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दैनिक भास्कर हिंदी: 'दिलीप कुमार' से संगीत के बादशाह 'ए.आर रहमान' बनने तक का सफर

डिडिटल डेस्क, मुंबई। भारतीय संगीत का हॉलीवुड में लोहा मनवाने वाले म्यूजिक डायरेक्टर ए. आर. रहमान आज अपना 51वां जन्मदिन मना रहे हैं। रहमान का संगीत सिर्फ कानों को सुकून नहीं देता ब्लकि ये दिल के जरिए रूह तक उतर जाता है। यही वजह है कि रहमान के संगीत ने देश के बाहर भी अपना डंका बजाया है। उन्हें कई नेशनल-इंटरनेशनल अवॉर्ड्स के साथ ही दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित ऑस्कर अवॉर्ड से नवाजा गया है। ए.आर. रहमान का जन्म 6 जनवरी 1966 को चेन्नई में हुआ। रहमान का जन्म एक हिंदू परिवार में हुआ। उनका नाम ए. एस. दिलीप कुमार मुदलियार रखा गया था, लेकिन धर्म परिवर्तन के बाद उन्होंने अपना नाम बदलकर अल्लाह रखा रहमान रख लिया। देश के विख्यात संगीतकार के जीवन में धर्म परिवर्तन से लेकर और बहुत कुछ ऐसा हुआ घटा जिसने उन्हें एक मजबूत इंसान के साथ-साथ ही एक बेहतरीन संगीतकार भी बनाया।
रहमान बेहद शांत किस्म के शख्स हैं। उन्हें ज्यादा बात करना पसंद नहीं और वो जब भी किसी अवॉर्ड फंक्शन या कभी पब्लिक अपीरियंस देते हैं तो ज्यादातर नपी-तुली बात करते हैं और बेहद कम शब्दों में अपनी बात कह देते हैं। इस वजह से उनके बारे में जानकारी बहुत कम ही है। आईये उनके बर्थडे पर जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें।
क्यों बदला धर्म?
सुरों के बादशाह रहमान की मातृभाषा तमिल हैं। बावजूद इसके उन्होंने हिंदी और कई अन्य भाषाओं बेहतरीन संगीत दिया है। रहमान को संगीत विरासत में उनके पिता से मिला। उनके पिता आरके शेखर मलयाली फिल्मों में संगीत देते थे। रहमान जब 9 साल के थे तब उनके पिता की मृत्यु हो गई और पैसों के लिए घरवालों को वाद्य यंत्रों को भी बेचना पड़ा। हालात इतने बिगड़ गए कि उनके परिवार को इस्लाम अपनाना पड़ा और ए. एस. दिलीप कुमार मुदलियार से वो अल्लाह रखा रहमान बन गए। कहा जाता है कि 1989 में रहमान की छोटी बहन काफी बीमार पड़ गई थी। सभी डॉक्टरों ने कह दिया कि उसके बचने की कोई उम्मीद नहीं है। रहमान ने अपनी छोटी बहन के लिए मस्जिदों में दुआएं मांगी जल्द ही उनकी दुआ रंग लाई और उनकी बहन चमत्कारिक रूप से ठीक हो गई। इस चमत्कार को देख रहमान ने इस्लाम कबूल कर लिया।
दूसरी तरफ रहमान की बायोग्राफी 'द स्पिरिट ऑफ म्यूजिक' में ये बताया गया है कि कैसे एक ज्योतिषी के कहने पर उन्होंने नाम बदला। रहमान ने एक इंटरव्यू में बताया कि यह भी सच है कि उन्हें अपनी नाम अच्छा नहीं लगता था। एक दिन जब मेरी मां मेरी बहन की कुंडली दिखाने एक ज्योतिषी के पास गई तो उस हिंदू ज्योतिषी ने ही मुझे नाम बदलने की सलाह दी। बस फिर क्या था मेरा नाम दिलीप कुमार से ए आर रहमान पड़ गया। ए आर इसलिए क्योंकि मेरी मां चाहती थी कि उसमें अल्लाह रखा भी जोड़ा जाए।
लंदन के ट्रिनिटी कॉलेज ऑफ म्यूजिक से पश्चिमी शास्त्रीय संगीत में पाई डिग्री
