उप्र : फेस रिकग्निशन कैमरे से नहीं बच पाएंगे अपराधी

Criminals will not be able to escape from UP face recognition camera
उप्र : फेस रिकग्निशन कैमरे से नहीं बच पाएंगे अपराधी
उप्र : फेस रिकग्निशन कैमरे से नहीं बच पाएंगे अपराधी
हाईलाइट
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वाराणसी, 24 नवंबर (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में अब अपराधियों की खैर नहीं। उसकी पहचान तुरंत फेस रिकॉग्निशन कैमरे में आ जाएगी। ये कैमरे इतने कारगार हैं कि अपराधियों की कई साल पुरानी फोटो की भी पहचान कर लेंगे। यदि कोई भेष बदलने में माहिर है तो भी ये हाईटेक कैमरे उसकी पहचान बता देंगे।

वीडियो एनालिटिक्स के माध्यम से पूरे जिले के चप्पे-चप्पे पर नजर रखी जाएगी। लाखों की भीड़-भाड़ हो या ठंड का मौसम, सभी परिस्थियों में ये कैमरे शातिर अपराधियों की पहचान करके पुलिस तक सूचना दे देंगे।

क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम्स (सीसीटीएनए) जून 2009 में शुरू की गई एक परियोजना है, जिसका उद्देश्य पुलिस स्टेशन स्तर पर पुलिसिंग की दक्षता और प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिए एक व्यापक और एकीकृत प्रणाली बनाना है। सीसीटीएनएस भारत सरकार की राष्ट्रीय ई-गवर्नेस योजना के तहत एक मिशन मोड प्रोजेक्ट है। थानों से अपराधियों के डाटा लिए जाएंगे (लिंक किया जाएगा) साथ ही लोकल स्तर पर भी अपराधियों के डाटा फीड किया जाएगा, जिससे अपराधियों की पहचान हो सके।

स्मार्ट सिटी के सीईओ और नगर आयुक्त गौरांग राठी ने बताया कि भारतीय, यूरोपीय और अमेरिकी टेक्नोलॉजी का उपयोग करके इसे लगाया जा रहा है। इसके लिए 125 करोड़ रुपये की लागत से 500 किलोमीटर तक ऑप्टिकल फाइबर बिछाई जाएगी और 700 अलग-अलग जगहों पर 3000 कैमरे लगाए जाएंगे, जिसमें से 22 कैमरे फेस रिकग्निशन सिस्टम के लिए होंगे। इनकी संख्या जरूरत के हिसाब से बढ़ाई भी जा सकती है। शहर की विभिन्न गतिविधियों की रीयल टाइम रिकॉर्ड होगी जो सिक्योरिटी और सेफ्टी के लिए काफी महत्वपूर्ण होगी।

कैमरे लगाने वाली कंपनी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के सीनियर प्रोजेक्ट मैनेजर साहिल व वाराणसी स्मार्ट सिटी लिमिटेड के जनरल मैनेजर प्रोजेक्ट्स एंड कोआर्डिनेशन डॉ. डी. वासुदेवन ने बताया कि फेस अलॉगर्थिम डाटा बेस में मौजूद फोटो का कैमरे से ली गई तस्वीर से मिलान करेगा और उसकी विशेष पहचान कोडिंग और नाम के माध्यम से बता देगा।

ये कैमरे करीब 7.5 मीटर की दूरी से अपराधियों की पहचान कर लेंगे। इसकी सूचना वे काशी इंटीग्रेटेड कमांड कंट्रोल सिस्टम में बैठे एक्सपर्ट पुलिसकर्मियों को देंगे। इसके तुरंत बाद संबंधित थाना पुलिस के पुलिसकर्मी अपराधी को दबोच लेंगे। सर्विलांस सिस्टम जुलाई 2020 से शुरू हुआ। ये प्रोजेक्ट अप्रैल 2021 में पूरा हो जाएगा।

वाराणसी के एसएसपी अमित पाठक ने बताया कि यह सरकार की अच्छी पहल है और इससे क्राइम कंट्रोल में काफी मदद मिलेगी। धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी हमेशा से आतंकियों के निशाने पर रही और कई आतंकी हमले भी झेल चुकी है। पूर्वांचल का व्यावसयिक हब होने की वजह से काशी से कई तरह की आपराधिक गतिविधियां भी संचालित होती हैं और पूर्वाचल में अक्सर गैंगवार भी होता रहा है। ऐसे में फेस रिकग्निशन सिस्टम अपराधियों और असामजिक तत्वों को उनकी सही जगह पहुंचाने में कारगर साबित होगी।

वीकेटी/एसजीके

Created On :   24 Nov 2020 5:31 PM IST

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