवता के रथ को घोड़ों की जगह गधे खींचते हैं। विशेषकर उत्तरी एवं मध्य भारत में खरमास की मान्यता अधिक है। 

इस पूरे मास यानि मीन संक्रांति से लेकर मेष संक्रांति तक विवाह, सगाई, ग्रह-प्रवेश आदि धार्मिक शुभकार्य या मांगलिक कार्य नहीं करना चाहिए। नई वस्तुओं, घर, कार आदि की खरीददारी भी नहीं करनी चाहिए। घर का निर्माण कार्य या फिर निर्माण संबंधी सामग्री भी इस समय नहीं खरीदनी चाहिए, यदि निर्माण कार्य पहले ही चल रहा है तो कोई दोष नहीं होता। खरमास को मलमास भी कहा जाता है। इस मास में भगवान विष्णु की पूजा करने के साथ-साथ धार्मिक स्थलों पर स्नान-दान आदि करने का महत्व होता है।

मलमास की एकादशियों का उपवास कर भगवान विष्णु की पूजा कर उन्हें तुलसी के पत्तों के साथ खीर का भोग लगाया जाता है। इस मास में प्रतिदिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करके भगवान विष्णु का केसर युक्त दूध से अभिषेक करें व तुलसी की माला से 11 बार भगवान विष्णु के मंत्र ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः का जप करें।

पीपल के वृक्ष में भगवान विष्णु का वास माना जाता है इस मास में पीपल की पूजा करना भी शुभ रहता है। कार्यक्षेत्र में उन्नति के लिए खरमास की नवमी तिथि को कन्याओं को भोजन करवाना पुण्य फलदायी माना जाता है। सबसे महत्वपूर्ण कार्य इस मास में यह किया जा सकता है कि दुर्व्यसनों, दुर्विचारों, पापाचार को त्याग कर श्री हरि की भक्ति में मन लगाकर सत्कर्म करने पर जोर दिया जाता है।

Created On :   8 March 2019 6:52 AM GMT

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