ये ऊपर वाले की मेहरबानी ही थी कि नाम में खुदा नाम आते ही रहमान की किस्मत चमक गई। हालातों से लड़ते हुए रहमान ने संगीत का साथ नहीं छोड़ा और आगे की संगीत की शिक्षा मास्टर धनराज से प्राप्त की।
केवल 11 साल की उम्र में अपने बचपन के मित्र शिवमणि के साथ रहमान बैंड रुट्स के लिए की-बोर्ड (सिंथेसाइजर) बजाने का काम किया। वो इलियाराजा के बैंड के लिए काम करते थे। बैंड ग्रुप में काम करते हुए ही उन्हें लंदन के ट्रिनिटी कॉलेज ऑफ म्यूजिक से स्कॉलरशिप भी मिली, जहाँ से उन्होंने पश्चिमी शास्त्रीय संगीत में डिग्री हासिल की।
रहमान ने बनाया नेमेसिस एवेन्यू बैंड
रहमान को ही चेन्नई के बैंड "नेमेसिस एवेन्यू" के स्थापना का श्रेय जाता है। वे की-बोर्ड, पियानो, हारमोनियम और गिटार सभी बजाते थे। वो सिंथेसाइजर को कला और टेक्नोलॉजी का अद्भुत संगम मानते हैं।
टाइम्स पत्रिका ने उन्हें मोजार्ट ऑफ मद्रास की उपाधि दी। रहमान गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड से सम्मानित होने वाले पहले भारतीय हैं। ए. आर. रहमान ऐसे पहले भारतीय हैं जिन्हें ब्रिटिश भारतीय फिल्म स्लम डॉग मिलेनियर में उनके संगीत के लिए तीन ऑस्कर नामांकन हासिल हुआ है। इसी फिल्म के गीत 'जय हो' के लिए सर्वश्रेष्ठ साउंडट्रैक कंपाइलेशन और सर्वश्रेष्ठ फिल्मी गीत की श्रेणी में दो ग्रैमी पुरस्कार मिले।
लता मंगशेकर के बदला था अपना काम करने का समय
क्या आप जानते हैं रहमान हमेशा रात में ही रिकॉर्डिग करते हैं, लेकिन लता मंगेशकर के लिए उन्होंने अपना नियम बदल दिया और उनके साथ सुबह रिकॉर्डिग करते रहे हैं। लता मंगशेकर का मानना है कि सुबह उनकी आवाज में ताजगी होती है इसलिए रहमान उनके साथ सुबह रिकॉर्डिग करते हैं। मणिरत्नम ने रहमान को अपनी फिल्म 'रोजा' में पहला ब्रेक दिया था। यही वजह है कि वे मणिरत्नम की बहुत इज्जत करते हैं। उनको जानने वाले लोग बताते हैं कि मणिरत्नम ही ऐसे अकेले शख्स हैं, जो रहमान से कभी भी अपनी मर्जी से मिल सकते हैं।
बेटी को पसंद नहीं है रहमान का ऑटोग्राफ देना
ए आर रहमान की पत्नी का नाम सायरा बानो है। उनके तीन बच्चे हैं- खदीजा, रहीम और अमीन। वो दक्षिण भारतीय अभिनेता राशिन रहमान के रिश्तेदार भी है। रहमान संगीतकार जी वी प्रकाश कुमार के चाचा हैं। रहमान के भले ही दुनियाभर में करोड़ों फैंस हैं, लेकिन उनकी बेटी खातिजा को स्कूल में पिता का ऑटोग्राफ देना पसंद नहीं है। यहां तक कि वो रहमान को अपने स्कूल ना आने तक के लिए कह चुकी हैं।
बेटे अमीन के साथ शेयर करते है बर्थडे
रहमान की कॉफी में मीठा बहुत ज्यादा होता है। उन्हें जानने वाले लोग बताते हैं कि रहमान के कॉफी के कप में एक-चौथाई कप तो चीनी ही होती है। रहमान जब काम कर रहे होते हैं तो स्टूडियो में अपनी पत्नी या बेटी को नहीं आने देते। ये जानना भी रोचक है कि रहमान और उनके बेटे अमीन का जन्मदिन एक ही दिन आता है।
भोपाल: रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय में पांचवां वूमेन एक्सीलेंस अवॉर्ड
