शरद पूर्णिमा: जानें भगवान श्री कृष्ण ने इस रात क्यों की रासलीला?

Sharad Purnima: Know why Lord Krishna performed Raslila on this night?
शरद पूर्णिमा: जानें भगवान श्री कृष्ण ने इस रात क्यों की रासलीला?
शरद पूर्णिमा: जानें भगवान श्री कृष्ण ने इस रात क्यों की रासलीला?

डिजिटल डेस्क। सनातन संस्कृति में दिन और रात दोनों का ही महत्व है। रात्रि में शिवरात्रि और नवरात्रि हम बड़े उत्साह से मनाते हैं। इसी प्रकार शरद पूर्णिमा का भी अपना महत्व है, यह रात सबसे प्रकाशमयी होती है। इस वर्ष शरद पूर्णिमा रविवार 13 अक्टूबर को है। शरद पूर्णिमा को कोजोगिरी पूर्णिमा भी कहा जाता है। आइए जानते हैं शरद पूर्णिमा से जुड़ी हुई कुछ खास बातें...

संस्कृत शब्द ‘‘ को जागर्ति ’’ यानि कौन जाग रहा है, इसका ही अपभ्रंश कोजोगिरी है। पुराणों के अनुसार इस दिन लक्ष्मीजी रात्रि में वर देने के लिए भ्रमण करती हैं और जो जागता हुआ मिलता है उसे वर देती हैं। साथ ही इस दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत बरसता है। इसके विपरित दीपावली की रात सबसे अंधकारमयी होती है। दोनों ही रातों का संबंध लक्ष्मी जी से है। 

कार्तिक मास की अमावस्या को समुद्र मंथन से देवता और असुरों के द्वारा माता महालक्ष्मी का प्राकट्य हुआ। इस दिन का संबंध भगवान श्री कृष्ण से भी है। श्रीमद् भागवत के अनुसार ‘‘ हेमंते प्रथमे मासे, नंद गोप कुमारिका’’ हेमंत मास के प्रारंभ में यानि शरद पूर्णिमा को अमृतवर्षिनी मुरली का निनाद किया और 84 कोस के ब्रजमंडल की सभी गोपियों को बंसी की तान में अपना नाम सुनाई दिया। सारी सुध- बुध भूलकर वो रासमंडल में पहुंचीं। 

भगवान श्रीकृष्ण ने क्यों किया रास 
इसके कई कारण हैं। सबसे बड़ा कारण है कामदेव पर विजय प्राप्ति। रास पंचाध्याया की फलश्रृति में कहा गया है कि ‘‘ काम विजय प्रख्यापनार्थम् ’’ यानि काम पर विजय प्राप्ति के लिए भगवान ने रास रचा।

ब्रम्हादि देवताओं पर विजय पाकर कंदर्प कामदेव को अतिशय दर्प यानि अभिमान हो गया। कामदेव ने उसी घमंड में भगवान को चुनौती दी। भगवान बोले, हे कामदेव हम तो तुमको हरा चुके हैं। जब त्रेतायुग में मैं राम बना था उस समय तुम्हारी एक नहीं चली। कामदेव बोले, प्रभु ! उस समय तो आपने पत्नीरूपी किले का आश्रय ले रखा था। आप एक पत्नीव्रत धारण कर मर्यादा पुरूषोत्तम थे। अभी तक किले का युध्द किया अब मैदान का युध्द करें। यानि विश्व सुंदरी गोपियां और त्रिभुवन सुंदर आप जब शरद पूर्णिमा की रात्रि को साथ होंगे तो मेरे बाण चलेंगे ही। इस दौरान श्री कृष्ण ने कामदेव पर विजय प्राप्ति के लिए रास किया।

दूसरा कारण
ब्रज की गोपियों के अलग- अगल स्वरूप हैं। ब्रज की गोपी कोई मुनिरूपा हैं, दंडकारण्य के मुनि हैं जो प्रभु श्रीराम की लुभावनी मूरत को देख मोहित हो गए। वही ब्रजमंडल में गोपी बन कर आए हैं। कोई साधन सिध्दा, कोई मत्स्य कन्या तो कुछ एक दैत्य कन्या भी हैं। सभी रास के लिए गोपी बन कर ब्रज मंडल में आई।

रास पंचाध्यायी में पांच अध्याय क्यों?
श्रीमद् भागवत में रासपंचाध्यायी, दशम स्कंध में 29 से 33 अध्याय तक हैं।  तेनयमं वाग्मयं मूर्तिं प्रत्यक्षं वर्तते हरिः’’  भागवत स्वयं कृष्ण हैं और भागवत में दशम स्कंध ये कृष्ण का ह्रदय हैं और दशम स्कंध में ये 5 अध्याय रासपंचाध्यायी हैं। ये भगवान के पंचप्राण हैं तथा इसमें भी गोपीगीत ये मुख्य प्राण हैं।

पांच अध्यायों में वर्णन किया
कामदेव के पांच ही बाण प्रसिध्द हैं, वशीकरण, उच्चाटन, मोहन, स्तम्भन और उद्दीपन, और पंचाध्यायी के पांच अध्यायों से कामदेव के पांचो बाणों का खंडन किया है। 

शरद पूर्णिमा को ही क्यों प्रारंभ किया रास    
शरद में ही काम के बाण तीक्ष्ण हो जाते हैं, ‘‘शरम ददाति इति शरदः ’’  शर का अर्थ बाण हैं, जो तक-तक के बाण मारें वह शरद। भगवान कहते हैं कमजोर को क्या मारना,  मारना ही है तो प्रबल को मारो। धोखे से मारना, छद्म रूप में मारना ये तो कायरों का काम है, जो वीर होते हैं वो तो ललकार का मारते हैं। भगवान बोले शरद में तुम बड़े बलवान हो जाते हो, तुम्हारे बाण बड़े तीक्ष्ण हो जाते हैं इसलिए तुमसे शरद में ही युध्द करेंगे।

शरद ऋतु में सारा वातावरण काम के अनुरूप है। ​रात्रि में काम प्रबल होता है, इसलिये शरद ऋतु को चुना। शरद पूर्णिमा की रा​त्रि को ऐसा मस्त होकर माधव ने मुरली रव किया कि गोपियां सुनते ही ‘‘कृष्ण गृहीत मानसा ’’, सब गोपियों का मन माधव के पास चला गया। इस प्रकार शरद पूर्णिमा की रात्रि में अमृत की तान से श्रीकृष्ण ने समस्त संसार को मोह लिया।
                                      
साभारत: पं. सुदर्शन शर्मा शास्त्री, अकोला

Created On :   12 Oct 2019 11:49 AM GMT

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