समंदर में क्यों तैर रहे हैं रामसेतु के पत्थर, क्या कहते हैं वैज्ञानिक? पढ़ें...

डिजिटल डेस्क, कोलंबो। रामसेतु, जिसे भगवान राम ने माता सीता को लंका से लाने के लिए नल-नील की सहायता से समुद्र पर बनाया था। ये आज भी समंदर की उन्हीं लहरों में छिपा है जहां भगवान इसे बनाकर आगे बढ़े और माता सीता को छुड़ाया। यह भौगोलिक रूप से भारत के निकटतम स्थान तलईमन्नार की ओर स्थित है। रामसेतु का भारत की तरफ का छोर है। जिसे श्रीलंका में एडम ब्रिज या सेतु कहा जाता है। रामसेतु के बारे में उल्लेख हमें रामायण में पढ़ने मिलता है।
तैरते हैं पत्थर
इस सेतु निर्माण में उपयोग में लाये गए कुछ तैरते पत्थर हम रामेश्वरम के पंचमुखी हनुमान मंदिर में देख सकते हैं। तलैमन्नार में स्थित पुराने प्रकाश स्तम्भ के समीप तट से श्रीलंका नौदल नौकासेवा उपलब्ध कराती है जो इस सेतु के दर्शन हेतु अति उपयुक्त है। जिस स्थान पर समुद्र का स्तर उथला है वहां इस सेतु के अवशेष अभी भी देखे जा सकते हैं।
बंद हुई योजना
रामसेतु को लेकर कुछ साल पहले सेतु समुद्रम योजना भी लायी गई थी, जिसके तहत जहाज के लिए मार्ग बनाने इसे छिछला किया जाना था। इसके बाद समुद्री रास्ता जहाजों के आवागमन के लिए और नजदीक आ जाता था, लेकिन विरोध के बाद इसे बंद कर दिया गया।
क्या कहते हैं वैज्ञानिक
वैज्ञानिक इस सेतु को प्राकृतिक मानते हैं मानव निर्मित नहीं। वैज्ञानिकों के अनुसार ये एक तरह की प्रवाल भित्ती है, जो प्राकृतिक रूप से ही बनती है। इसका किसी भी मानवीय गतिविधि से कोई संबंध नहीं है। हालांकि नासा द्वारा जारी किए गए इसके चित्र में यह बिल्कुल वैसा ही दिखाया गया है, जैसा कि रामायण में वर्णित है।


Created On :   18 Aug 2017 11:24 AM IST