डिजिटल डेस्क, भोपाल। रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के वूमेन डेवलपमेंट सेल द्वारा 5वां वूमेन एक्सिलेंस अवार्ड का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि सुश्री अनुभा श्रीवास्तव (आईएएस), कमिश्नर, हैंडलूम एंड हैंडीक्राफ्ट विभाग, मध्य प्रदेश , विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ रूबी खान, डायरेक्टर, डायरेक्टोरेट आफ हेल्थ सर्विसेज, सुश्री रवीशा मर्चेंट, प्रिंसिपल डिजाइनर, ट्रीवेरा डिजाइंस, बट ब्रहम प्रकाश पेठिया कुलपति आरएनटीयू उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. अदिति चतुर्वेदी वत्स, प्रो-चांसलर, आरएनटीयू एंड डायरेक्टर, आइसेक्ट ग्रुप आफ यूनिवर्सिटीज ने की।
इस अवसर पर सुश्री अनुभा श्रीवास्तव ने महिलाओं को अपनी बात रखने एवं निर्णय क्षमता को विकसित करने पर जोर दिया। महिलाओं को अपने व्यक्तिगत विकास की जिम्मेदारी लेने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने महिला सशक्तिकरण पर भी अपने विचार साझा किए। डॉ. अदिति चतुर्वेदी वत्स ने कहा कि हम सभी जानते हैं कि हमारे जीवन में महिलाओं का एक अहं रोल होता है। चाहे वो रोल हमारी मां के रूप में हो या फिर बहन या पत्नी के रूप में। हमें हर रूप में महिला का साथ मिलता है। लेकिन ऐसा काफी कम होता है जब हम इन्हें इनके कार्य के लिए सम्मानित करते हैं। ऐसे में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस हमें यह अवसर देता है कि हम अपने जीवन की महिलाओं को उनके कार्यों और उनके रोल के लिए सम्मानित करें। इसी तारतम्य में आरएनटीयू पांचवां वूमेन एक्सीलेंस अवॉर्ड से इन्हें सम्मानित कर रहा है।
डॉ रूबी खान ने महिलाओं के स्वास्थ्य संबंधी जानकारी एवं अपने स्वास्थ्य का ध्यान कैसे रखें इसकी जानकारी दी। वहीं सुश्री रवीशा मर्चेंट ने महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त रहने एवं किसी भी परिस्थिति पर हार ना मानना एवं परिवार और काम में संतुलन बनाए रखने के विषय में विस्तृत जानकारी दी। डॉ ब्रम्ह प्रकाश पेठिया ने देश की बढ़ती जीडीपी में महिलाओं का अहम योगदान माना। उन्होंने बताया कि जल थल एवं हवाई सीमा में भी विशेष योगदान महिलाएं दे रही हैं।
कार्यक्रम में रायसेन और भोपाल जिले की शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाली महिलाओं को वूमेन एक्सीलेंस अवार्ड से नवाजा गया। साथ ही पूर्व में आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं में विजेता महिलाओं को भी पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम के अंत में डॉ संगीता जौहरी, प्रति-कुलपति, आरएनटीयू ने सभी का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संयोजन एवं समन्वयन नर्सिंग एवं पैरामेडिकल विभाग की अधिष्ठाता एवं महिला विकास प्रकोष्ठ की अध्यक्ष डॉ मनीषा गुप्ता द्वारा किया गया। मंच का संचालन डॉ रुचि मिश्रा तिवारी ने किया।
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